देश-दुनिया के इतिहास में 16 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। साल 2003 में इसी तारीख को भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने नासा के कोलंबिया स्पेस शटल से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी।, लेकिन वे दोबारा धरती पर लौट नहीं पाईं। धरती पर लौटते समय 01 फरवरी, 2003 को कल्पना का स्पेस यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में इस स्पेस शिप में सवार कल्पना चावला समेत सभी सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।कल्पना चावला का जन्म 01 जुलाई 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। वे अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। कल्पना को बचपन से ही अंतरिक्ष से लगाव था। उनकी शुरुआती शिक्षा करनाल से हुई। इसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक किया। 1982 में वो अमेरिका चली गईं थी। उन्होंने टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। 1986 में उन्होंने इसी विषय पर दूसरी मास्टर डिग्री और फिर पीएचडी की। कल्पना चावला ने 1983 में फ्रांस के जॉन पियर से शादी की थी। वे पेशे से फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे।
कल्पना चावला को 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिली और उसी साल वे नासा से जुड़ीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा स्पेशल शटल प्रोग्राम में चुनी गईं। 19 नवंबर 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल (एसटीएस-87) के जरिए कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू हुआ। इसके साथ ही वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला बन गईं। उस समय कल्पना की उम्र 35 साल थी। अपनी पहले अंतरिक्ष मिशन पर कल्पना चावला ने 65 लाख मील से अधिक की दूरी तय की और अंतरिक्ष में 376 घंटे (15 दिन और 16 घंटे) से अधिक बिताए। कल्पना चावला की यह आखिरी सफल अंतरिक्ष यात्रा साबित हुई। 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला अपने दूसरे और जीवन के आखिरी स्पेस मिशन का हिस्सा बनीं। (एएमएपी)