VIPL की नीलामी की तैयारी
विदर्भ इंडस्ट्रीज पॉवर लिमिटेड (VIPL) की नीलामी बैंक्रप्सी कोर्ट द्वारा की जा रही है, जिसमें अडानी ग्रुप भी हिस्सा ले सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी नीलाम हो रही अनिल अंबानी की इस कंपनी को खरीद सकते हैं और इसके लिए बोली लगाने की तैयारी की जा रही है। इस साल 2023 की शुरुआत के साथ ही अडानी ग्रुप ने बड़ा नुकसान झेला है।
हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ग्रुप की तमाम कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी, हालांकि, अब इनमें वापसी देखने को मिल रही है और ग्रुप नई डील्स पर ध्यान दे रहा है। इसी क्रम में अदानी ग्रुप अपनी प्रमुख जीवाश्म ईंधन से संहंधित प्रोजेक्ट्स के विस्तार पर फोकस कर रहा है। हालांकि, इस कंपनी के लिए बोली लगाने पर अभी विचार-विमर्श चल रहा है।
मुकेश अंबानी भी ले सकते हैं एंट्री
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल अंबानी के कोयले से चलने वाले पावर प्लांट विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड पर गौतम अडानी दांव खेल सकते हैं। ये दो प्लांट से मध्य भारत में 600 मेगावाट जनरेशन फैसिलिटीज को ऑपरेट करता है। VIPLकी प्रमोटर अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस पावर है। हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अडानी को उनके इस प्लान में कड़ी टक्कर का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस पावर लिमिटेड भी इस नीलामी में हिस्सा ले सकती है।
हिंडनबर्ग के असर से उबर रहा अडानी ग्रुप
गौतम अडानी और उनका अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग के भंवर से उबरते हुए फिर से खड़ा होने के प्रयास में लगा है। इसके तहत फंड रेज और इन्वेस्टमेंट पर पूरा फोकस किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अदानी ग्रुप ये बोली जीतने में सफल रहता है, तो उसकी कोल पावर प्रोजेक्ट्स की क्षमता और बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि विदर्भ इंडस्ट्रीज के कर्जदाताओं ने एसबीआई कैप्स को कर्ज समाधान प्रक्रिया के संचालन के लिए सलाहकार नियुक्त किया है। इसके पहले इस कंपनी को कर्जदाताओं को 3 बोलियां मिल चुकी हैं।
कभी टॉप-10 अमीरों में शामिल थे अनिल अंबानी
अनिल अंबानी को बीते लंबे समय से बिजनेस में परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। साल 2008 में अनिल अंबानी अपने टेलीकॉम, पावर और एनर्जी बिजनेस की दम पर दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों में छठे नंबर पर जगह बनाने में कामयाब हुए थे। लेकिन सटीक प्लानिंग न होने के कारण उन्हें फायदे की जगह भारी नुकसान झेलना पड़ा और कर्ज का बोझ बढ़ता गया। आज हालत ये हैं कि उनकी कंपनियां बिकने की कगार पर हैं। जिनमें से विदर्भ इंडस्ट्रीज भी एक है।(एएमएपी)