मलयेशिया की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केलंतन राज्य की ओर से पारित करीब 16 इस्लामी (शरिया) कानूनों को असांविधानिक घोषित कर दिया। अदालत ने कहा, यह ऐसे कानून थे जो देश के अन्य हिस्सों में लागू समान शरिया कानूनों को प्रभावित करते।नौ सदस्यीय पीठ ने कहा, परिवार में व्यभिचार, जुआ, यौन उत्पीड़न और पूजा स्थलों को अपवित्र करने जैसे अपराध नागरिक कानून के तहत आते हैं। केलंतन राज्य ने इसे शरिया कानून में शामिल कर लिया, इसलिए अदालत 8-1 से इस फैसले को अमान्य घोषित करती है। मुख्य न्यायाधीश तेंगकु मैमुन तुआन मैट ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर राज्य (केलंतन) के पास कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि इन विषयों पर कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास ही है। उन्होंने कहा, इन प्रावधानों के सार संघीय सूची के तहत आते हैं।
बता दें कि मलयेशिया में दोहरी कानूनी प्रणाली है। इस्लामी कानून (शरिया) और नागरिक कानून। इस्लामी कानून राज्य विधानसभाओं द्वारा जबकि नागरिक कानून संसद द्वारा अधिनियमित किए जाते हैं। केलंतन राज्य में 2021 में पारित विशिष्ट शरिया कानूनों के खिलाफ एक वकील और उनकी बेटी ने सांविधानिक चुनौती दी थी। मलयेशिया के पूर्वोंतर राज्य केलंतन में पार्टी इस्लाम से मलेशिया (पीएएस) संगठन की सरकार है, जो सख्त इस्लामी कानून को लागू करने की वकालत करती रही है।
किन कानूनों पर पड़ेगा अदालत के आदेश का असर
अदालत के इस आदेश के बाद शरिया के उन कानूनों पर असर पड़ेगा जिनमें कुकर्म, यौन उत्पीड़न, अनाचार और ‘क्रॉस ड्रेसिंग’ (विपरीत लिंग से संबंधित कपड़े पहनना) से लेकर झूठे सबूत देने तक के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया था। अदालत ने कहा कि राज्य इन विषयों पर इस्लामी कानून नहीं बना सकते, क्योंकि वे मलेशियाई संघीय कानून के अंतर्गत आते हैं। मलेशिया में दो स्तरीय कानून प्रणाली है, जिसमें शरिया के तहत मुस्लिमों के व्यक्तिगत और पारिवारिक मामले आते हैं और सिविल कानून भी हैं। मलय जातीय समूह की परिभाषा के तहत सभी लोगों को मलेशियाई कानून के तहत मुस्लिम माना जाता है।
कोर्ट के बाहर जमा हो गए थे PAS समर्थक
देश की 3.3 करोड़ आबादी में से दो तिहाई आबादी मलय जातीय समूह की है, जबकि बड़ी संख्या में चीनी और भारतीय अल्पसंख्यक भी देश में रहते हैं। शरिया इस्लामी कानून हैं, जो कुरान और हदीस पर आधारित हैं। अदालत में कानूनों को चुनौती 2020 में ग्रामीण पूर्वोत्तर राज्य केलंतन की 2 मुस्लिम महिलाओं ने दी थी। राज्य की कुल आबादी में 97 प्रतिशत मुस्लिम हैं। केलंतन पर 1990 से रूढ़िवादी पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी या PAS का शासन रहा है। PAS के सैकड़ों समर्थक शुक्रवार को कोर्ट के बाहर जमा हो गए और शरिया कानूनों की रक्षा करने की मांग की।
‘आज शरिया कानून के लिए काला शुक्रवार है’
PAS के महासचिव तकियुद्दीन हसन ने फैसले के बाद कहा, ‘आज हम बहुत दुखी हैं। आज शरिया कानून के लिए काला शुक्रवार है। जब एक इलाके में शरिया कानून अवैध हो गया, तो अन्य राज्यों के शरिया कानूनों को भी यही खतरा हो सकता है।’ PAS मलेशियाई संसद में विपक्ष में है और यह सबसे बड़ी पार्टी है। पार्टी का मलेशिया के 13 में से 4 राज्यों पर शासन है। PAS सख्त इस्लामी कानूनों का समर्थन करती है। वह हुदूद नामक आपराध संहिता लागू करने की मांग कर रही थी, जिसमें चोरी के लिए अंग-भंग और व्यभिचार के लिए पत्थर मारकर हत्या जैसे दंड शामिल थे, लेकिन इसे संघीय सरकार ने अवरुद्ध कर दिया था।
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मामले का देश में इस्लाम की स्थिति से कोई लेना देना नहीं
कोर्ट ने कहा, इस मामले का देश में इस्लाम की स्थिति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि केलंतन की विधायिका ने अपनी शक्तियों से परे जा कर काम किया है। उन्होंने कहा, देखा जाए तो सिविल कोर्ट की ओर से इस्लाम या शरिया अदालतों को समर्थन न देने का मुद्दा ही नहीं उठता।
केलंतन सरकार ने कहा, हम सुल्तान से परामर्श करेंगे
केलंतन सरकार के अधिकारी मोहम्मद फाजली हसन ने फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य अपने निर्णय और इस्लामी कानून पर अपने शाही शासक सुल्तान मुहम्मद वी से परामर्श करेगा। बता दें कि मलयेशिया के 13 राज्यों में से नौ का नेतृत्व राजा करते हैं जो इस्लाम के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।(एएमएपी)