पहले बिहार और फिर महाराष्ट्र की तर्ज पर भाजपा यूपी में भी विपक्षी एकता को झटका देने के प्रयास में जुटी है। पूरब में ओपी राजभर से पुर्नमिलन की चर्चाएं तो आम हैं, मगर असल कवायद पश्चिम में चल रही है। भगवा खेमे की चाह है कि 2024 के रण में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का हैंडपंप कमल की जड़ों को सींचे। इसके लिए अंदरखाने होमवर्क भी शुरू हो चुका है। यह अलग बात है कि जयंत चौधरी सपत्नीक ऐसे चर्चाओं को फिलहाल विराम लगाने में जुटे हैं।पूरब में भाजपा के  पास पहले से ही अनुप्रिया पटेल का अपना दल और संजय निषाद की पार्टी सहयोगी के रूप में है। सूबे के जातिवादी राजनैतिक चरित्र के चलते यह छोटे दल सियासी संदेश से लेकर सामाजिक गुणा-गणित बिठाने में भाजपा के सहयोगी हैं। आजमगढ़ और उसके आसपास की पट्टी में राजभर जाति के वोट अकेले जीत का गणित भले न बना पाएं लेकिन उसे बिगाड़ जरूर सकते हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों से निकला संदेश इसी ओर इशारा करता है। यही कारण है कि भाजपा-सुभासपा के प्रेम की पींगें फिर बढ़ चली हैं।

पश्चिमी में कुनबा बढ़ाने की चाह

वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां भाजपा अकेले ही विपक्ष से लोहा लेती रही है। इस इलाके के सामाजिक ताने-बाने के चलते पार्टी के लिए सबसे कमजोर कड़ी मुरादाबाद मंडल है, जहां 2019 में सभी छह सीटों पर शिकस्त मिली थी। उपचुनाव में रामपुर सीट जरूर भाजपा ने कब्जा ली थी। ऐसे में पश्चिम में भी भाजपा की ख्वाहिश कुनबा बढ़ाने की है।

खतौली में हार के बाद बढ़ी हलचल

खतौली विधानसभा सीट रालोद द्वारा भाजपा से छीने जाने के बाद से ही पार्टी चिंतन में है। यूं तो निकाय चुनाव में भाजपा ने पहले से ज्यादा निकायों पर कब्जा जमा लिया मगर कई जाट बाहुल्य नगर पालिका व नगर पंचायतों में उसे सफलता नहीं मिली। यही कारण है कि पार्टी की चाहत रालोद को हमराह बनाने की है। भाजपा या रालोद अभी इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। मगर पार्टी सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन रालोद शुरू कर दिया गया है। इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और कि पटना में विपक्ष की बैठक के बाद गत दिवस सपा मुख्यालय में कमेरावादी गुट द्वारा मनाई गई सोनेलाल पटेल जयंती से भी रालोद की दूरी दिखी। ऑपरेशन सफल हुआ तो जाट वोटों का बिखराव थमेगा। ऐसा हुआ तो पश्चिमी की राह भाजपा के लिए और मुफीद होना तय है।

क्या कह रहे जयंत और चारू

रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने गत दिवस विपक्षी दलों की अगली बैठक में जाने की बात कहकर चर्चाओं को विराम देने का प्रयास किया। वहीं मंगलवार को उनकी पत्नी चारू चौधरी ने भी उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए ट्वीट किया। चारू ने कहा कि चवन्नी नहीं जो पलट जाएंगे, अफवाहों पर ध्यान न दें, विपक्षी एकता महागठबंधन जीत रहा है।(एएमएपी)