
कहां-कहां है भूस्खलन का ज्यादा खतरा
शिमला-कालका एनएच पर धर्मपुर से लेकर परवाणू तक साफ मौसम में भी खतरा है। यहां पिछले दो दिन में करीब एक दर्जन जगह भूस्खलन हुआ है। मंडी-कुल्लू एनएच पर छह मील, सात मील, दवाड़ा, हणोगी, पंडोह के पास, कोटरोपी और कुल्लू जिले में देवधार, मणिकर्ण के भ्रैण, ग्राहण नाला के पास, नांगचा, सोझा से घियागी, भुंतर से मणिकर्ण, कुल्लू से लगघाटी के बीच भूस्खलन का खतरा है। पांवटा साहिब-शिलाई एनएच पर हेवना, गंगटोली, शिल्ला, कमरऊ के अलावा ददाहू-संगड़ाह सड़क पर दनोई, ल्वासा चौकी-ढंगयार सड़क पर नया गांव और खड़का खेच, एनएच 907-ए पर साधनाघाट, धरयार-नारग सड़क पर मढ़ीघाट और कैंची मोड़, हरिपुरधार-राजगढ़ सड़क पर सैल, चाढ़ना व नौहराधार, भटियूड़ी, हरिपुरधार-रोनहाट सड़क पर शालना के पास भी जमीन भरभरा सकती है। कांगड़ा के कोटला, रानीताल मार्ग, नगरोटा बगवां के ठानपुरी और कांगड़ा बाईपास समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी सतर्क रहने की जरूरत है।
बारिश के बाद रेतीली और ऐसी मिट्टी, जिसमें बड़ी चट्टानें न हो वह गिरती है। इसका कारण है कि इसकी पकड़ बारिश में कमजोर पड़ जाती है। धूप खिलते ही इसमें से वाष्प से दरारें आना शुरू हो जाती हैं और दबाव के चलते भूस्खलन होता है। यह सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तब जमीन का पानी सूख नहीं जाता।- प्रो. डीडी शर्मा, आचार्य, भूगोल विज्ञान, एचपीयू शिमला।(एएमएपी)



