आपका अख़बार ब्यूरो।
अब यह तो लगभग निश्चित है कि भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के विकास के लिए कुछ भी कर ले, उसे उनके वोट नहीं मिलने वाले। सरकारी योजनाओं का- चाहे वो प्रधानमंत्री योजना के मकान हों या उज्जवला गैस सिलिंडर- मुसलमानों को उनकी आबादी से अधिक लाभ दिया गया। तीन तलाक पर कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को सम्मानजनक बनाया। पर हुआ क्या? मुसलामानों ने भाजपा को वोट दिया? नहीं दिया।
बात इतनी भर नहीं है कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते। ऐसा नहीं कि उनकी पसंद की राजनीतिक पार्टी कोई और है। वो भाजपा से नफरत करते हैं, इसलिए वोट नहीं देते। उनकी पसंद की कोई पार्टी नहीं है। जो भी पार्टी उनको भाजपा का मुकाबला कर उसे हराने की स्थिति में लगती है वे उस पार्टी को वोट करते हैं।
तमाम राजनीतिक विश्लेषक कह चुके हैं भाजपा को अब मुसलमानों को राजी करने की राजनीतिक कसरत से बाज आ जाना चाहिए। इससे कुछ मिलनेवाला नहीं है उलटे उसके कोर वोटों के भटकने का खतरा और उत्पन्न हो जाता है। लेकिन इसके बावजूद मुसलमानों को अपने पक्ष में लाने की कोशिशें समय समय पर की जाती रहती हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विश्वास करने की अपील की और कहा कि जब यह पार्टी भेदभाव के बिना विकास करती है, तो फिर एलर्जी का कोई मतलब नहीं है।
आज बलवाइयों, बाहुबलियों, बकैतों की सुरक्षा, संरक्षण नहीं बल्कि समाज की सुरक्षा, सौहार्द मोदी-योगी सरकार की प्राथमिकता है। दंगों, दबंगों, बलवों, बलवाइयों से मुक्त और सुरक्षा, सौहार्द से युक्त समाज किसी भी सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। #BJPSadasyata2024 @BJP4India @BJP4UP… pic.twitter.com/GprKhvhMtT
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) October 18, 2024
नयी दिल्ली में नकवी के कार्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश के रामपुर में भाजपा के सदस्यता अभियान में उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘बलवाइयों पर रहम, बाहुबलियों पर करम और समाज पर सितम’’ की स्वार्थी सियासत का भी सूपड़ा साफ़ करना होगा। नकवी ने भाजपा के सदस्यता अभियान के अंतर्गत अपनी सक्रिय सदस्यता का नवीनीकरण भी किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा से एलर्जी को भाजपा विरोधियों की ‘एनर्जी’ में जुटे कुछ गुमराह लोगों को भी हमें हमराह लाने का प्रयास करना होगा। भाजपा विकास में कमी नहीं करती, तो विश्वास में कंजूसी नाजायज़ है।’’
नकवी ने कहा, ‘‘हमें सामंती सियासी सूरमाओं के सांप्रदायिक साज़िश से सावधान रहना होगा, संवैधानिक पंथनिरपेक्षता और समावेशी समृद्धि के लिए समाज में सौहार्द और सुरक्षा सर्वाधिक ज़रूरी है।’’
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