उत्तराखंड के बाद अब राजस्थान में भी समान नागरिकता संहिता (यूसीसी) लागू करने की तैयारियां तेज हो गई है। राजस्थान की भजनलाल सरकार के मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने घोषणा की कि राज्य सरकार उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए विधानसभा के वर्तमान या अगले सत्र में यूसीसी विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। चौधरी ने विधेयक शुरू करने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भी प्रशंसा की, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना समान नागरिक कानून स्थापित करना है।

मुख्‍यमंत्री ने दी यूसीसी बिल लाने की मंजूरी

मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कहा कि, ‘सबसे पहले, मैं उत्तराखंड के सीएम धामी को धन्यवाद देना चाहूंगा। यह एक महत्वपूर्ण मामला था और भारत के लोग इसका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने इस विधेयक की पहल की। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि राजस्थान उत्तराखंड के बाद यूसीसी बिल लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जाए। सीएम भजन लाल शर्मा इसके समर्थन में हैं। उन्होंने इसके लिए निर्देश दे दिए हैं और जल्द ही इस पर काम किया जाएगा। मौजूदा सत्र या अगले सत्र में इस पर चर्चा होगी और अगर समय अपर्याप्त होगा तो इसे सदन में लाया जाएगा।

मौजूदा सत्र में पेश होने की संभावना कम

बात दें कि मौजूदा सत्र के दौरान वित्त मंत्री और डिप्टी चीफ मिनिस्टर दीया कुमारी बजट पेश करेंगी। मौजूदा सत्र में यूसीसी का बिल लाए जाने की संभावना कम है। अभी तक यह विधानसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध कार्यसूची में नहीं है। इसमें प्रस्तावित विधेयकों और संशोधनों की सूचना होती है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक भाजपा सरकार यूसीसी पर कवायद तेज कर सकती है।

एक और मंत्री ने की यूसीसी की वकालत

भजनलाल सरकार के एक और मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा ने भी यूसीसी की वकालत की है। उन्होंने कहा, ‘हिजाब पहनकर स्कूल जाने से बच्चों को रोकने के लिए इस तरह के कानून की जरूरत है। राज्य में सामाजिक न्याय लाने के लिए इस तरह का बिल आवश्यक है।’ माना जा रहा है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद भाजपा शासित अन्य राज्य इस ओर तेजी से कदम बढ़ा सकते हैं, जिनमें राजस्थान सबसे आगे हो सकता है। हालांकि, राजस्थान सरकार ने अभी तक इसको लेकर विपक्ष या जनता से संवाद की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, जिस तरह उत्तराखंड में किया गया।

विधेयक में इन मामलों के प्रस्ताव

दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को देहरादून में विधानसभा में समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक पेश किया। विधेयक में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और अन्य संबंधित मामलों के बारे में समान नागरिक कानून का प्रस्ताव है। कई प्रस्तावों में, समान नागरिक संहिता विधेयक लिव-इन रिलेशनशिप के लिए कानून के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य बनाता है। एक बार प्रस्तावित यूसीसी विधेयक लागू हो जाने के बाद, लिव-इन रिलेशनशिप को “रिश्ते में प्रवेश करने की तारीख” से एक महीने के भीतर कानून के तहत पंजीकृत करना होगा।

समानता और समरसता को साकार करेगा यूसीसी विधेयक

सभी धर्म की महिलाओं को समान अधिकार

यूसीसी के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए वयस्क जोड़ों को अपने माता-पिता से सहमति लेनी होगी। विधेयक में बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और तलाक के लिए एक समान प्रक्रिया शुरू करने का भी प्रस्ताव है। जब पैतृक संपत्ति में अपने उचित हिस्से का दावा करने की बात आती है तो संहिता सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार देती है।  मार्च 2022 में, धामी सरकार ने यूसीसी मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की।(एएमएपी)