इससे पहले बीते शुक्रवार को फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माताओं की ओर से दायर याचिका पर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सिनेमाघरों में दिखाए जाने के तीन दिन बाद ही इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल करते हुए कहा था कि फिल्म को देश के बाकी हिस्सों में बिना किसी समस्या के प्रदर्शित किया जा रहा है और इस पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं दिख रहा।
पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, ”देश के बाकी हिस्सों में फिल्म दिखाई जा रही है जिसमें वे राज्य भी शामिल हैं जिनकी जनसांख्यिकीय संरचना समान है और वहां कुछ नहीं हुआ। इसका फिल्म के कलात्मक मूल्य से कुछ नहीं लेना-देना है। यदि लोग फिल्म को नहीं पसंद करते, तो वे फिल्म को नहीं देखेंगे।”
कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा था कि खुफिया जानकारी के मुताबिक, यहां कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है और विभिन्न समुदायों के बीच शांति भंग हो सकती है। पीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ का प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में स्पष्ट करे। पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी से कहा, ”राज्य सरकार नहीं कह सकती कि जब सिनेमाघरों पर हमला किया जाता है और कुर्सियों को जलाया जाता है, तो वह मुंह मोड़ लेगी।” इसके बाद बेंच ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, दोनों ही राज्यों को नोटिस जारी कर दिया था।(एएमएपी)