मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में भी एक पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की तरह प्राचीन समय से स्‍थापित है, जहां भगवान शिव आठ मुखों के साथ विराजमान हैं। इन दिनों प्रदेश में हो रही तेज बारिश का प्रभाव मंदिर के किनारे बह रही शिवना नदी पर भी हुआ है और ‘शिव’ के गले तक आकर ‘शिवना’ नदी ने भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रही है। मंदसौर जिल में भारी बारिश से प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी मूर्ति के चार मुख पानी में डूब गए। सोमवार तक यही हालात हैं । मंदिर परिसर में बीती रात गर्भगृह पानी से डूबा हुआ था। दक्षिण-पश्चिमी मध्यप्रदेश में तेज बरिश का दौर तीन दिन से जारी है। मालवा इलाके में छोटी-बड़ी नदियां उफान पर हैं।

पशुपति का अर्थ

पशु अर्थात जीव या प्राणी और पति का अर्थ है स्वामी और नाथ का अर्थ है मालिक या भगवान। इसका मतलब यह कि संसार के समस्त जीवों के स्वामी या भगवान हैं पशुपतिनाथ। दूसरे अर्थों में पशुपतिनाथ का अर्थ है जीवन का मालिक।

शिवना पर बने कालाभाटा बांध के गेट खुले

श्रद्धालु इसे शिवना नदी के द्वारा भगवान पशुपतिनाथ का जलाभिषेक करना बताते हैं। माना जाता है कि हर साल मानसून सीजन में बारिश के दौरान एक बार शिवना नदी का पानी शिवलिंग तक भगवान का जलाभिषेक करने  जरूर पहुंचता है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार मंदसौर जिले में सुबह तक 4.22 इंच बारिश दर्ज की गई है। वहीं, रुक-रुक कर बारिश का दौर बना हुआ है। शुक्रवार शाम से शुरू हुई बारिश से रविवार दोपहर तक बाढ़ जैसे हालात नजर आ रहे थे। इधर शिवना पर बने कालाभाटा बांध के गेट खोल दिए गए हैं।

पशुपतिनाथ मंदिर का यह है इतिहास

मंदसौर का मुख्य आकर्षण भगवान पशुपतिनाथ मंदिर है। पशुपतिनाथ भगवान शिव का पर्यायवाची नाम है। इस कलात्मक मूर्ति का निर्माण चमकते हुए गहरे तांबे के उग्र चट्टान-खंड में हुआ है। मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है। इसका वजन 4600 किलोग्राम है। वक्रता में ऊँचाई 7.25 फीट और सीधी में 11.25 फीट है। इसके 8 सिर हैं जिन्हें वे दो भागों में विभाजित करते हैं। पहला भाग 4 शीर्ष पर और दूसरा भाग 4 शीर्ष तल में। शीर्ष 4 सिर स्पष्ट, परिष्कृत और पूर्ण हैं तो 4 नीचे के सिर परिष्कृत नहीं हैं।

इस मंदिर के चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं लेकिन प्रवेश द्वार पश्चिम में स्थित है। इस पुतले के सिर जो पश्चिम में स्थित हैं, भगवान शिव की भयावह छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। इस सिर के मेकअप में तीन रास्प (नख) दिखाई देते हैं जो जहरीले सांपों के गोले के आकार के बालों में होते हैं, तीसरी आंख और उभरी हुई जेली होती है। केंद्र में उलझे हुए बाल सांपों से घिरे होते हैं जो सर्वनाश करने वाले ओम्कार होते हैं (वेद मंत्र जो ईश्वर के प्रतीक हैं)।

नेपाल में भी है विश्‍व विख्यात पशुपतिनाथ मंदिर

विश्व में दो पशुपतिनाथ मंदिर प्रसिद्ध है एक नेपाल के काठमांडू का और दूसरा भारत के मंदसौर का। दोनों ही मंदिर में मुर्तियां समान आकृति वाली है। नेपाल का मंदिर बागमती नदी के किनारे काठमांडू में स्थित है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह मंदिर भव्य है और यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।

मंदिर का इतिहास

नेपाल का पशुपति नाथ मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित, पशुपतिनाथ मंदिर एशिया के चार सबसे जरूरी धार्मिक स्थलों में शामिल है। माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण पांचवीं शताब्दी में हुआ था। इस एरिया के अंदर कई फेमस मंदिर हैं जिनमें भुवनेश्वरी, दक्षिणमूर्ति, ताम्रेश्वर, पंचदेवल, बिश्वरूप शामिल हैं।  माना जाता है कि यह लिंग, वेद लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो गया था। पशुपति काठमांडू घाटी के प्राचीन शासकों के अधिष्ठाता देवता रहे हैं। पाशुपत संप्रदाय के इस मंदिर के निर्माण का कोई प्रमाणित इतिहास तो नहीं है किन्तु कुछ जगह पर यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था।(एएमएपी)