इजराइल पर हमास के हमले से पहले ही अमेरिका को बढ़ते खतरे के बारे में पता था। इस बात का खुलासा अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की ओर से जारी इनपुट में हुआ है। दरअसल, आतंकवादी संगठन हमास के रॉकेट अटैक से पहले अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इजराइल द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी के आधार पर दो आकलन जारी किए थे। ये अपडेट 28 सितंबर और 5 अक्टूबर को जारी किए गए। कहा गया था कि हमास सीमा पार रॉकेट हमलों को बढ़ाने की तैयारी कर रहा था। CIA के 5 अक्टूबर के इनपुट में हमास द्वारा हिंसा की बढ़ती संभावना के बारे में चेतावनी दी गई थी। यहां तक कि हमले से एक दिन पहले 6 अक्टूबर को, अमेरिकी अधिकारियों को इजराइल से हमास की असामान्य गतिविधि का संकेत देने वाली रिपोर्ट भी मिली, जो संभावित खतरने को लेकर आगाह कर रही थी।
इतने बढ़े स्तर पर हमले का नहीं था अंदाजा
अमेरिकी इंटेलिजेंस ने जो दो आकलन जारी किए गए, उसमें हमास के ऑपरेशन के पैमाने और क्रूरता के बारे में विशेष विवरण नहीं दिया गया था, जिसे हमास ने 7 अक्टूबर को अंजाम दिया था और 20 मिनट के अंदर 3000 से ज्यादा रॉकेट दागे थे, जिसमें अब तक 1200 से ज्यादा इजराइली नागरिकों की मौत हो चुकी है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि ये रिपोर्टें कई इंटेलिजेंस अधिकारियों के लिए नई नहीं थीं, लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता जरूर जताई है कि क्या अमेरिका और इज़राइल दोनों ही उभरते जोखिमों के प्रति पर्याप्त रूप से तैयार थे। यह बात भी अस्पष्ट है कि क्या इनमें से कोई भी अमेरिकी इनपुट इज़राइल के साथ साझा किया गया था।
अमेरिका और इजराइली अधिकारियों को दी गई थी चेतावनी
रिपोर्ट से पता चला है कि अरब देशों सहित मध्य पूर्वी सहयोगियों ने बार-बार अमेरिकी और इजरायली अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि फिलिस्तीनी गुस्सा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इन चेतावनियों के बावजूद, हमले ने उन्हें चौंका दिया। सीआईए निदेशक बिल बर्न्स ने भी पिछले दिनों इज़रायली और फ़िलिस्तीनियों के बीच बढ़ती हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि इस क्षेत्र पर उनकी अधिकांश खुफिया जानकारी इज़राइल द्वारा प्रदान की जाती है।
इस तरह हमास ने बनाया हमले का प्लान
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमास ने इजराइल द्वारा ट्रैक किए जा सकने वाले डिजिटल कम्यूनिकेशन से परहेज करके और व्यक्तिगत योजना बैठकें आयोजित कीं और अपनी योजना को छुपाया। इससे इजराइल हमले के खतरे को पहचान पाने में विफल रहा। अमेरिका और इजरायल दोनों अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने हमास द्वारा उत्पन्न खतरे को कम करके आंका था।
निश्चिंत था इजराइल
खुफिया जानकारी पर नजर रखने वाले अधिकांश अमेरिकी और इज़रायली अधिकारियों को यह आशंका जरूर थी कि हमास द्वारा छोटे पैमाने पर हिंसा का एक और दौर होने की संभावना है। उन्हें अंदाजा था कि शायद हमास की ओर से कुछ रॉकेट दागे जाएंगे जिन्हें इजराइल का आयरन डोम रोक देगा। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने शुक्रवार को कहा, अगर हमें पता होता या हम किसी सहयोगी के खिलाफ लंबित हमले के बारे में जानते होते, तो हम उस सहयोगी को स्पष्ट रूप से सूचित करते।
CIA ने कहा था- रॉकेट से होंगे हमले
नाम नहीं छापने की शर्त पर सीआईए के अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, भले ही हमने फलस्तीन या हमास की तरफ से हमले के बारे में रिपोर्ट भेजी थी लेकिन इसको हमने राष्ट्रपति या सीनियर अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया था. इसका कारण था कि यह रूटीन इंटेलिजेंस रिपोर्ट थी और इसमें ऐसा कोई भी बिंदु नहीं था जिससे कि हमारे कान खड़े होते. लिहाजा हमने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया और रूटीन प्रक्रिया का पालन किया।
एक अन्य सैन्य अधिकारी ने कहा, हमारे लिए ये रिपोर्ट आम है क्योंकि वहां आम दिनों में भी कुछ न कुछ होता रहता है लिहाजा दोनों ही एजेंसियों ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।
इजरायल-हमास युद्ध में हुई 3200 लोगों की मौत
इजरायल और हमास के संघर्ष में अब तक दोनों देशों के कुल 3200 लोगों की मौत हो चुकी है. दोनों देशों के कुल 9,196 लोग घायल हो चुके हैं. इजारयल के जहां 1496 लोगों की मौत हुई है तो वहीं गाजा पट्टी में 1900 लोग मारे गए हैं. वहीं, वेस्ट बैंक में कुल 49 लोगों की मौत हुई है और 700 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। (एएमएपी)