सुविधा देने के नाम पर घरों में करते थे रैकी, फिर उन्‍हें प्रलोभन देकर लाया जाता था ईशु की शरण में

डॉ. मयंक चतुर्वेदी।

मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अवैध रूप से संचालित आंचल चिल्ड्रन होम मामले में जैसे-जैसे वक्‍त गुजरता जा रहा है, हर रोज नए खुलासे सामने आ रहे हैं। इसका संचालक एवं पूर्व में संजीवनी एनसीओ के माध्‍यम से रेलवे चाइल्‍ड लाइन चलानेवाला अनिल मैथ्‍यू कोई अकेला शक्‍स नहीं, बल्‍कि इसके साथ कैथोलिक चर्च की बहुत बड़ी मशीनरी काम कर रही थी, जिसमें कि कई फादर और सिस्‍टर्स के साथ अन्‍य नौकरी पेशा एवं सामाजिक कार्यकर्ता व लोग पूरी तरह से लिप्‍त हैं। यह एक बड़ा जाल है, जोकि बच्‍चों का ईसाईत की आड़ में ह्यूमन ट्र‍ेफिकिंग का संचालन कर रहा है। इसके तार करोड़ों की विदेशी फंडिंग से जुड़े हुए हैं।  देश भर से भी यह सेवा के नाम पर धन उगाही करते हैं ।

अनिल मैथ्‍यू तो सिर्फ एक मोहरा, ठीक से जांच होने पर सामने आएंगे कई अन्‍य नाम

उल्‍लेखनीय है, जब तक केंद्र सरकार के सहयोग से चाइल्‍ड लाइन इंडिया फाउण्‍डेशन के पास 1098 चाइल्‍ड हेल्‍पलाइन का काम था, उसके साथ जुड़कर केंद्र की करोड़ों रुपए की राशि लेकर उसका इस्‍तेमाल अवैध तरीके से कन्‍वर्जन में ये करते रहे, यदि जांच सही से हो जाए तो इसमें कई अन्‍य लोगों का सच एकदम से उजागर होगा। अनिल मैथ्‍यू तो सिर्फ एक मोहरा है न जाने कितने ऐसे मैथ्‍युओं का सच बाहर आएगा और ये सच समाज जान पाएगा कि आखिर क्‍यों देश के स्‍वाधीन होते ही नियोगी कमीशन की रिपोर्ट देश भर में लागू किए जाने की बात तत्‍कालीन नेहरु सरकार से जनसंघ एवं अन्‍य विपक्षी दलों ने की थी।

कन्‍वर्जन प्रैक्‍टिस का बड़ा खेल

दरअसल, राष्‍ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो, राज्‍य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के अध्‍यक्ष द्रविन्‍द्र मोरे, सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा एवं ओंकार सिंह ने जब इस  चिल्ड्रन होम पर छापा मारा तब उन्‍हें भी अंदाज नहीं था कि मामला इतना गंभीर है। अब जैसे-जैसे समय बीत रहा है, इससे जुड़े एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं । आंचल नाम के इस चिल्ड्रन होम में कुल 68 बच्चियां रजिस्टर्ड मिलीं। जिनमें से 41 बच्चियां ही मौके पर पाई गईं एवं अन्‍यों का उनके घर जाना बताया गया । इसकी शिकायत पर परवलिया पुलिस ने शनिवार को हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

विभागीय अधिकारियों ने की दिखावटी कार्रवाई

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मुख्य सचिव वीरा राणा से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी । जिसमें कि महिला बाल विकास विभाग ने त्‍वरित कार्रवाई करते हुए लापरवाही बरतने के नाम पर अपने एक पूर्व परियोजना अधिकारी समेत तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया । अब इसमें भी खुलासा हुआ है कि जिन लोगों को सस्पेंड किया गया, उनका तो इस मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है। सीएम मोहन यादव को दिखाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने यह दिखावटी कार्रवाई की।

चिल्ड्रन होम का रजिस्ट्रेशन तक नहीं

आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन इतना अवैध है कि चिल्ड्रन होम का रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया गया । यहां सखी गईं सभी बच्चियां सड़क और रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कर के लाई गईं थीं। इनमें अनाथ बच्चियां भी थीं, जो एनजीओ सरकारी एजेंसी चाइल्ड लाइन के रूप में बच्चों को रेस्क्यू कर रही थी। उसी ने बच्चों को गुपचुप ढंग से इस अवैध बाल गृह में रखा था।  इसमें कन्‍वर्जन की प्रैक्‍टिस कराए जाने के ढेरों सबूत मौजूद हैं।

भोपाल-इंदौर रोड स्थित इस चिल्ड्रन होम से जो लड़किया अपने घर जाना बताई गईं, वे भी इसीलिए यहां से घर जाने का बहाना बनाकर कुछ दिन का अवकाश लेकर जाने की बात कहकर इसलिए भागी, क्‍योंकि उन्‍हें यहां का माहौल और ईसाई प्रार्थना एवं दिन भर – ईसाई बनाए जाने का मनोविज्ञान रास नहीं आ रहा था। ऐसे में इन सभी ने किसी भी तरह से अपने घर वापिस पहुंचजाने में ही समझदारी समझी। इस संबंध में अब एक से बढ़कर एक सनसनीखेज खुलासे मीडिया में हो रहे हैं।

अकेले जर्मनी से ही सीएमआई व डाई स्टर्न सिंगर ने की करोड़ों की फंडिंग

आंचल  चिल्ड्रन होम का संचालन कर रही संजीवनी सर्विसेस सोसाइटी को जर्मनी से लगातार करोड़ों की फंडिंग मिली है, जिसके कि साक्ष्‍य भी सामने आ गए हैं। इस संस्‍था को फंड देनेवाले ज्‍यादातर लोग जर्मनी की कार्मेलाइट्स ऑफ मेरी इमैक्यूलेट (सीएमआई) नाम की संस्था से जुड़े हुए पाए गए हैं। भोपाल के बच्‍चों के ऊपर डॉक्यूमेंट्री फिल्‍म बनाई गई थीं, जिनके जरिए जर्मनी की संस्‍था ‘डाई स्टर्न सिंगर’ जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देशों से गरीब बच्‍चों की मदद करने के नाम पर फंड इकट्ठा करती थी और फिर उसी में से इस चिल्ड्रन होम संचालन के लिए रुपया भेज दिया जाता था। अकेले 2020 में ही एक करोड़ 22 लाख रुपए से ज्यादा का फंड इसे दिया गया। इसके अलावा भी खुले तौर पर अन्‍य देशों व लोगों से सेवा के नाम पर फंड करने की जानकारी सामने आई है।

गरीब और मजबूर परिवारों को बनाते हैं निशाना

कैथोलिक चर्च से जुड़े अनिल मैथ्‍यू समेत पूरे जाल की बात की जाए तो मध्‍यप्रदेश में हर जिले में इसके लोग सक्रिय हैं, जोकि गरीब परिवारों से संपर्क बनाते हैं, उन्‍हें जरूरत के हिसाब से आर्थ‍िक मदद मुहैया कराते हैं और फिर उनके बच्‍चों के लिए सुनहरे भविष्‍य का स्‍वप्‍न दिखाकर उन्‍हें आंचल  चिल्ड्रन होम जैसी संस्‍थाओं में बचपन से ही ले आते हैं ताकि लम्‍बे समय तक चर्च की प्रैक्‍टिस कराए जाने के बाद वे स्‍वत: से ही 18 वर्ष की आयु में बालिग होने पर नाम एवं प्रमाण-पत्र में भले ही अजा-जनजा या अन्‍य कोई बने रहें लेकिन मन से पूरी तरह से ईसाई हो जाएं।

इसके साथ ही भविष्‍य में नौकरी पाने समेत अन्‍य सरकारी लाभ भी इन्‍हें मिले और अप्रत्‍यक्ष रूप से ये ईसाई बनकर ये अपने मूल धर्म से अलग हो जाएं, यह भी मंशा इन कैथोलिक चर्च से जुड़े इन जैसे लोगों की रहती आई है । भोपाल चिल्ड्रन होम में मिली बालिकाएं भी इसी तरह से छिंदवाड़ा, रायसेन, सीहोर, विदिशा समेत कई जिलों से घर-घर विश्‍वास जीतकर इनके अन्‍य जिलों में सक्रिय लोगों द्वारा वहां से लाकर यहां रखवाई गईं थीं।

मुख्‍यमंत्री यादव ने दिए अधिकारियों को सख्‍त निर्देश

फिलहाल इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पूरे प्रदेश में कोई भी अवैध बाल संरक्षण गृह संचालित नहीं हो। बाल संरक्षण गृह अवैध पाये जाने पर सख्त कार्रवाई की जाए। जिला प्रशासन के अधिकारी इसके लिये सतत निरीक्षण भी करते रहें। वहीं, एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि आंचल चिल्ड्रंस होम पूरी तरह से गैर कानूनी तरीके से संचालित हो रहा था। उसने बाल कल्‍याण समिति को भी बच्चियों की जानकारी नहीं दी थी। रिपोर्ट आने के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अपने नागरिकों को देशभक्‍त बनाना चाहता है चीन, नया कानून लाने की तैयारी

इससे पहले श्री कानूनगो ने सोशल मीडिया एक्‍स पर जानकारी भी दी थी कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के तारासेवनिया में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष व सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह का निरीक्षण किया। यहाँ की संचालक एनजीओ हाल तक सरकारी एजेन्सी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही है, एवं इसने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए उनको बग़ैर सरकार को सूचना दिए बिना लाईसेंस चलाए जा रहे स्वयं के इस बाल गृह में गुपचुप ढंग से रख कर उनसे ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही हैं। 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं। काफ़ी कठिनाई के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ऐसी ही एनजीओस से चाइल्ड हेल्पलाइन ठेके पर चलवाना चाहते हैं। मुख्य सचिव को पृथक से नोटिस जारी किया है।

मामले में पुलिस जहां अपनी ओर से छानबीन करने का दावा कर रही है।  महिला बाल विकास विभाग आगे कार्रवाई को सुचारु रूप से रखने की बात कह रहा है। वहीं, दो देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे (सीएनसीपी) बच्‍चियों को छोड़कर सभी को उनके परिजनों को सोमवार रात नौ बजे सौंप दिया गया है, जिस पर भी कई प्रश्‍न चिन्‍ह खड़े हुए हैं।(एएमएपी)