इजरायल-हमास की लड़ाई के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सोमवार देर रात रूस का एक प्रस्ताव खारिज हो गया है. रूसी प्रस्ताव में दोनों पक्षों के बीच संघर्ष में नागरिकों के खिलाफ हिंसा और आतंकवाद की निंदा की गई थी, लेकिन हमास का कोई उल्लेख नहीं किया गया था. हमास के इजरायल पर अचानक हमले में 1,300 से अधिक इजरायली मारे गए थे जो द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी नरसंहार के बाद सबसे गंभीर यहूदी नरसंहार था। 15 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूसी प्रस्ताव पर चार देशों- चीन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) मोजाम्बिक और गैबॉन ने अपनी सहमति जताई जबकि चार सदस्यों देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान ने रूसी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. अन्य 6 सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव के पारित होने के लिए कम से कम 9 देशों के समर्थन की जरूरत होती है। सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है. लेकिन यह 7 अक्टूबर के हमास के हमले और जवाबी कार्रवाई में इजरायल के गाजा पर ताबड़तोड़ हमले को रोकने में असमर्थ रहा है. हमास के नियंत्रण वाले गाजा पर इजरायली हमले में अब तक 2,750 से अधिक लोगों की जान गई है।
इजरायल पर हमले को अनदेखा करना बेशर्मी
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की दूत बारबरा वुडवर्ड ने रूसी प्रस्ताव खारिज होने के बाद रूस पर निशाना साधते हुए कहा कि परिषद का इजरायल पर हमले को अनदेखा करना बेशर्मी है. उन्होंने कहा कि ब्राजील इजरायल-हमास हमले को लेकर जो प्रस्ताव UNSC में लेकर आया है, उस पर बातचीत जारी रहेगी । बारबरा ने कहा कि ब्राजील का प्रस्ताव जहां ‘नागरिकों के खिलाफ सभी तरह की हिंसा और आतंकवाद के सभी कृत्यों की दृढ़ता से निंदा करता है, साथ ही प्रस्ताव 7 अक्टूबर के हमास के जघन्य आतंकी हमले को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और उसकी निंदा करता है। समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि ब्राजील के प्रस्ताव पर सोमवार रात को मतदान हुआ या नहीं।
‘सुरक्षा परिषद पश्चिम के जाल में फंस गया है’
रूसी प्रस्ताव पर मतदान से पहले यूएन में रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने प्रस्ताव के लिए समर्थन का आग्रह करते हुए कहा, ‘यह प्रस्ताव मौजूदा संकट में भारी बढ़ोतरी का जवाब है. संघर्ष में हर घंटे मरने वालों और घायलों की संख्या बढ़ रही है.’ रूसी राजदूत ने दोनों पक्षों के बीच संघर्ष में नागरिकों की मौत की निंदा की। प्रस्ताव गिरने के बाद रूसी राजदूत नेबेंजिया ने कहा, ‘एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि सुरक्षा परिषद पश्चिमी देशों के स्वार्थी इरादों के जाल में फंस गया है. परिषद दशकों में सबसे गंभीर हिंसा को रोकने के लिए एक सामूहिक संदेश भेजने में विफल रही है।
हमास के हमले की निंदा न करने पर अमेरिकी राजदूत ने रूस को घेरा
रूसी राजदूत के बयान पर यूएन में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमास, जिसका मकसद इजरायल को खत्म करना और यहूदियों को मारना है, उसने इजरायल में आतंक फैलाया. लेकिन रूसी प्रस्ताव में गाजा को नियंत्रित करने वाले आतंकवादी समूह का उल्लेख नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘हमास की निंदा ना करके रूस एक आतंकवादी समूह को बढ़ावा दे रहा है जो निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार करता है. हमास के हमले के कारण गाजा के लोगों के सामने गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गाजा के मानवीय संकट को दूर करने में मदद करने, हमास की निंदा करने और इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन देने का आग्रह किया।
इन देशों ने किया रूसी प्रस्ताव का समर्थन
रूसी प्रस्ताव के समर्थन में जिन देशों ने वोट किया, उनमें चीन, संयुक्त अरब अमीरात, मोजाम्बिक और गैबोन शामिल हैं। वहीं प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस शामिल हैं। छह अन्य देश मतदान में शामिल ही नहीं हुए। बता दें कि इस्राइल और हमास के बीच छिड़ी लड़ाई को लगभग दो हफ्ते का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक संयुक्त राष्ट्र की सबसे अहम निकाय सुरक्षा परिषद, जिस पर वैश्विक शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह इस हिंसा को रोकने में विफल रही है। बीती सात अक्तूबर को फलस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इस्राइली सीमा में घुसकर 1400 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। वहीं इस्राइल के जवाबी हमले में अब तक गाजा पट्टी में 2750 के करीब लोगों की जान जा चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पश्चिमी देशों की बंधक
गाजा पर रूसी प्रस्ताव पर मतदान से पहले रूसी राजनयिक वेसिली नेबंजिया ने सदस्य देशों से समर्थन मांगते हुए कहा कि गाजा संकट अभूतपूर्व है और इसमें हताहतों की संख्या हर घंटे बढ़ रही है। रूसी राजनयिक ने इस्राइल और गाजा में आम नागरिकों की मौतों की कड़ी निंदा की। वहीं रूसी प्रस्ताव खारिज होने के बाद वेसिली नेबंजिया ने कहा कि एक बार फिर साबित हो गया है कि सुरक्षा परिषद पश्चिमी देशों के स्वार्थों की बंधक है और यह बीते दशक की सबसे गंभीर हिंसा रोकने के लिए एकजुट संदेश देने में विफल रही है।
रूसी प्रस्ताव पर क्या बोलीं अमेरिकी राजदूत
वहीं अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूसी प्रस्ताव में हमास का जिक्र ही नहीं है जबकि हमास ने इस्राइली नागरिकों, यहूदियों को तबाह करने की नीयत से हमला किया। रूस हमास की निंदा नहीं कर इस आतंकी संगठन के बर्बर कृत्य का बचाव कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमास के हमले की वजह से ही गाजा में यह गंभीर मानवीय संकट पैदा हुआ है। अमेरिकी राजदूत ने गाजा में जारी हिंसा की भी निंदा की लेकिन ये भी कहा कि आतंकी हमले का जवाब देना इस्राइल का अधिकार है। ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवार्ड ने रूसी प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि इस्राइली पर हुए उसके इतिहास के सबसे बर्बर हमले को इस प्रस्ताव में नजरअंदाज किया गया है।
ब्रिटेन ने बताया बेशर्मी
रूसी प्रस्ताव को खारिज करते हुए ब्रिटेन की दूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि परिषद का इजरायल पर हमले को अनदेखा करना बेशर्मी है। साथ ही उन्होंने ब्राजील द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर बातचीत जारी रखने की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि ब्राजील द्वारा लाए गए प्रस्ताव ‘नागरिकों के खिलाफ सभी तरह की हिंसा और आतंकवाद के सभी कृत्यों की दृढ़ता से निंदा करता है। इसके साथ ही ये प्रस्ताव 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए जघन्य आतंकी हमले को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और उसकी निंदा भी करता है।’
अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया
वहीं रूसी राजदूत के आरोप पर पलटवार करते हुए अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमास ने इजरायल और यहूदियों को खत्म करने के मकसद से हमला किया। इजरायल में आतंक फैलाय, लेकिन रुसी प्रस्ताव में एक बार भी आतंकवादी समूह का उल्लेख नहीं किया गया। हमास की निंदा ना करके रूस उस आतंकवादी समूह को बढ़ावा दे रहा है। यह समूह निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार करता है। (एएमएपी)