इस बार के विधानसभा चुनावों में आदिवासी बहुल सीटों पर भाजपा को जबर्दस्त फायदा मिला है। अगर हम सिर्फ छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम को देखें तो अंदाजा लग सकता है कि अनुसूचित जनजाति (ST) के वोटरों में बीजेपी ने किस तरह से पकड़ बनाई है। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों (ST) की आबादी करीब 32% है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 29 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए ही आरक्षित हैं। इन सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर इस बार 11% बढ़ गया है।
संदेह नहीं कि आदिवासी वोट शिफ्ट हुआ है- कांग्रेस नेता
कांग्रेस भी मान रही है कि उसके आदिवासी जनाधार में भाजपा सेंध लगा चुकी है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने माना है, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आदिवासी वोट शिफ्ट हुआ है।’
आदिवासी सीटों पर बदल गया गेम
राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में बीजेपी का ग्राफ इस बार 3 से बढ़कर 17 पहुंच गया है और कांग्रेस 25 से घटकर 11 पर रह गई है।
आदिवासी सीटों पर 11% बढ़ गया बीजेपी का वोट
इन सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर करीब 32% से बढ़कर लगभग 43% हो गया है। जबकि, पिछले चुनाव में यहां बीजेपी को जबर्दस्त झटका लगा था।
पहला कारण- 24,000 करोड़ रुपए की खास योजना
जब, विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चल ही रहा था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य झारखंड से आदिवासियों में भी सबसे कमजोर तबके के कल्याण के लिए 24,000 करोड़ रुपए की खास योजना ‘विशेष तौर पर कमजोर आदिवासी समूहों (PVTG)’ के लिए लॉन्च की थी। इसका प्रावधान चालू वित्तीय वर्ष के बजट में ही किया गया था। सरकार के आंकड़ों के हिसाब से देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे 75 ‘विशेष तौर पर कमजोर आदिवासी समूह (PVTG)’ हैं। इनकी संख्या लगभग 28 लाख है और यह देश के 220 जिलों के 22,544 गांवों में रहते हैं।
Most shocking result personally is BJP winning in Bastar assembly in Chattisgarh. BJP has won it in the pay in 2008 by a meagre 1100 votes. This time BJP is winning by >11k votes
Unseen tribal votes consolidation in Chattisgarh and MP. This will ripple into Odisha and Jharkhand— The Maaximalist (@TheMaaximalist) December 3, 2023
दूसरा कारण- ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’
उसी दिन पीएम मोदी ने झारखंड से ही ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ भी शुरू की थी। इसका मकसद खास तौर पर कमोजर आदिवासी समूहों को जागरूक बनाना और सरकार की जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उनतक उनकी पहुंच सुलभ बनाना और उसे सुनिश्चित करना है। सभी आदिवासी जिलों को यह योजना 2024 के 25 जनवरी तक कवर कर लेगी।
तीसरा कारण- भगवान बिरसा मुंडा के गांव जाकर दी श्रद्धांजलि
आदिवासियों के नजरिए से एक बड़ी बात ये भी रही कि ‘विशेष तौर पर कमजोर आदिवासी समूहों (PVTG)’ के लिए पीएम मोदी ने यह योजना आदिवासियों के मसीहा माने जाने वाले भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर की थी। उन्हें श्रद्धांजलि देने वे उनके जन्म स्थान उलिहातु भी पहुंचे थे।
चौथा कारण- जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन
भगवान बिरसा मुंडा को सम्मान के तौर पर 2021 से उनकी जयंती पर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस भी मनाया जा रहा है।
पांचवां कारण- एकलव्य मॉडल स्कूल
इसी साल के बजट में मोदी सरकार ने आदिवासी कल्याण के लक्ष्य के साथ एक और बड़ी घोषणा की थी। अगले 3 साल में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में करीब 40 हजार टीचरों और सपोर्ट स्टाफ की भर्ती का ऐलान किया था।
Consolidating Tribal Votes for Lok Sabha 👍
Good Mamaji https://t.co/uW25H2JTnW
— Beef Janta Party (@Ashish19086263) December 6, 2023
इससे 740 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाले 3.5 लाख से अधिक आदिवासी विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। ऐसे स्कूल देश के उन आदिवासी बहुल ब्लॉक में खोले जाते हैं, जहां अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 50% से अधिक या कम से कम 20 हजार होती है। यहां आदिवासी बच्चों के चौतरफा विकास पर ध्यान दिया
जाता है।
छठा कारण- सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी को मंजूरी
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के मुलुगु जिले में एक सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाने की घोषिणा की थी और इसके लिए मोदी सरकार ने 900 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। खास बात ये है कि इस यूनिवर्सिटी का नाम आदिवासियों की देवी सम्मक्का-सरक्का के नाम पर रखना तय हुआ है।
नीतीश, अखिलेश और ममता ने विपक्षी गठबंधन से बनाई दूरी, नहीं होंगे बैठक में शामिल
सातवां कारण- देश को दिया पहला आदिवासी राष्ट्रपति
सबसे बड़ी बात कि 2022 में बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनाया था। राष्ट्रपति मुर्मू खुद ओडिशा की रहने वाली हैं और झारखंड का राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनके राष्ट्रपति बनने के कुछ महीने बाद ही गुजरात विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटों पर इतनी बड़ी जीत मिली, जो वहां उसका रिकॉर्ड बन गया है। पार्टी 27 एसटी सीटों में से 24 जीत गई थी।
राजस्थान-एमपी में भी बीजेपी को जबर्दस्त फायदा
सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं भाजपा को आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी फायदा मिला है। एमपी में अब उसके पास 16 से बढ़कर 24 आदिवासी सीटें हैं और राजस्थान में इनकी संख्या 9 से बढ़कर 12 हो चुकी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से बीजेपी ने लगातार आदिवासी वोटरों के बीच अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है। केंद्र सरकार की ओर से उनके लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसका लाभ पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनावों में भी मिला था। पार्टी अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 47 में से 31 पर जीती थी।(एएमएपी)