आपका अखबार ब्यूरो।
प्रथम ग्रासे मक्षिका पात। सरकार बनी नहीं कि इस्तीफा शुरू हो गया है। बिहार के शिक्षा मंत्री मेवा लाल चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। हालांकि इस मामले में आरोप पत्र दायर नहीं हुआ है। ऐसे मंत्रियों और नेताओं की संख्या बिहार में काफी है जिनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं।
नीतीश ने बचा रखा था
मेवा लाल चौधरी पर घोटाले का आरोप पुराना है। जब नीतीश कुमार और भाजपा अलग थे तो भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था। अभी तक उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं हुआ तो उसकी वजह यह है कि तत्कालीन राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी। वह अनुमति पत्र अभी तक राज भवन में धूल फांक रहा है। मेवा लाल के मंत्री बनते ही विरोधी दल राष्ट्रीय जनता दल ने दबाव बनाना शुरू कर दिया।
ऐसा कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संरक्षण के कारण ही मेवा लाल बचे हुए हैं। क्योंकि राज्य सरकार ने राज्यपाल से मुकदमे की अनुमति दिलाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस मामले की जांच करने वाले अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया। जब तक विपक्ष ने मामले को तूल नहीं दिया सब यथावत चल रहा था।
छवि पर आंच बर्दाश्त नहीं
नीतीश कुमार बाकी सब बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन अपनी छवि पर आंच उन्हें कभी गवारा नहीं हुआ। वे समझ गए कि इस समय मेवा लाल का बचाव करना उन्हें भारी पड़ सकता है। अगले हफ्ते विधानसभा का पहला सत्र शुरू होने वाला है। पूरा सत्र इसी मुद्दे पर हंगामे में गुजर जाता है।
नीतीश कुमार के चौथे कार्यकाल की ऐसी शुरुआत राजग के लिए शुभ संकेत नहीं होती। सो नीतीश कुमार ने मेवा लाल को बुधवार को बुलवाया और इस्तीफा देने को कहा। वे कुछ हीलाहवाली करते तो बर्खास्त करने में नीतीश देर नहीं करते।
Bihar Education Minister Mewa Lal Choudhary resigns. pic.twitter.com/Uo8K5bbIHB
— ANI (@ANI) November 19, 2020
हमलावर तेवर
मेवा लाल से इस्तीफा दिलवाते ही जनता दल यूनाइटेड हमलावर हो गया है। पार्टी ने राष्ट्रीय जनता दल से पूछा है कि तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी कब इस्तीफा दे रहे हैं। दोनों के खिलाफ वित्तीय घोटाले और आय से अधिक सम्पत्ति के कई मामले चल रहे हैं। तेजस्वी के खिलाफ मामले की धीमी जांच से कुछ समय पहले नीतीश कुमार केंद्र सरकार से नाराज भी थे। विधानसभा चुनाव से पहले रेल मंत्रालय ने मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी थी। उम्मीद करना चाहिए कि जल्दी ही तेजस्वी पर कानून का शिकंजा कसेगा।