फिल्म माफिया क्यों चाहता है नॉएडा में फिल्मसिटी योजना फेल हो जाए।
सुरेंद्र किशोर
क्रूज ड्रग मामले में बॉलीवुड स्टार शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत तो दे दी है लेकिन उसके लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैं। अगर इनका पालन न किया तो उनकी जमानत रद्द हो जाएगी और उनको सलाखों के पीछे जाना होगा। ये अदालती शर्तें हैं-
1- हर अभियुक्त को एक लाख रुपए का मुचलका भरना होगा।
2- अभियुक्तों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे इस तरह के किसी मामले में दोबारा शामिल न हों।
3- अभियुक्त किसी भी सह अभियुक्त से संपर्क नहीं करेंगे। इस मामले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल किसी व्यक्ति से संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे।
4- मामला जब तक एन. डी. पी. एस. की विशेष अदालत के पास है, तब तक अभियुक्त ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे इस मुकदमे पर कोई असर पड़े।
5- अभियुक्त सीधे या किसी के जरिए गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे।
6- सभी अभियुक्तों को अपना पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा करना होगा।
7- अभियुक्त इस मुकदमे को लेकर टी.वी., प्रिंट या सोशल मीडिया पर कोई बयान या टिप्पणी नहीं देंगे।
8- एन डी पी एस के विशेष न्यायाधीश की अनुमति के बिना अभियुक्त देश से बाहर नहीं जाएंगे।
9- मुम्बई से बाहर जाने के लिए अभियुक्तों को जांच अधिकारी को सूचित करना होगा। उन्हें जानकारियां उपलब्ध करानी होंगी।
10- अभियुक्तों को हर शुक्रवार 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के दफ्तर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
11- जब तक कोई जरूरी कारण न हो, अदालत में सुनवाई की हर तारीख पर अभियुक्तों को उपस्थित होना होगा।
12- एक बार जब मुकदमे की सुनवाई शुरू हो जाए तो अभियुक्त किसी भी तरह से सुनवाई में देरी का कारण नहीं बनेंगे।
13- जब भी जांच के लिए एनसीबी अभियुक्तों को बुलाएगी, उन्हें उपस्थित होना होगा।
14- इन शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन होने पर जमानत रद हो जाएगी।
क्या आर्यन और साथियों को ‘पहचान’ लिया कोर्ट ने
ऐसी शर्तें कभी देखी-पढ़ी हैं आपने? मैंने तो नहीं देखी-पढ़ी। हां, अस्सी के दशक में बिहार के एक बहुत बड़े सत्ताधारी नेता को जमानत देते समय पटना हाईकोर्ट ने शर्त लगाई थी कि उन्हें पटना छोड़ने से पहले स्थानीय पुलिस थाने को सूचना देनी होगी। उस नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप था। जज साहब ने उन्हें ‘पहचान’ लिया था। वे कोई मामूली भ्रष्टाचारी नहीं थे। वे बाद में भी नहीं सुधरे। उन्हें बाद में भ्रष्टाचार के कई मामलों में सजाएं हुईं।
लगता है कि मुम्बई हाईकोर्ट ने भी आर्यन व उनके साथियों को ‘पहचान’ लिया है। आर्यन पर लगी अदालती शत्र्तों से यह साफ है कि समीर बानखेड़े व उनकी टीम ने बहुत अच्छा काम किया है। यानी जज के समक्ष पर्याप्त सबूत पहुंचा दिए हैं। भले अलग से बानखेड़े पर कोई गंभीर आरोप हो ! उसके लिए उन्हें कोर्ट में खड़ा करो। उन्हें सजा दिलवाओ। पर,‘उड़ता पंजाब’ की तरह ‘उड़ता भारत’ तो मत बनाओ!
कश्मीर के जेहादियों का ड्रग कनेक्शन
जिन कारणों से समाज के मीडिया सहित कई तबकों के अनेक प्रभावशाली लोग ड्रग्स के सौदागरों और उपभोक्ताओं के पक्ष में इन दिनों खड़े नजर आ रहे हैं, उनमें एक चिंताजनक कारण भी है। जानकार सूत्रों के अनुसार , वह यह कि ड्रग्स के व्यापार से हो रही आय में से करीब 15 प्रतिशत राशि कश्मीर के जेहादियों पर खर्च की जाती है।
ड्रग्स का खतरनाक खेल
अब आप इस देश में ड्रग्स के इस्तेमाल के विस्तार का हाल जान लीजिए। किस तरह भारत को भीतर से खोखला बनाने का अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र चल रहा है, उसका भी अनुमान लगा लीजिए। अपनी अगली पीढ़ियों के भविष्य पर विचार कर लीजिए।
1- इन दिनों भारत के करीब तीन करोड़ लोग तरह- तरह के खतरनाक ड्रग्स ले रहे हैं।
2- इस देश के महा नगरों में किसी भी दिन सौ से अधिक रेव पार्टियां होती हैं जिनमें लाखों डाॅलर के ड्रग्स की खपत होती है। ड्रग्स का असर अब शहरों व कस्बों में भी होता जा रहा है।(प्रभु चावला- दैनिक जागरण- 30 अक्टूबर 2021)
मेरी जानकारी के अनुसार तो यह गांवों तक फैल चुका है। जब शाहरूख खान जैसे नामदार लोग इस बात की घोषणा करेंगे कि मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा ड्रग्स ले तो खान के गांवों तक फैले प्रशंसक अपने निजी जीवन में क्या करेंगे…!
3- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार मुम्बई फिल्म जगत इन दिनों नशे की लहर पर सवार है। मुम्बई के नशे के व्यापार में सबसे बड़ा योगदान दाऊद इब्राहिम के लोगों का बताया जाता है।
फिल्म माफिया क्यों नहीं चाहता नोएडा में फिल्मसिटी बने
4- मुम्बई के फिल्म जगत के माफिया लोग नहीं चाहते हैं कि नोयडा में निर्माणाधीन फिल्म सिटी योजना सफल हो। यदि वह योजना सफल हो गई तो वहां योगी के रहते न तो दाऊद का चलेगा- न ही नशे के सौदागरों का।
5- किसी को यह पूछना चाहिए कि आर्यन ने क्रूज के रेव पार्टी में जाने की तारीख का चुनाव गांधी जयंती के दिन का ही क्यों किया?
मुंबई में क्या चल रहा मोदी को मालूम
उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में इस बात का अंदाजा लगाइए कि ड्रग्स व्यापार के खिलाफ इस ‘महाभारत’ में समीर बानखेड़े की जीत होगी या नवाब मलिक की? वैसे एक बात समझ लेने की है कि सन 2024 के लोकसभा चुनाव तक भले समीर को किसी चक्रव्यूह में फंसा दिया जाए किंतु केंद्र सरकार के समर्थन से अंततः महाभारत एन.सी.बी. ही जीतेगी।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत और मुकेश अंबानी के घर के सामने गाड़ी में विस्फोटक रखने की घटना के बाद मोदी सरकार को मुम्बई की मौजूदा स्थिति की गंभीरता का पता चल गया। अब मोदी सरकार की एन.सी.बी.को कोई नहीं रोक समता भले उसके मुखिया बानखेड़े हों या कोई अन्य।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख सोशल मीडिया से)