उन्होंने आगे कहा, हमने अपने कनाडाई समकक्षों के साथ घनिष्ठ रूप से सहयोग किया है। हमने भारत से इस जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे। भारत अब भी अमेरिका का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। हम कई मुद्दों पर भारत के साथ काम करते हैं, लेकिन निश्चित रूप से इस मामले पर हम उनसे कनाडाई जांच में सहयोग करने का आग्रह करते हैं। जबकि बीते दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी कहा था कि वाशिंगटन कनाडा के आरोपों को लेकर काफी चिंतित है और इस मामले में जवाबदेही देखना चाहता है। ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका ने सीधे तौर पर भारत सरकार से बातचीत की है।
अमेरिका चाहता है कि फिर से दोनों देशा के बीच हों मधुर संबंध
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का भी इस मामले में कहना है कि अमेरिका को भारत और कनाडा दोनों देशों की बराबर परवाह है। दोनों देशों के साथ अमेरिका के मजबूत रिश्ते हैं, साथ ही अमेरिका दोनों (भारत-कनाडा) के बीच अच्छे संबंधों का हिमायती है। उन्होंने कहा कि यह हम सबके लिए तय करना जरूरी है कि देशों की संप्रभुता और सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाए। इसके साथ ही हमारे रिश्तों की संभावनाओं को भी गंभीरता से लेना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे ने फिर परोक्ष रूप से भारत पर हमला बोला। उन्होंने कहा है कि जब हम समानता के महत्व पर बेहद जोर देते हैं तो हमें मुक्त और लोकतांत्रिक समाजों के मूल्यों को भी बनाए रखना चाहिए। यदि हम उन नियमों पर टिके नहीं रहे, जिनपर हम पहले सहमत हुए हैं तो हमारे मुक्त और खुले समाज का ताना-बाना बिखर जाता है ।
भारत के कनाडा के साथ 1947 से हैं राजनीतिक संबंध स्थापित
आपको बतादें कि भारत ने कनाडा के साथ अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद वर्ष 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किये थे। भारत और कनाडा के बीच लोकतंत्र, मानवाधिकार, विधि का शासन और बहुलवाद जैसे साझा सिद्धांतों पर आधारित दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंध रहा है। हाल के समय में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार प्रतिवर्ष 6 बिलियन डॉलर का था और कनाडा में भारतीय निवेश का मूल्य 4 बिलियन डॉलर से अधिक था।
कनाडा है भारत में 18वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक
‘इन्वेस्ट इंडिया’ के अनुसार, अप्रैल 2000 से मार्च 2023 तक लगभग 3,306 मिलियन डॉलर के कुल निवेश के साथ कनाडा भारत में 18वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। 600 से अधिक कनाडाई कंपनियाँ भारत में उपस्थिति रखती हैं और 1,000 से अधिक कनाडाई कंपनियाँ भारतीय बाज़ार में सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं। दोनों देश एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के लिये तकनीकी वार्ता में संलग्न हैं, जिनमें वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार, निवेश एवं व्यापार सुविधा जैसे विषय शामिल हैं। फिलहाल के हालातों को देखते हुए भारतीय डेयरी और पोल्ट्री उत्पादक दालों एवं कैनोला तेल जैसे विभिन्न उत्पादों के कनाडाई निर्यात पर व्यापार संबंधी चिंताएँ रखते हैं।
भारत के 16 लाख लोग कनाडा में रहते हैं
इसके साथ ही कनाडा विश्व में सबसे बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी में से एक की मेजबानी करता है, जहाँ भारतीय मूल के 16 लाख लोग कनाडा में रहते हैं। वे कनाडा की कुल आबादी में 3% से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं और इनमें से 700,000 गैर-निवासी भारतीय (NRIs) हैं। कनाडा में अध्ययनरत भारतीय छात्र कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की कुल आबादी का लगभग 40% हैं। वहीं, कनाडा का बौद्धिक संपदा कार्यालय और भारत का औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (DIPP) बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के क्षेत्र में सहयोग को सशक्त करने पर सहमत हुए थे।
कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत एक महत्त्वपूर्ण भागीदार
क्षेत्र में भारत के बढ़ते आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय महत्त्व को देखते हुए और कनाडा की अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिये कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में उपस्थिति रखता है। आईसी-आईएमपीएसीटीएस कार्यक्रम के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य देखभाल, एग्री-बायोटेक और अपशिष्ट प्रबंधन में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है। आईसी-आईएमपीएसीटीएस सामुदायिक परिवर्तन और स्थिरता में तेजी लाने के लिए नवोन्मेषी बहुविषयक भागीदारी के लिए भारत-कनाडा केंद्र दोनों देशों के बीच प्रथम और एकमात्र अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र (कनाडा-इंडिया रिसर्च सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) है। भारत के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ‘पोलर कनाडा’ ने शीत जलवायु (आर्कटिक) अध्ययन पर ज्ञान के आदान-प्रदान और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया है।
भारत के साथ है अंतरिक्ष में अन्वेषण पर समझौता ज्ञापन
इसरो और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (सीएसए) ने बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण एवं उपयोगिता पर समझौता ज्ञापन (MOUs) पर हस्ताक्षर किये हैं। इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने कनाडा के लिये कई नैनो उपग्रह लॉन्च किये हैं। इसरो द्वारा वर्ष 2018 में भारतीय अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किये गए इसके 100वें सैटेलाइट पीएसएलवी में कनाडा का पहला LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) उपग्रह भी शामिल था।
कनाडा को देना था भारत की इन चिंताओं पर ध्यान
भारत सरकार ने कनाडा के भीतर कुछ सीमांत समूहों की उपस्थिति एवं गतिविधियों पर लगातार चिंताएँ प्रकट की हैं जो भारत में एक स्वतंत्र सिख राज्य ‘खालिस्तान’ के विचार के प्रति सहानुभूति रखते हैं। हाल ही में कनाडा ने एक ऐसे परेड की अनुमति दी जिसमें वर्ष 1984 में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा नृशंस हत्या को प्रदर्शित किया गया था। इस निरूपण को सिख अलगाववादियों द्वारा हिंसा के महिमामंडन के रूप में देखा गया।
विल्सन सेंटर थिंक-टैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन का मानना है कि कनाडा में बढ़ती सिख गतिविधियों, ओटावा पर नई दिल्ली के बढ़ते दबाव और भारतीय चिंताओं को दूर करने के प्रति ओटावा की अनिच्छा के संयोजन ने वर्तमान समय में द्विपक्षीय संबंधों को एक गहरे संकट की ओर धकेल दिया है। हालांकि सिख समुदाय के सदस्यों, भारत सरकार के प्रतिनिधियों और कनाडाई अधिकारियों सहित सभी हितधारकों के बीच खुले एवं समावेशी संवाद को प्रोत्साहित किया जाए। दोनों देशों को किसी भी राजनीतिक अतिवाद से निपटने के लिये कानूनी कदम उठाने चाहिये।
भारतीय छात्रों को कनाडा का वीजा लेने में करना पड़ रहा है संकट का सामना
हाल के वर्षों में, ऐसी ख़बरें आई हैं कि भारतीय छात्रों को कनाडा में अध्ययन करने के लिये वीज़ा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारत में असंतोष पैदा हुआ है और चिंताएँ बढ़ी हैं। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा और भारत के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई; यह संलग्न औपचारिक मुलाक़ात तक ही सीमित रही। कश्मीर की राजनीतिक स्थिति जैसे मुद्दों पर भिन्न दृष्टिकोण के कारण भी दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में एक तनाव उत्पन्न होता है।
देखाजाए तो भारत और कनाडा दोनों को राजनीतिक रूप से विवादास्पद मुद्दों से आगे बढ़ते हुए सहयोग एवं सहकार्यता के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिये। इस गतिशील साझेदारी के लिये भविष्य में बड़ी संभावनाएँ मौजूद हैं और दोनों देशों को इसके द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाने से चूकना नहीं चाहिये।(एएमएपी)