लोकसभा में भाजपा को पिछली बार काफी लाभ मिला था और उसने 21 में से आठ पर जीत हासिल की थी। बीजद को 12 व कांग्रेस को एक सीट मिली थी। दूसरी तरफ विधानसभा में 147 सीटों में बीजद के पास 114 सीटें हैं। भाजपा के पास 22, कांग्रेस के पास नौ व सीपीएम व आईएनडी के पास एक एक सीट है। इस आंकड़े से साफ है कि राज्य में 2000 से सत्ता पर काबिज नवीन पटनायक को फिलहाल बड़ी चुनौती मिलती नहीं दिख रही है। हालांकि भाजपा ने राज्य में कई प्रयोग किए हैं, लेकिन वह सफल नहीं रहे हैं।
ऐसे में भाजपा की रणनीति लोकसभा चुनावों पर ज्यादा केंद्रित रहेगी। उसकी कोशिश रहेगी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ अपनी ताकत को और ज्यादा बढ़ा सके। साथ ही नवीन पटनायक पर नरम रुख अपनाकर भाजपा इसे भी अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगी। इस बार पार्टी की कोशिश राज्य की आधी से ज्यादा सीटें जीतने की होगी। ओडिशा में भाजपा की रणनीति को अमल में लाने का दारोमदार केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, आदिवासी नेता जियोल ओराम व युवा नेता संबित पात्रा पर ज्यादा रहेगा। पार्टी की रणनीति को धार देने के लिए राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल कमान संभाले हुए हैं।(एएमएपी)