सुनील जाखड़ को मिली पंजाब की कमान।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने अब संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। मंगलवार को भाजपा ने कई राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए। पंजाब में उसने सुनील जाखड़ को पार्टी की कमान सौंपी है, जो बीते साल ही कांग्रेस छोड़कर आए थे। इसके अलावा तेलंगाना में केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश में डी. पुरंदेश्वरी को अध्यक्ष बनाया गया है।

बाबूलाल मरांडी को दी झारखंड की कमान

झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को सूबे का अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा ने जिन 4 नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, उनमें से जी. किशन रेड्डी पर्यटन मंत्री हैं। ऐसे में इस बात के भी कयास अब तेज हो गए हैं कि मोदी सरकार की कैबिनेट में भी फेरबदल होगा। आमतौर पर भाजपा एक व्यक्ति एक पद की नीति पर काम करती रही है। ऐसे में जी. किशन रेड्डी को मंत्री पद से हटाया जा सकता है ताकि वह तेलंगाना में पूरा समय दे सकें। भाजपा ने जिन लोगों को अध्यक्ष बनाया है, उनमें से दो सुनील जाखड़ और डी. पुरंदेश्वरी का कांग्रेस से लंबा रिश्ता रहा है।

आंध्र प्रदेश की अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी ने मार्च 2014 में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इसके अलावा सुनील जाखड़ तो दशकों का रिश्ता तोड़कर बीते साल ही कांग्रेस से भाजपा में आए थे। इसके अलावा झारखंड में पार्टी ने बागी रहे बाबूलाल मरांडी को कमान दी है। फिलहाल वह झारखंड में विपक्ष के नेता हैं और मजबूती से सदन में बात रखते हैं। लेकिन वह एक बार भाजपा का साथ छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा भी बना चुके हैं।

अलग पार्टी भी बना चुके हैं बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी 4 बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। उन्हें राज्य के ईमानदार और कद्दावर नेताओं में से एक माना जाता है। छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े बाबूलाल मरांडी के कई मुद्दों पर भाजपा से मतभेद थे, जिसके चलते उन्होंने नई पार्टी बना ली थी। बाबूलाल मरांडी 2006 में भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन 2019 में फिर से अपनी पार्टी का विलय करके घर वापसी कर ली थी।

पीएम मोदी, शाह और नड्डा ने की थी अहम बैठक

इससे पहले 28 जून को देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। इस बैठक से भी पहले अमित शाह ने नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार के साथ कम से कम पांच मैराथन बैठक की थी। पांच जून, छह जून और सात जून को इन शीर्ष नेताओं ने भाजपा मुख्यालय पर लंबी बैठक कर पार्टी में बदलाव की रूपरेखा तैयार की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में इन बदलावों पर चर्चा हुई और पीएम ने बदलावों पर अपनी मुहर लगाई।

क्‍या है बदलाव का कारण?

जिस तरह विपक्षी दलों ने पटना में एकता बैठक कर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की, उससे भी पार्टी को अपनी चुनावी तैयारियों को दुबारा सही करने की जरूरत महसूस हुई। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों ने भी पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई। कांग्रेस ने जिस तरह विभिन्न राज्यों में मुफ्त चुनावी वादों से चुनावी समीकरणों में नया पेंच पैदा किया है, केंद्र सरकार के सामने उससे निपटना नई चुनौती हो गई है। बदलावों में इन सभी चुनौतियों से निपटने की रणनीति दिखाई दे रही है।(एएमएपी)