सदियों से हमारे समाज का स्वाभाव रहा है जल संरक्षण।
नरेंद्र मोदी।
केरल के मुपट्टम श्री नारायणन जी की बात करते हैं । उन्होंने एक प्रोजेक्ट के शुरुआत की है जिसका नाम है- ‘Pots for water of life’. आप जब इस प्रोजेक्ट के बारे में जानोगे तो सोचेंगे कि क्या कमाल का काम है।
मिट्टी के बर्तन बांटने का अभियान
मुपट्टम श्री नारायणन जी- गर्मी के दौरान पशु-पक्षियों, को पानी की दिक्कत ना हो- इसके लिए मिट्टी के बर्तन बांटने का अभियान चला रहे हैं। गर्मियों में वो पशु-पक्षियों की इस परेशानी को देखकर खुद भी परेशान हो उठते थे। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना वो खुद ही मिट्टी के बर्तन बांटने शुरू कर दें ताकि दूसरों के पास उन बर्तनों में सिर्फ पानी भरने का ही काम रहे। आप हैरान रह जाएंगे कि नारायणन जी द्वारा बांटे गए बर्तनों का आंकड़ा एक लाख को पार करने जा रहा है। अपने अभियान में एक लाखवां बर्तन वो गांधी जी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम में दान करेंगे। आज जब गर्मी के मौसम ने दस्तक दे दी है, तो नारायणन जी का यह काम हम सब को ज़रूर प्रेरित करेगा और हम भी इस गर्मी में हमारे पशु-पक्षी मित्रों के लिए पानी की व्यवस्था करेंगे।
जल योद्धा
मैं आप सब से भी आग्रह करूंगा कि हम अपने संकल्पों को फिर से दोहराएं। पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए हम जो भी कुछ कर सकते हैं, वो हमें जरूर करना चाहिए। इसके अलावा पानी की रीसाइक्लिंग पर भी हमें उतना ही जोर देते रहना है। घर में इस्तेमाल किया हुआ जो पानी गमलों में काम आ सकता है, बागवानी में काम आ सकता है, वो जरुर दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। थोड़े से प्रयास से आप अपने घर में ऐसी व्यवस्थाएं बना सकते हैं। रहीमदास जी सदियों पहले, कुछ मकसद से ही कहकर गए हैं कि ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून’। और पानी बचाने के इस काम में मुझे बच्चों से बहुत उम्मीद है। स्वच्छता को जैसे हमारे बच्चों ने आंदोलन बनाया, वैसे ही वो ‘Water Warrior’ (जल योद्धा) बनकर, पानी बचाने में मदद कर सकते हैं।
जल स्रोतों की सुरक्षा
हमारे देश में जल संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा, सदियों से समाज के स्वभाव का हिस्सा रहा है। मुझे खुशी है कि देश में बहुत से लोगों ने वाटर कंज़र्वेशन को अपने जीवन का मिशन ही बना दिया है। चेन्नई के एक साथी हैं अरुण कृष्णमूर्ति जी ! अरुण जी अपने इलाके में तालाबों और झीलों को साफ करने का अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 150 से ज्यादा तालाबों-झीलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई और उसे सफलता के साथ पूरा किया। इसी तरह, महाराष्ट्र के एक साथी रोहन काले हैं। रोहन पेशे से एक एचआर प्रोफेशनल हैं। वो महाराष्ट्र के सैकड़ों स्टेपवेल्स यानी सीढ़ी वाले पुराने कुओं के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। इनमें से कई कुएं तो सैकड़ों साल पुराने होते हैं, और हमारी विरासत का हिस्सा होते हैं। सिकंदराबाद में बंसीलाल -पेट कुआँ एक ऐसा ही स्टेपवेल है। बरसों की उपेक्षा के कारण ये स्टेपवेल मिट्टी और कचरे से ढक गया था। लेकिन अब वहाँ इस स्टेपवेल को पुनर्जीवित करने का अभियान जनभागीदारी से शुरू हुआ है।
वाव की बड़ी भूमिका
मैं तो उस राज्य से आता हूँ, जहाँ पानी की हमेशा बहुत कमी रही है। गुजरात में इन स्टेपवेल्स को वाव कहते हैं। गुजरात जैसे राज्य में वाव की बड़ी भूमिका रही है। इन कुओं या बावड़ियों के संरक्षण के लिए ‘जल मंदिर योजना’ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पूरे गुजरात में अनेकों बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया। इससे इन इलाकों में वाटर लेवेल को बढ़ाने में भी काफी मदद मिली। ऐसे ही अभियान आप भी स्थानीय स्तर पर चला सकते हैं। चेक डैम बनाने हों, रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो, इसमें इंडिविजुअल प्रयास भी अहम हैं और कलेक्टिव इफर्ट्स भी जरूरी हैं। जैसे आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं। कुछ पुराने सरोवरों को सुधारा जा सकता है, कुछ नए सरोवर बनाए जा सकते हैं। मुझे विशवास है, आप इस दिशा में कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे।
(रविवार, 27 मार्च को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के सम्पादित अंश)