संगठन से लेकर राज्य सरकारों तक बदलाव होने की संभावना।
भाजपा नेतृत्व आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले विभिन्न स्तरों पर नई टीम को आगे लाने की योजना पर काम कर रहा है। यह बदलाव संगठन से लेकर राज्य सरकारों तक होने की संभावना है। केंद्रीय संगठन समेत कुछ राज्यों में बदलाव हुए भी हैं। आने वाले समय में हर राज्य के चुनाव के साथ वहां पर इसी तरह के परिवर्तन किए जा सकते हैं।
भाजपा नेतृत्व ने हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ कर दिया था कि पार्टी को अब लंबे समय तक सत्ता में रहने की तैयारी करनी होगी। आगामी कार्ययोजना बनाने में इस तथ्य को ध्यान में रखा जाए। वैसे भी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही धीरे-धीरे इस दिशा में बढ़ना शुरू कर दिया था। पार्टी की कमान जेपी नड्डा को सौंपने के बाद केंद्रीय पदाधिकारियों और उसके बाद केंद्रीय संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति के बदलाव इसी दिशा में थे।
विभिन्न राज्यों में भी बदलाव किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में नई सरकार के गठन में भी कुछ बदलाव देखने को मिले थे। उत्तराखंड में भी सत्ता व संगठन में नए नेतृत्व को सामने लाया गया है। असम में नए मुख्यमंत्री व पश्चिम बंगाल संगठन में भी चुनावों के बाद भविष्य की रणनीति को लेकर बदलाव किए गए हैं। गुजरात में साल भर पहले पूरी सरकार को बदल कर बड़ा बदलाव किया गया था और अब विधानसभा चुनावों में इसे आगे बढ़ाया गया, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री चुनाव मैदान में भी नहीं उतरे।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में बड़े बदलाव कर सकता है। छत्तीसगढ़ में हाल में कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव बाद नए नेतृत्व को सामने लाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में भी दिसंबर-जनवरी में कुछ अहम बदलाव किए जाने की संभावना है। राजस्थान में भी भावी बदलावों की भूमिका तैयार हो रही है।
सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व राज्यों में वर्षों से जमे कई नेताओं को अगली बार चुनाव मैदान में नहीं उतार सकता है। बाद में उनको लोकसभा या राज्यसभा में लाया जा सकता है, ताकि राज्य में नए नेतृत्व को सामने लाया जा सके। बिहार व झारखंड में भी निकट भविष्य में बड़े बदलाव होने की संभावना है।
बीजेपी की रणनीति पर गौर करें, तो एक रणनीति साफ दिखाई देती है कि विपक्ष को कोई मौका न मिले, विपक्ष चुनौती बने, उसके पहले उसी के लिए चुनौती खड़ी कर दो। पार्टी ने अलग अलग प्रदेशों, क्षेत्रों और इलाके के हिसाब से तो रणनीति बना ही रही है साथ ही पार्टी का अभियान मजबूत हो, संस्थान का विस्तार हो ,कार्यकर्ताओं में नाराजगी न हो, वरिष्ठ कार्यकर्ता असंतुष्ट न हो , देश का कोई भी क्षेत्र, इलाका, जाति छूटे नही, इसके लिए बीजेपी के रणनीतिकारों ने योजना तैयार की है।
इस योजन के जरिए पार्टी संगठन में बदलाव करेगी। अनुभवी और युवा चेहरे को आगे लाएगी। पार्टी पुराने योग्य कार्यकर्ताओं को ज़िमेदारी देगी, जो किसी कारण से अभी दिखाई नही देते या पार्टी में हाशिए पर है। इतना ही नहीं पार्टी अपने निष्ठावान कार्यकर्ता को भी नही छोड़ेगी। साथ ही संगठन में भी जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को दुरुस्त करेगी ताकि अब तक लगने वाले ब्राह्मण, बनिया और शहरी क्षेत्र की पार्टी होने का आरोप न लगे।
इसके अलावा पार्टी का सभी जातियों में जनाधार बढ़े और वो आगे भी रहे इसके लिए सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेगी और खास जाति में उसी जाती के अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की टीम को ज़िमेदारी सौपेगी। हर लोकसभा क्षेत्र में 10 हज़ार दलित परिवार को जोड़ना पहला लक्ष्य रखा है। (एएमएपी)