ज्ञानवापी मामले में बुधवार को बड़ा फैसला आया है। वाराणसी की अदालत ने यह फैसला हिंदूओं के पक्ष में सुनाया है। फैसले के मुताबिक, ज्ञानवापी तहखाने में हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिला गया है। बता दें कि ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा किए संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली गई थी। अदालत ने इस प्रकरण में बुधवार को अपना आदेश सुनाया। आदेश के मुताबिक अब हिंदू पक्ष को तहखाने में पूजा करने की अनुमति मिल गई है।

सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने डीएम को सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से रखे गये पुजारी यहां पूजा करेंगे। पूजा के लिए लोहे के बाड़ हटाकर रास्ता देने के लिए भी डीएम को आदेश किया गया है। पिछले ही हफ्ते अदालत के आदेश पर व्यास जी के तहखाने की चाबी डीएम ने अपने कब्जे में ली थी। हिन्दू पक्ष के वकील आज के फैसले को राममंदिर का ताला खुलवाने जैसा मान रहे हैं। इस तहखाने पर 1993 से पहले पूजा पाठ होती थी। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के बाद ज्ञानवापी के चारों तरफ प्रशासन ने लोहे की बैरिकेडिंग कर दी थी। इससे तहखाने में जाने का रास्ता बंद हो गया था और पूजा पाठ भी बंद हो गई थी।

नाती शैलेंद्र व्यास ने अदालत से लगाई थी गुहार

काशी विश्वनाथ मंदिर में बने नंदी के ठीक सामने स्थित ज्ञानवापी के इस तहखाने में 1993 से पहले सोमनाथ व्यास का परिवार नियमित पूजा पाठ करता था। लोहे की बैरिकेडिंग लगने से वहां आना-जाना बंद हो गया औऱ पूजा पाठ भी बंद हो गई थी। पिछले साल जब ज्ञानवापी में स्थित शृंगार गौरी में पूजा की इजाजत समेत कई मामले दाखिल हुए तो तहखाने में भी दोबारा पूजा पाठ के लिए व्यास जी के नाती शैलेंद्र व्यास ने अदालत से गुहार लगाई थी।

उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 1993 से तहखाने में पूजा पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। तहखाने को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति दी जाए। अदालत के 17 जनवरी को डीएम को तहखाने को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया। इसके बाद  24 जनवरी को तहखाना डीएम ने अपनी सुपुर्दगी में ले लिया था।

वहीं, मंगलवार को भी इस पर सुनवाई हुई और नियमित पूजा पाठ की मांग का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए दलील दी कि अदालत ने केवल रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया है। उसमें पूजा अधिकार का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए वाद को निस्तारित मानते हुए खारिज किया जाए।

पूजा का अधिकार मिलने पर संतों ने जताई खुशी

ज्ञानवापी केस में वाराणसी जिला कोर्ट का व्यासजी के तहखाने में पूजा का अधिकार हिन्दू पक्ष को मिलने का आदेश आने पर संत समाज ने खुशी जाहिर करते हुए फैसले का स्वागत किया है। मां, गौ गंगा सेवा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि ब्रिटिश काल से ज्ञानवापी के तहखाने में हिन्दू समाज पूजा करता आया है। कोर्ट के निर्णय के बाद सच्चाई उजागर हुई है। संत समाज कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी स्थल पर मंदिर था और हमेशा रहेगा। ज्ञानवापी परिसर के अंदर और बाहर देवी-देवताओं की मूर्तियों का मिलना, हिन्दू अभिलेखों का अंकित होना, दीवारों पर त्रिशूलों के निशान और संस्कृत भाषा का लेखन दर्शाता है कि ज्ञानवापी स्थल पर अनादि काल से मंदिर रहा है। पूजा का अधिकार मिलने के बाद हिन्दू समाज को खोई हुई सांस्कृतिक विरासत प्राप्त हो रही है।

हिंदू समाज की बड़ी जीत

युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवम महाराज एवं महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू समाज की बड़ी जीत हुई है। संत समाज सहित समस्त सनातन प्रेमियों के लिए हर्ष का विषय है। बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से आज न्याय हुआ है। जल्द ही राम मंदिर की तरह ही ज्ञानवापी परिसर में भव्य दिव्य मंदिर का निर्माण होगा। तीस वर्ष से अधिक समय के बाद हिन्दू समाज द्वारा पूजा अर्चना की जाएगी जो देशवासियों के लिए गौरव का दिन होगा। कोर्ट के निर्णय से हिन्दुओं की आस्था का सम्मान हुआ है।

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इसी तरह स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा हठयोगी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि,महंत सूरज दास, महंत दिनेश दास,महंत गुरमीत सिंह, महंत अरुण दास, महंत अनंतानंद, महंत लोकेश दास, महामनीषी निरंजन स्वामी, स्वामी नित्यानंद, महंत श्रवण मुनि, महंत कृष्ण मुनी सहित अनेक संतों ने कोर्ट के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है।(एएमएपी)