महागठबंधन की बढ़ सकती है चिंता

लोकसभा चुनाव को लेकर धीरे-धीरे सभी पार्टियां अपने पत्ते खोल रही हैं। इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी बड़ा ऐलान कर दिया है। पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी बिहार की 11 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा है कि इससे लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी समेत पूरे महागठबंधन की चिंता बढ़ने वाली है।

ओवैसी की पार्टी बिहार की किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया समेत अन्य सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। राज्य के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में ओवैसी का पिछले कुछ सालों में खासा प्रभाव देखने को मिला है। किशनगंज सीट से एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक अख्तरुल ईमाम प्रत्याशी होंगे। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम ने इंडी गठबंधन में शामिल होने की कोशिश की। मगर बात नहीं बनती तो निराश होकर अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

एआईएमआईएम इन सीटों पर उतारेगी प्रत्‍याशी

ओवैसी की पार्टी बिहार की जिन 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी उसमें किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, बक्सर, गया, मुजफ्फपुर, उजियारपुर, काराकाट और भागलपुर शामिल हैं। किशनगंज से अख्तरुल ईमान चुनाव लड़ेंगे तो कटिहार से आदिल हसन को प्रत्याशी बनाया गया है। अन्य सीटों पर भी पार्टी ने प्रत्याशी लगभग तय कर लिए हैं, ओवैसी की मंजूरी मिलते ही उनके नाम भी घोषित कर दिए जाएंगे।

गठबंधन में शामिल होना चाहती थी एआईएमआईएम

एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल ईमान ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी ने बिहार और देश में सेकुलर वोटों का बिखराव न होने की बहुत कोशिश की। उनका इरादा गठबंधन में शामिल होने का था। मगर ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने आरजेडी का नाम लिए बिना आरोप लगाए कि उनके पीठ पर खंजर घोंपा गया। उनकी पार्टी के विधायक तोड़ लिए गए। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां चाहती हैं कि दलित और अल्पसंख्यकों का वोट मिले, लेकिन इन्हें प्रतिनिधित्व नहीं देना चाहती हैं। यह दुख की बात है।

महागठबंधन के वोटों पर पड़ेगा असर

एआईएमआईएम के बिहार में चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ गई है। मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी का खासा प्रभाव रहा है, पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने इस क्षेत्र की 5 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था। हालांकि, बाद में उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे। इसके अलावा विभिन्न उपचुनावों में भी ओवैसी ने आरजेडी के मुस्लिम वोटरों में सेंधमारी की। बिहार में मुस्लिम समुदाय लालू यादव की आरजेडी का कोर वोटर माना जाता है। मगर पिछले कुछ सालों में ओवैसी ने अल्पसंख्यक वोटरों को अपने पाले में करने की भरसक कोशिश की। इसका फायदा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में मिल सकता है।

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एनडीए को हो सकता है फायदा

मुस्लिम बहुल सीमांचल की सभी चारों सीटों पर ओवैसी की पार्टी चुनाव लड़ रही है। आरजेडी कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में एआईएमआईएम सेंधमारी करती है तो सीधा फायदा एनडीए को हो सकता है। फिलहाल एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में किसके खाते में कितना जाएगा बहुत जल्द तस्वीर साफ हो सकती है। इस पर सभी की नजरें टिकी हैं। महागठबंधन से ज्यादा एनडीए में पेंच फंसा है।(एएमएपी)