आपका अखबार ब्यूरो।

लोकजनशक्ति पार्टी बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर हो गई है। पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए में बनी रहेगी। लोजपा जनता दल यूनाइटेड के खिलाफ उम्मीदवार उतारेगी लेकिन भाजपा के खिलाफ नहीं। लोजपा का यह फैसला भाजपा के लिए तो अच्छा लेकिन नीतीश कुमार के लिए यह बुरी खबर है।


 

चिराग पासवान ने कहा कि जदयू से उनकी पार्टी के वैचारिक मतभेद हैं।  उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव बाद वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। लोजपा के इस फैसले से भाजपा और जदयू के बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा ने करीब पैंसठ सत्तर सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर लिए हैं। किस पार्टी के हिस्से में कौन सी सीट आएगी इसका फैसला होने से पहले ही जदयू ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया है।


भाजपा ने भले ही पहले से घोषणा कर दी हो कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे लेकिन गठबंधन में सब कुछ सामान्य नहीं है। नीतीश कुमार के लोगों को शक है कि चिराग पासवान इतना आगे तक गए हैं तो भाजपा की शह की वजह से। अब पार्टी लोजपा के एनडीए में बने रहने पर सवाल उठाने वाली है। दरअसल तीन साल पहले लालू का साथ छोड़कर फिर से भाजपा के साथ आने के बाद से नीतीश कुमार एनडीए में सहज नहीं हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा बदल चुकी है। शीर्ष नेतृत्व से भी उनके ऐसे रिश्ते नहीं हैं जैसे अटल-आडवाणी के साथ थे। इसके अलावा समय समय पर उनके संकट मोचक अरुण जेतली भी अब नहीं हैं।

Party to decide if Chirag Paswan should be given ministerial post in Modi's cabinet: Ram Vilas Paswan - Elections News

लोजपा का यह कदम भाजपा के लिए अच्छी खबर है। अब उसे ज्यादा सीटों पर लड़ने को मिलेगा जो उसके कार्यकर्ता और समर्थक चाहते थे। इससे पार्टी को नीतीश कुमार पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता पहले से काफी घटी है। भाजपा को इस बात का एहसास है। लोजपा के नीतीश कुमार के खिलाफ होने के बाद यदि भाजपा के मतदाताओं का एक धड़ा जदयू के प्रति उदासीन हो गया तो उसकी जीतने वाली सीटों की संख्या में कमी आ सकती है। वैसे भी बिहार में जदयू की तुलना में भाजपा का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा है। यही नीतीश खेमे की सबसे बड़ी चिंता है।


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