अब नॉर्थ ईस्ट न ही दिल्ली से दूर है और न ही दिल से दूरः पीएम मोदी।
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मतगणना खत्म हो गया है। आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपुरा और नागालैंड में सत्ता की तस्वीर साफ हो गई है। त्रिपुरा में बीजेपी, तो नागालैंड में एनडीपीपी (बीजेपी गठबंधन) की सत्ता में वापसी हो गई है। मतलब दोनों राज्यों में भाजपा सरकार बनना तय है। मेघालय में पेंच जरूर फंसा है, लेकिन यहां भी पिछली बार के मुकाबले भाजपा ने बढ़त हासिल की है। यहां एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 2018 में एनपीपी ने भाजपा और यूडीपी के साथ मिलकर ही सरकार बनाई थी। ऐसे में पूरी संभावना है कि इस बार भी सरकार बनाने के लिए ये तीनों दल एक साथ आ जाएं।
तीनों राज्यों में 60 सदस्यीय विधानसभा हैं। त्रिपुरा में 16 फरवरी को 60 सीटों के लिए चुनाव कराए गए थे, जबकि मेघालय और नगालैंड में 59-59 सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव हुए थे। त्रिपुरा में जहां अकेली बीजेपी ने ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, वहीं नगालैंड में बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन ने बंपर जीत दर्ज की है। उधर मेघालय में कोनराड संगना की सत्ताधारी एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन 27 सीटों के साथ बहुमत से दूर रह गई है। इस बीच बीजेपी ने यहां सरकार गठन में एनपीपी को समर्थन देने का ऐलान किया है।
बहरहाल, तीनों राज्यों के चुनावी नतीजों ने सबसे ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। त्रिपुरा में लेफ्ट से गठबंधन करने के बाद कांग्रेस को जरूर दो सीटों की बढ़त मिली है, लेकिन यहां भी सरकार से दूर ही रहना पड़ेगा। नगालैंड में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं, मेघालय में 21 से पांच सीटों पर कांग्रेस आकर सिमट गई। मतलब यहां कांग्रेस को 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। 2018 में कांग्रेस ने यहां 21 सीटों जीतीं थीं, हालांकि बाद में इनके ज्यादातर विधायक टूटकर टीएमसी में चले गए थे।

पहले जान लेतें हैं चुनाव के नतीजे
त्रिपुरा
यहां भारतीय जनता पार्टी ने आईपीटीएफ के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन कर लिया था। चुनाव के नतीजों में भाजपा ने सूबे में अपनी सत्ता बरकरार रखी। भाजपा को 30 सीटों पर जीत मिल चुकी है और दो पर बढ़त बनी हुई है। भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली IPFT ने एक सीट पर जीत हासिल की है। कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि लेफ्ट के खाते में 11 सीटें आईं।
किस पार्टी को कितनी सीटों पर जीत मिली?
पार्टी/गठबंधन सीटें
भाजपा+ 33
सीपीआई (एम)+कांग्रेस+अन्य 14
टिपरा मोथा 13
अन्य 00
नगालैंड
इस बार नगालैंड की 59 सीटों पर चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) का गठबंधन हुआ। इसके अलावा कांग्रेस और एनपीएफ अलग-अलग चुनाव लड़े। 19 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी चुनाव में ताल ठोकी थी। 2018 में यहां विधानसभा के सभी 60 सदस्य सरकार का हिस्सा बन गए थे। मतलब कोई भी विपक्ष में नहीं था। इस बार भी यहां भाजपा गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की। भाजपा के 20 में से 13 उम्मीदवार चुनाव जीत गए। वहीं, एनडीपीपी के 40 में से 25 प्रत्याशी विजयी हुए। कांग्रेस यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई।

किस पार्टी को कितनी सीटों पर जीत मिली?
पार्टी/गठबंधन सीटें
बीजेपी+एनडीपीपी 38
कांग्रेस 00
एनपीएफ 02
एनसीपी 07
दो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 02
एनपीपी 05
आरपीआई 02
निर्दलीय 04
मेघालय
सबसे रोमांचक मुकाबला मेघालय में हुआ। 59 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों ने आज सभी को हैरान कर दिया। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इनके 25 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर यूडीपी रही। भाजपा के तीन, टीएमसी के पांच, कांग्रेस के पांच, एचएसपीडीपी, पीडीएफ के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। दो निर्दलीय विधायक भी चुने गए। वाइस ऑफ द पीपल पार्टी के चार उम्मीदवार चुनाव जीत गए।
किस पार्टी को कितनी सीटों पर जीत मिली?
पार्टी/गठबंधन सीटें
एनपीपी 25
टीएमसी 05
बीजेपी 03
कांग्रेस 05
यूडीपी 11
वाइस ऑफ द पीपल पार्टी 04
एचएसडीपी 02
पीडीएफ 02
निर्दलीय 02

कांग्रेस क्यों फेल हुई?
इसे समझने के लिए हमने पूर्वोत्तर राज्यों की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक संजय मिश्र से बात की। उन्होंने कांग्रेस के फेल होने के कुछ कारण बताए।
कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बना रखी थी दूरी
पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में कांग्रेस ने कोई मेहनत नहीं की। राहुल गांधी ने केवल मेघालय में एक चुनावी रैली की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कम ही नजर आए। राहुल, खरगे समेत सभी बड़े नेताओं के इससे दूर रहने की बड़ी वजह यह हो सकती है, जबकि इनके मुकाबले भाजपा कहीं ज्यादा सक्रिय दिखी।(एएमएपी)



