लोकसभा और विधानसभा में जीत का परचम फहराने वाली भाजपा ने यूपी नगर निकाय चुनाव में भी अपना जलवा कायम रखा है। योगी आदित्यनाथ सरकार की उपलब्धियों के दम पर 17 नगर निगमों में से 15 सीटों पर भाजपा ने विजय हासिल की। इसके साथ ही विपक्ष का भी सूपड़ा साफ हो गया है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी हार पर चुप्पी साध ली है। एक तरफ जहां नगर निगम के चुनाव में सपा को करारा झटका लगा है तो वहीं दिग्गज नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में स्वार सीट भी पार्टी के हाथ से चली गई है। इससे पहले पिछले साल विधानसभा चुनाव में भी सपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया था। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव के नतीजों के मायने बेहद महत्वपूण हैं।

 

योगी आदित्‍यनाथ के 2017 में उत्‍तर प्रदेश का सीएम बनने के बाद अब तक प्रदेश में हुए चुनावों के परिणामों पर नज़र डालें तो हर बार उनकी छवि पहले से मजबूत होकर उभरी है। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी सीएम बनाए गए तो उनकी अगुवाई में ही 2017 में यहां पहला निकाय चुनाव लड़ा गया। उस चुनाव में बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से 14 पर जीत हासिल की थी। यही नहीं 70 नगर पालिका अध्‍यक्ष और नगर पंचायत की 100 सीटों पर जीत के साथ शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि तब भी परिणाम आने के बाद पीएम मोदी ने सीएम योगी और उनकी टीम की खुलकर तारीफ की थी लेकिन तब उस जीत में ‘मोदी फैक्‍टर’ को अधिक श्रेय मिला था। वजय यह कि सीएम योगी को यूपी की कमान संभाले कुछ ही समय हुआ था। इस बार सहारनपुर के नगर निगम घोषित होने की वजह से 17 नगर निगम सीटों पर चुनाव हुए। इन सभी सीटों पर बीजेपी ने मुख्‍य रूप से उत्‍तर प्रदेश सरकार के कामकाज को अपना आधार बनाया।

अखिलेश के मुकाबले योगी ने कीं 4 गुना रैलियां

चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव की मेहनत की भी तुलना हो रही है। एक तरफ योगी आदित्यनाथ ने 50 से ज्यादा रैलियां और जनसभाएं कीं तो अखिलेश यादव एक दर्जन से ज्यादा कार्यक्रमों ही जा पाए। निकाय चुनाव में भाजपा की रणनीति को इससे समझा जा सकता है कि ज्यादातर सीटों पर ऐन नामांकन से पहले उम्मीदवारों का ऐलान किया गया। इसकी वजह यह थी कि लंबा मंथन चला और फिर जाकर प्रत्याशियों का ऐलान हुआ। जातीय समीकरणों का भी इस दौरान पूरा ध्यान रखा गया।

इसके अलावा वाराणसी, कानपुर, सहारनपुर समेत सभी सीटों पर कैंडिडेट्स का ख्याल रखा गया। यही नहीं योगी आदित्यनाथ ने खुद आगे बढ़कर चुनाव की कमान संभाली। चुनाव से कुछ दिन पहले ही अतीक अहमद के गुर्गों के एनकाउंटर ने भी पूरा चुनाव कानून-व्यवस्था की ओर मोड़ दिया। यही नहीं भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार भी आक्रामक रहा और योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद, गोरखपुर, अयोध्या, वृदांवन समेत लगभग सभी शहरों में जाकर प्रचार किया। इससे पार्टी के पक्ष में माहौल बना और उसने बंपर जीत हासिल की।

बसपा ने भी किया काम आसान

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा परंपरागत तौर पर मजबूत रही है, लेकिन इस बार बसपा ने भी उसके काम को आसान किया है। बसपा ने पहली बार यूपी नगर निगम चुनाव में अपने सिंबल पर कैंडिडेट उतारे थे और गाजियाबाद, आगरा जैसे शहरों में उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। इससे समझा जा सकता है कि कैसे बसपा की एंट्री ने भी भाजपा के लिए काम को आसान ही कर दिया।

राममंदिर निर्माण को लेकर जनता ने जताया भरोसा

अयोध्या में हो रहे राम मंदिर निर्माण को लेकर जनता ने भाजपा पर भरोसा जताया है। भाजपा हर चुनाव प्रचार में कानून व्यवस्था और राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाती रही है। इस बार भाजापा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया था। अयोध्या की जनता ने इसके बाद भी नए चेहरे पर भरोसा जताया और भाजपा प्रत्याशी को मेयर की कुर्सी पर बिठाया।(एएमएपी)