36 फीसदी के साथ सबसे अधिक अत्यंत पिछड़ा।
सवर्णों की आबादी 15 फीसदी
बिहार सरकार की तरफ से जारी जातीय गणना के मुताबिक अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 19.65 फीसदी है और जनजाति की संख्या 1.68 प्रतिशत है। यही नहीं अनारक्षित वर्ग यानी सवर्णों की आबादी 15 फीसदी है। इनमें वे बिरादरियां आती हैं, जिन्हें जाति आधारित आरक्षण नहीं मिलता। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जाति की बात करें तो सबसे ज्यादा यादवों की 14 फीसदी है, जबकि ब्राह्मणों की आबादी 3.66 प्रतिशत है। सर्वे के अनुसार राज्य में भूमिहारों की संख्या 2.86 फीसदी है, जबकि राजपूतों की आबादी 3.45 प्रतिशत है।
यादवों की 14 फीसदी आबादी
मुसहर समाज के लोगों की संख्या 3 फीसदी के करीब बताई गई है। राज्य में वैश्य समाज के लोगों की संख्या ढाई फीसदी के करीब है। वहीं कुर्मी बिरादरी की 2.87 फीसदी है। जातिवार देखें तो सबसे ज्यादा 14 फीसदी आबादी यादवों की है, जो कुल सवर्णों की संख्या से थोड़ा ही कम है। माना जा रहा है कि बिहार में अब लोकसभा चुनाव के अलावा विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी कार्ड चला जा सकता है। आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का राज्य में गठबंधन है और तीनों ही पार्टियां इसे लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल सकती है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तो लगातार मांग करते रहे हैं कि जाति जनगणना पूरे देश में होनी चाहिए। यही नहीं यूपी में अखिलेश यादव भी इस मांग का समर्थन करते रहे हैं।
धार्मिक आधार जनगणना के आंकड़े
जनगणना में कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा बताई गई है। इनमें हिंदू समुदाय की आबादी 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम की आबादी 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख- 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत अन्य धर्म के लोगों की आबादी 0.12 प्रतिशत है। 13 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 10.07 करोड़ हिंदू और मुस्लिम की आबादी 2.31 करोड़ है।
जातीय गणना को लेकर मच चुका काफी बवाल
बिहार में सभी दलों की सहमति से जातीय गणना कराने पर सहमति बनी थी। सभी दलों की सहमति के बाद विधानमंडल के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित हुआ। केंद्र सरकार के इनकार के बाद बिहार सरकार ने अपने बूते पर जातीय गणना का काम शुरू किया लेकिन जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में खूब बवाल मचा था। मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद दो चरणों में जातीय गणना का काम पूरा हुआ। जातीय गणना का काम पूरा होने के बाद विपक्षी दल लगातार सरकार से जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे। आखिरकार नीतीश सरकार ने आज गांधी जयंती के मौके पर जातीय गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया।(एएमएपी)