सीरवी क्षत्रिय समाज ने बना दिए तेरह आई माता मंदिर।
पच्चीस हजार परिवारों का अनूठा संगठन।
आज तक विश्व में जन्म लेने वाले संत एवं महापुरुषों ने यहीं शरीर भी छोड़ा, लेकिन आई माताजी ना तो किसी स्त्री की कोख से जन्मी और ना ही उनकी मृत्यु हुई। वह हजारों भक्तों के समक्ष अखंड ज्योति में लीन हो गईं। उन्हीं आई माता के मंदिर अब प्रत्येक प्रांत में बनने लगे हैं तथा हर आई माता के मंदिर में जल रही केसर ज्योत ही उनकी मौजूदगी का प्रतीक है।पुणे महानगर के बिम्बेवाड़ी क्षेत्र में श्री गोड़वाड़ सीरवी क्षत्रिय समाज की ओर से वर्ष 2000 में 1 एकड़ जमीन पर आई माता के मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ किया। 10 वर्षों में सोमपुरा पद्धति से राजनगर के संगमरमर पत्थर से बनकर मंदिर बनकर तैयार हुआ। अखिल भारतीय आई पंथ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीवान माधवसिंह एवं जत्ती बाबा मंडली के सानिध्य में वैदिक परंपरा के साथ विशाल मंदिर में आई माता जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई। यह प्रतिष्ठा समारोह 10 दिन तक चला और प्रतिदिन 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं में प्रतिदिन महाप्रसादी का वितरण हुआ।
विधि-विधान का हुआ चमत्कार
राजस्थान के पाली जिले के नारलाई गांव स्थित आई माता मंदिर से दर्जनों नवयुवक पदयात्रा करते हुए आई माता की केसर ज्योत लेकर यहां पहुंचे। इसकी प्रतिष्ठा दीवान के ही हाथों की गई, जहां अब उस ज्योति के ऊपर लगे पात्र पर काजल के स्थान पर केसर आता है। इसी से प्रतिदिन पुजारी माता जी की प्रतिमा एवं अन्य प्रतिमाओं को तिलक लगाते हैं। ज्योति के ऊपर केसर आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। मान्यता है कि ज्योत के ऊपर केसर आना यह प्रमाण है कि स्वयं माताजी प्रतिमा के रूप में विद्यमान है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।
सभी देवी-देवताओं की साक्षी
लाखों की लागत से बने इस आई माता मंदिर में आई माता की प्रतिमा के अलावा परिसर में ही बारह मंदिर बने हुए हैं। इनमें चारभुजा, गणेश भगवान, लक्ष्मी माता, सरस्वती देवी, काला -गोरा भैरव, श्री दत्त भगवान, हनुमानजी, राधे- कृष्ण, राम दरबार, सीता माता, महादेव तथा ऋषि दत्तात्रेय की प्रतिमाएं विराजित हैं।
पच्चीस हजार से अधिक की संख्या में सीरवी समाज
पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों से करीब 60 -70 वर्षों पूर्व अकाल के कारण कई परिवार महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में आबाद हो गए। पुणे महानगर में इस समय पच्चीस हजार से अधिक परिवार सीरवी क्षत्रिय समाज के हैं। पुणे क्षेत्र में 13 आई माता के छोटे-बड़े मंदिरों का निर्माण किया जा चुका है। ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष हीराराम सिरवी बताते हैं कि समाज का यह संगठन अब मंदिर निर्माण के साथ-साथ शिक्षा के विस्तार पर कार्य कर रहा है। बालिका महाविद्यालय के लिए बिंबेवाड़ी क्षेत्र में 2 बीघा जमीन खरीदी जा चुकी है।
सामाजिक उत्थान में आई गति
आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे सीरवी समाज के सामाजिक उत्थान के कार्यों में भी अब तक गति आ चुकी है।समाज के तत्वावधान में प्रतिवर्ष यहां रक्तदान शिविर, प्रतिभावान प्रतिभाओं का सम्मान, खेलकूद प्रतियोगिताएं तथा अब विशेषकर महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिक्षा की ओर बढ़ती रूचि का ही परिणाम है कि इस समाज से अब तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, भारतीय पुलिस सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा में तथा विभिन्न सरकारी सेवाओं में अधिकारी कार्यरत हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाड़ियों ने भी अपनी पहचान बना ली है। (एएमएपी)