आपका अखबार ब्यूरो। 
पंजाब की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की सीधी लड़ाई को आम आदमी पार्टी ने पहले ही त्रिकोणीय बना दिया है। अब अकाली दल के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के बाद भाजपा के रूप में चौथा कोण जुड़ने जा रहा है। 

भाजपा ने घोषणा कर दी है कि वह राज्य की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कई दशकों बाद भाजपा अकाली दल के मोहपाश से मुक्त हुई है।

घिसटता गठबंधन

दरअसल पिछले कई सालों से भाजपा और अकाली दल का गठबंधन चलने की बजाय घिसट रहा था। यह गठबंधन अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, प्रकाश सिंह बादल की समझ से बना था। भाजपा ने बादल के सम्मान का हमेशा खयाल रखा। आडवाणी ने इस गठबंधन के बारे में कहा था कि खालसा पंथ पर आधारित यह पार्टी कट्टरपंथ की ओर न चली जाय इसके लिए जरूरी है कि कोई राष्ट्रीय पार्टी उसके साथ रहे। अकाली दल क्योंकि कांग्रेस के विरोध की राजनीति कर रहा था इसलिए भाजपा एकमात्र विकल्प थी। पंजाब के मामले में प्रकाश सिंह बादल की बात भाजपा के लिए आदेश जैसी थी।
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रिश्तों में खटास

पर अकाली दल में सुखबीर बादल के बढ़ते प्रभाव के साथ ही भाजपा से रिश्तों में खटास आने लगी। सुखबीर के तौर तरीके भाजपा को कभी रास नहीं आए। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से रिश्तों में गिरावट बढ़ती गई। अमित शाह सुखबीर से खासतौर से नाराज थे। लोकसभा चुनाव में सुखबीर जिद करके अरुण जेतली को अमृतसर ले गए। कहा कि सिर्फ नामांकन के लिए आइए और फिर जीत का सर्टीफिकेट लेने आइएगा। चुनाव जिताने की जिम्मेदारी हमारी। नतीजा यह हुआ कि अरुण जेतली तो चुनाव जीते नहीं और नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी छोड़ गए।

भाजपा को राहत

BJP may need more than Sunny Deol punchlines to win Gurdaspur - The Federal

उस समय गठबंधन नहीं टूटा तो बड़े बादल के लिहाज में। अकाली दल के साथ होने के कारण पंजाब में भाजपा का विकास रुक गया। पार्टी चुनाव दर चुनाव चार लोकसभा और तेइस विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ती रही। अकाली सरकार से नाराजगी का खामियाजा भी पार्टी समय समय पर भुगतती रही। अब किसानों से संबंधित नये कानूनों को लेकर अकाली दल ने खुद ही नाता तोड़ दिया। भाजपा के लिए यह राहत भरी खबर थी। अब भाजपा बड़ी तेजी से पूरे प्रदेश में अपने संगठन का विस्तार कर रही है। उन्नीस नवम्बर को अमित शाह पंजाब जा रहे हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी युद्ध स्तर पर जुट गई है।

बढ़ेंगी अकाली दल की मुश्किलें

Why Did Shiromani Akali Dal Finally Snap Ties With BJP? It's Not Just About  Farm Bills

आने वाले दिनों में अकाली दल की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। पंजाब में किसान आंदोलन भी ठंडा पड़ गया है। देश के बाकी राज्यों से उसे समर्थन मिला नहीं। इसकी वजह से पंजाब को भारी आर्थिक नुक्सान हो रहा है। किसान रेल पटरी पर बैठे हैं। इससे पैसेंजर और माल गाड़ी का आवागमन बंद। पंजाब में न कोई सामान पहुंच पा रहा है और न ही वहां से दूसरे राज्यों को जा पा रहा है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक रेल पटरी खाली नहीं होती ट्रेनें नहीं चलेंगी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हालत खराब है।