डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ।
अभी ऐसी स्थिति है कि कोरोना के हर रोगी को बेड दे पाना अस्पतालों के लिए संभव नहीं रह गया है। तमाम लोग जो घरों में हैं और जिनको छोटी-मोटी समस्याएं हैं, वे भी अकारण दहशत में हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि ज्यादातर लोग घर पर ही रह कर ठीक हो सकते हैं। ज्यादा पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है।
बदल गया है कोरोना
दस महीने पहले मैं ही कहता था कि जिस तरह हर चमकती चीज सोना नहीं होती, उसी तरह हर टपकती नाक या हर बुखार कोरोना नहीं होता। लेकिन अब पैमाने बदल गए क्योंकि कोरोना बदल गया है। उसके लक्षण बदल गए हैं। यह पिछले साल वाला कोरोना नहीं रह गया है।
लक्षण हज़ार
आज की सच्चाई है कि हर बुखार को कोरोना का लक्षण माना जाना चाहिए जब तक कि स्थापित ना हो जाए कि आप करोना पॉजिटिव नहीं हैं। अगर आपको टाइफाइड हो जाता है और जांच में साबित हो जाता है कि टाइफाइड है, तब भी आपको कोरोना परीक्षण कराना चाहिए। निमोनिया पॉजिटिव आ जाए तब भी कोरोना का टेस्ट कराइए। आज की तारीख में करोना इतनी तेजी से रंग बदल रहा है और उसके इतने बदलते हुए लक्षण हैं कि सिर से पैर तक कोई भी समस्या कोरोना हो सकती है। केवल सिर दर्द होना या केवल छींक आना भी कोरोना का लक्षण हो सकता है। सिर्फ आंखों में खुजली हो या सिर्फ गले में खराश हो- यह भी करोना की उपस्थिति का लक्षण हो सकता है।
अगर आपको कोई भी असामान्य लक्षण दिखे तो पहला काम यह करना है कि किसी भी डॉक्टर को फोन नहीं करना है सबसे पहले खुद घर मे आइसोलेशन में चले जाना है। और कोरोना का टेस्ट कराना है।
कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है तो…
कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है कि कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है, तब आप क्या करेंगे। तब आप उसी समय यह मान लीजिए कि टेस्ट हम नहीं करा पा रहे हैं लेकिन हमें है कोरोना ही।
उपचार प्रोटोकॉल
तुरंत भाप लेना शुरू कर दें- कम से कम दिन में तीन बार। विटामिन बी, सी, डी, ई और जिंक के अलावा और इसमें दो दवाइयां प्रमुख हैं। एक है आइवरमेक्टिन 12 मिलीग्राम। दूसरी डॉक्सीसाइक्लिन 100 मिलीग्राम। डॉक्सीसाइक्लिन का एक कैप्सूल सुबह और एक कैप्सूल शाम। और आइवरमेक्टिन एक एक गोली खाना खाने के दो घंटे बाद। यह 5 दिन लेना है।
बुखार के लिए पेरासिटामोल ले सकते हैं। जिनका वजन 60 किलो से कम है वे 500 मिलीग्राम और जिनका वजन 60 किलो से ज्यादा है वे 650 मिलीग्राम की गोली दिन में तीन बार लें। लेकिन अगर बुखार ज्यादा है तो दिन में 5 बार तक ले सकते हैं।
तीन बातों पर नजर
और नजर केवल तीन चीजों पर रखनी है आपको- ऑक्सीजन, टेंपरेचर और पल्स। अगर पल्स 120 से ऊपर जाए तो अस्पताल की जरूरत है। ऑक्सीजन 94 से नीचे जाए तो आपको अस्पताल की जरूरत है। और बुखार अगर 104 से ऊपर चला जाए और दवा से भी ना उतरे तो अस्पताल जाने की जरूरत है।
इसके पहले आप अस्पताल के लिए मत घबराइए। जो प्रोटोकॉल मैंने बताया है आप इसी ट्रीटमेंट पर चलते रहिए। मेरा वादा है की 99 परसेंट आप घर पर इसी प्रोटोकॉल से ठीक हो जाएंगे।
आरटीपीसीआर को चकमा
मेरे पास ऐसे कई पेशेंट आए और अभी भी भर्ती हैं जिनकी तीन-तीन बार आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लेकिन सीटी स्कैन में उनके फेफड़े में समस्या है… और यह कोरोना के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता।
मैंने जो ट्रीटमेंट बताया यह ट्रीटमेंट पांच दिन चलता है। अगर उसके बाद भी बुखार रहता है तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। लेकिन मैं फिर कहूंगा कि ज्यादा फीवर, ऑक्सीजन का सैचुरेशन, पल्स रेट- यह सब पांच दिन के भीतर ठीक हो जाएगा, अगर आप नियम से उपचार करें, पैनिक न हों और खुश रहें।
(डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी केजीएमयू, लखनऊ में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष और कोविड-19 प्रबंधन के प्रभारी हैं)
(प्रस्तुति- अजय विद्युत)