आपका अखबार ब्यूरो। 
भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्य के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार जनवरी से पश्चिम बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून लागू करने जा रही है। इससे पहले राज्य की पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक की हत्या के मामले में भाजपा नेता मुकुल राय का नाम पूरक चार्जशीट में शामिल कर दिया है। भाजपा ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई कहा।

मुकल राय ने एक बयान में कहा कि क्या ममता उनके सामने खड़े होकर कह सकती हैं कि वे इस तरह का काम (हत्या की साजिश) कर सकते हैं। याद रहे मुकुल राय तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं में थे जो ममता का साथ छोड़कर भाजपा में आए हैं। चुनाव से कुछ महीने पहले उनका नाम पूरक चार्जशीट में शामिल किया जाना ममता का उनको जवाब है।

भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला

Attack on BJP Leader in west bengalइससे पहले शनिवार को एक और घटना हुई। पश्चिमी बर्दवान के बाराबनी इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं पर बम और गोलियों से हमला हुआ। छह कार्यकर्ता घायल हो गए। एक कार्यकर्ता कालीचरन दास को गोली लगी है। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह काम तृणमूल कांग्रेस के लोगों का है। इस घटना के बाद भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा गई है। उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।

ममता की बढ़ती मुश्किलें

पश्चिम बंगाल में ममता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके मंत्रिमंडल के साथी जिस तरह से सरकार, पार्टी और मुख्यमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं उससे तृणमूल में भारी असंतोष के संकेत मिल रहे हैं। ममता सरकार में नम्बर दो सुवेन्दु अधिकारी ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। उनके बारे में अटकलें हैं कि वे भाजपा में जा सकते हैं। इस बीच दूसरे कैबिनेट मंत्री राजीव बनर्जी ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस में केवल भ्रष्टाचारियों और चापलूसों की पूछ होती है।

बड़े नेता सहज नहीं

Crime of criticism in West Bengal - Frontline

दरअसल जब से ममता बनर्जी ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राजनीति में आगे बढ़ाना शुरू किया है पार्टी के अंदर बड़े नेता सहज नहीं हैं। उन्हें लग रहा है कि ममता अभिषेक को अपने राजनीतिक वारिस के रूप में आगे बढ़ा रही हैं। अभिषेक 2011 में ममता के सत्ता में आने के साथ ही राजनीति में आए। वे 2014 में लोकसभा के सदस्य चुने गए और 2019 में फिर से जीते। पार्टी में वे युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। पर उनकी राजनीतिक हैसियत उनके पद से बड़ी है। यही बात पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं को परेशान कर रही है। तृणमूल के जिन नेताओं को अभिषेक से समस्या थी उनके लिए एक नई समस्या के रूप में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर आ गए हैं। ममता ने उन्हें विधानसभा चुनाव की रणनीति का बनाने का जिम्मा सौंपा है। यह बात तृणमूल के बड़े नेताओं को रास नहीं आ रही।