—सतीश सिंह
आर्थिक गतिविधियां शुरू होने की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 16.50 प्रतिशत तक की सिकुड़न आ सकती है। जबकि मई महीने में इसमें 20 प्रतिशत से ज्यादा की सिकुड़न आने की आशंका थी,क्योंकि उस समय देशभर में लॉकडाउन लगा था। आर्थिक गतिविधियों की राह में गतिरोध होने की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में दो अंकों में सिकुड़न आने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आय में गिरावट के बावजूद कारपोरेट सकल मूल्य संवर्धित (जीवीए) में थोड़ी बेहतरी आई है। हालांकि, समग्र जीवीए में 14.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि जीडीपी के आंकड़ों में मांग परिलक्षित होती है, जबकि जीवीए में आपूर्ति। आर्थिक विकास दर के आंकड़ों को समझने के लिये जीडीपी और जीवीए का विश्लेषण जरुरी होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमित
लॉकडाउन की वजह से कृषि, मछलीपालन, वानिकी, बिजली, गैस, जल आपूर्ति, लोक प्रशासन, रक्षा आदि को छोड़कर लगभग सभी अन्य क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है। करीब 1000 सूचीबद्ध कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही का वित्तीय परिणाम घोषित किया है, जिसके अनुसार कंपनियों की सकल आय में 25 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि शुद्ध आय में 55 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।
कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या शहरों में कम हो रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही है। जुलाई और अगस्त महीने में ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। नये मामलों के सन्दर्भ में ग्रामीण व कस्बाई इलाकों या छोटे जिलों की हिस्सेदारी बढ़कर 54 प्रतिशत हो गई है। ऐसे ग्रामीण जिलों की संख्या घटी है, जहां 10 से कम संक्रमितों के मामले थे। आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र, ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमितों की संख्या बढ़ने से ज्यादा परेशान हैं। संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 50 जिलों में से 13 जिले आंध्रप्रदेश के हैं, जबकि 12 जिले महाराष्ट्र के।
38 लाख करोड़ रुपए के जीएसडीपी का नुकसान
आंध्रप्रदेश के 13 जिलों में से 11 जिलों में ग्रामीण आबादी की बहुलता है, वहीं महाराष्ट्र के 12 जिलों में से 6 जिलों में ग्रामीण आबादी ज्यादा है। संक्रमितों की संख्या 1000 से 5000 वाले जिलों की संख्या भी जुलाई महीने में बढ़ी है। आंध्रप्रदेश का विजयनगरम और श्रीकाकुलम, महाराष्ट्र का जलगांव, अहमदनगर, कोल्हापुर और सतारा, ओडिशा का गंजाम, कर्नाटक का बेल्लारी और उडुपी, उत्तरप्रदेश का गोरखपुर आदि जिलों में संक्रमितों की संख्या ज्यादा है। इन जिलों का अपने राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 2 से 4 प्रतिशत का योगदान है, जबकि आंध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिला का जीएसडीपी में 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
जीएसडीपी के कुल नुकसान में शीर्ष 10 राज्यों की हिस्सेदारी 73.8 प्रतिशत है। इसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत है, जबकि तमिलनाडु की 9.2 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश की 8.2 प्रतिशत। इन 10 राज्यों में कुल संक्रमितों की संख्या देश में कुल संक्रमितों की संख्या का 81 प्रतिशत है। कोरोना महामारी की वजह से 38 लाख करोड़ रुपए के जीएसडीपी का नुकसान हो चुका है, जो 6 राज्यों के संचयी जीएसडीपी के बराबर है और यह कुल जीएसडीपी का 16.9 प्रतिशत है। कोरोना महामारी की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति नुकसान 27,000 रुपए है, जबकि तमिलनाडु, गुजरात, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना और हरियाणा में प्रति व्यक्ति नुकसान वित्त वर्ष 2020-21 में 40,000 रुपए से अधिक होने का अनुमान है।
अभी बढ़ रही संक्रमितों की संख्या
30 जुलाई के बाद से भारत में औसतन 58000 संक्रमितों के नये मामले आ रहे हैं। भारत में रिकवरी दर 71 प्रतिशत है, लेकिन यहां अभी भी संक्रमण शिखर पर नहीं पहुंचा है। ब्राजील में 69 प्रतिशत की रिकवरी दर पर संक्रमण शिखर पर पहुंच गया था। एक अनुमान के अनुसार भारत में रिकवरी दर के 75 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने पर संक्रमण अपने शिखर पर पहुंच सकता है। हालांकि, यह एक तकनीकी अनुमान है। विश्व के देशों में संक्रमितों की संख्या के शिखर पर पहुंचने की अलग-अलग कहानी है। उदाहरण के तौर पर अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की संख्या दो बार शिखर पर पहुंच चुकी है। इसलिये, यह कहना समीचीन नहीं होगा कि रिकवरी दर और संक्रमितों की संख्या के शिखर पर पहुंचने के बीच कोई सीधा संबंध है।
भारत के राज्यों में संक्रमितों की संख्या में अभी भी बढ़ोतरी हो रही है। अनेक राज्यों में 10 लाख की आबादी में संक्रमण की जांच बहुत ही कम हो रही है। हालांकि दिल्ली, गुजरात, जम्मू व कश्मीर, त्रिपुरा और तमिलनाडु में संक्रमितों की संख्या शिखर पर पहुंच चुकी है, लेकिन महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में संक्रमण की दर ज्यादा है। इन राज्यों में संक्रमितों की संख्या को शिखर तक पहुंचने में कुछ और महीने लग सकते हैं। भारत के 27 राज्यों में से 22 राज्यों में संक्रमितों की संख्या अभी भी शिखर पर नहीं पहुंची है।
भारत में संक्रमितों की संख्या के दोगुनी होने में केवल 22 दिन लग रहे हैं, जो फिलीपिंस और अर्जेंटिना के बराबर है। अमेरिका में 23 दिनों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही है।
लंबा समय लग सकता है कोरोना से उबरने में
देश में पहले जान को बचाने के लिये जहान को 25 मार्च से पूर्ण रूपेण बंद कर दिया गया, लेकिन जैसे ही जहान के बंद होने से लोगों के मरने की नौबत आई तो जल्दीबाजी में अनेक राज्यों ने लॉकडाउन को अनलॉक कर दिया। और जब कोरोना का प्रकोप बढ़ने लगा तो फिर से लॉकडाउन लागू कर दिया गया। ऐसी नीतिगत विसंगतियों की वजह से मृत्यु दर में 0.55 से 3.5 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि होने का अनुमान है, क्योंकि एक लाख की आबादी पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में क्वारंटाइन की पर्याप्त व्यवस्था अभी भी नहीं है। इन राज्यों में संक्रमितों के लिये प्रतिबद्ध अस्पतालों की संख्या भी न्यून है।
सबसे अच्छी व्यवस्था कर्नाटक में है। दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है। ऐसे प्रतिकूल परिदृश्य में कोरोना महामारी से उबरने में भारत को लंबा समय लग सकता है। हालांकि, जान के साथ-साथ जहान को बचाने की कोशिश सरकार कर रही है, लेकिन उसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं)
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