दिल्ली हाइकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार । 

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन संबंधों के लिए सहमति को इस तरह से नहीं बढ़ाया जा सकता कि संबंधित व्यक्ति अपने निजी पलों को रिकॉर्ड करने, उनका दुरुपयोग करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए भी सहमति दे रहा है।

‘बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने एक महिला के साथ बलात्कार करने और उसके अनुचित वीडियो को व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर पोस्ट करके उसे ब्लैकमेल करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।

आरोपी व्यक्ति ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि यौन संबंध सहमति से बनाए गए थे।

हालांकि, अदालत ने कहा कि भले ही महिला ने यौन संबंधों के लिए सहमति दी हो, लेकिन वह आरोपी व्यक्ति के निजी वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के कृत्य को उचित नहीं ठहराएगी।

अदालत के 17 जनवरी के आदेश में कहा गया है, “भले ही शिकायतकर्ता ने किसी भी समय यौन संबंधों के लिए सहमति दी हो, लेकिन ऐसी सहमति को किसी भी तरह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके अनुचित वीडियो को कैप्चर करने और पोस्ट करने की सहमति के रूप में नहीं समझा जा सकता है। शारीरिक संबंध बनाने की सहमति किसी व्यक्ति के निजी क्षणों के दुरुपयोग या शोषण या अनुचित और अपमानजनक तरीके से उनके चित्रण तक नहीं फैली है।”

न्यायालय ने कहा कि भले ही आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच यौन संबंध शुरू में सहमति से बने हों, लेकिन आरोपी के बाद के कृत्य जबरदस्ती और ब्लैकमेल में निहित थे।

इसमें कहा गया है, “वीडियो तैयार करने और उनका उपयोग शिकायतकर्ता को हेरफेर करने और यौन शोषण करने के लिए करने में आरोपी की हरकतें प्रथम दृष्टया दुर्व्यवहार और शोषण की रणनीति को दर्शाती हैं, जो किसी भी प्रारंभिक सहमति से हुई बातचीत से परे है।”

India needs to address urgent issue of Women's safety which attracts  national, worldwide attention

शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला थी, जो टेलीफोन पर बातचीत के ज़रिए आरोपी से दोस्ती कर लेती थी। बाद में आरोपी ने उसे ब्यूटीशियन कोर्स के लिए 3.5 लाख रुपये का लोन दिया।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने अंततः उसे यौन मांगों को पूरा करने के लिए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और उसने व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर उसके आपत्तिजनक वीडियो भी बनाए।

इसके बाद आरोपी व्यक्ति ने कथित तौर पर इन वीडियो को उसके पैतृक गांव के लोगों में प्रसारित किया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनुचित वीडियो पोस्ट किए।

उसने कथित तौर पर शिकायतकर्ता की 13 वर्षीय बेटी और अन्य महिला रिश्तेदारों की मॉर्फ्ड तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर प्रसारित कीं, जिसमें कहा गया कि वे देह व्यापार में लिप्त हैं। इसके कारण, शिकायतकर्ता को अनचाहे फ़ोन कॉल आने लगे।

जब उसने आपराधिक शिकायत दर्ज कराई, तो आरोपी को आखिरकार पिछले साल जनवरी में गिरफ़्तार कर लिया गया और बाद में उसने ज़मानत के लिए अर्जी दी।

हाईकोर्ट के समक्ष, आरोपी ने आरोपों से इनकार किया। उसने दावा किया कि यह एक दोस्ताना रिश्ता था जो शिकायतकर्ता द्वारा कुछ पैसे चुकाने में असमर्थ होने के बाद ख़राब हो गया था। उसने कहा कि उसके और शिकायतकर्ता के बीच यौन संबंध सहमति से थे। उसके खिलाफ़ आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए कोर्ट ने आखिरकार उसकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी।