इस बारे में भीमसेन श्रेष्ठ का कहना है कि मकाउ में रहने वाले नेपाली नागरिकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए हांगकांग न जाना पड़े, इसलिए महावाणिज्य दूतावास के अनुरोध के बाद उन्होंने यह सेवा शुरू की है। इसकी पुष्टि के लिए हांगकांग स्थित नेपाली महावाणिज्य दूत उदय राना मगर से फोन पर संपर्क किया गया। महावाणिज्य दूत मगर ने माना कि हमने मकाउ स्थित एनआरएन के दफ्तर को यह जिम्मेदारी दी है। भीमसेन श्रेष्ठ का तर्क है कि एनआरएन का दफ्तर कम स्पेस में है। इस कारण दफ्तर के नीचे रहे ग्रॉसरी स्टोर से सारा काम किया जाता है। सारी प्रक्रिया पूरी होने पर पासपोर्ट का वितरण किया जाता है।
दावे कुछ भी हों पर इस प्रक्रिया में धांधली तो होती ही है। मसलन पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए नेपाली नागरिकता प्रमाणपत्र की मूल प्रति और वर्क परमिट की मूल प्रति दिखानी अनिवार्य है। मगर इस दुकान पर फोटो कॉपी देखकर ही पासपोर्ट दे दिया जाता है। एनआरएन के अध्यक्ष राना मगर का कहना है कि सरकार को पासपोर्ट वितरण के लिए अलग से रकम देनी चाहिए। कुछ और स्टाफ रखना चाहिए। फिलहाल दुकान के कर्मचारियों से ही वह पासपोर्ट का काम लेते हैं।
संबंधित मंत्रालय की प्रवक्ता सेवा लम्साल का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। वह हांगकांग स्थित महावाणिज्य दूतावास से जानकारी प्राप्त कर ही प्रतिक्रिया देंगी। इस संबंध में रिटायर्ट आईजीपी प्रकाश अर्याल का कहना है कि यह संवेदनशील मसला है। हाल ही में सोने की तस्करी मामले में पकड़े गए चीनी नागरिकों के पास से नेपाली पासपोर्ट मिलना और सोने की तस्करी का नया अड्डा हांगकांग बनना तो कुछ और ही इशारे कर रहा है।(एएमएपी)