अमेरिका ने क्या-क्या कहा?
दरअसल व्हाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए पीएम मोदी की मध्यस्थता को लेकर सवाल हुआ। इसके जवाब में जॉन किर्बी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के पास युद्ध रोकने के लिए अभी भी समय है। युद्ध को रोकने के लिए पीएम मोदी द्वारा उठाए गए कदमों का हम समर्थन करेंगे।’
किर्बी यहीं नहीं रूके। आगे उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि रूसी राष्ट्रपति के पास युद्ध को रोकने का अभी भी समय है और उन्हें ऐसा करने के लिए पीएम मोदी ही मना सकते हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोलना चाहें तो हम उन्हें यह प्रयास करने देंगे। अमेरिका पीएम मोदी के प्रयासों का स्वागत करेगा।’
जॉन किर्बी का मानना है कि पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करके उन्हें इस युद्ध को रोकने के लिए मना सकते हैं उनके ऐसा करने से दोनों देशों के बीच की शत्रुता समाप्त हो जाएगी।
मानवीय संकट को रोकने के लिए पश्चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंध
जॉन किर्बी ने रूसी राष्ट्रपित व्लादिमीर पुतिन को भी आाड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा इस मानवीय संकट को रोकने के लिए अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं ताकि मानवता को बचाया जा सके। अमेरिका का यही प्रयास है कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए रूस को रोका जाए।
किर्बी ने इस दौरान कहा कि आज यूक्रेन में आम लोगों के साथ जो भी बुरा हो रहा है, उसके लिए जिम्मेदार सिर्फ एक ही व्यक्ति है और वो पुतिन हैं। किर्बी ने कहा कि वो अभी भी युद्ध को रोक सकते हैं, लेकिन युद्ध को रोकने की बजाए रूस क्रूज मिसाइलों को ऊर्जा और बिजली के बुनियादी ढांचे में दाग रहा है और रोशनी को खत्म करने और गर्मी को खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा था, आज युद्ध का युग नहीं
सितंबर 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है। प्रधानमंत्री ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में द्विपक्षीय बैठक के दौरान पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि ‘आज युद्ध का युग नहीं है।’
इसी तरह अक्टूबर 2022 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जैपसोरिजिया परमाणु संयंत्र के पास रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई बढ़ने पर भारत को मध्यस्थता करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा था, ‘इस समय, संघर्ष अभी भी गर्म है, युद्ध को लेकर जुनून अभी भी उच्च हैं। ऐसे समय लोगों के लिए तार्किक बातों को आसानी से सुनना आसान नहीं है। लेकिन मैं वस्तुनिष्ठता के साथ कह सकता हूं कि अगर हम अपना पक्ष लेते हैं, अगर हम अपने विचारों को आवाज देते हैं, तो मुझे नहीं लगता है कि हमारी बातों की अवहेलना करेंगे।’(एएमएपी)