लोकसभा चुनावों की बड़ी तैयारी में जुटी भाजपा कई राज्यों में संगठनात्मक बदलाव कर सकती है। लोकसभा चुनाव तक जिन राज्यों में चुनाव नहीं हैं वहां पर अगले साल की शुरुआत में ही परिवर्तन हो सकते हैं और जहां अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं वहां विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा जा रहा है। गुजरात और हिमाचल के चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी अपनी भावी समीक्षा का काम शुरू करेगी।भाजपा के केंद्रीय पदाधिकारियों की दो दिन की बैठक में सभी राज्यों को कई जरूरी निर्देश देने के साथ यह संकेत भी दिए गए हैं कि वे भावी बदलावों के लिए तैयार रहें। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का मौजूदा पहला कार्यकाल अगले साल जनवरी में समाप्त हो रहा है, लेकिन उनको लोकसभा चुनाव तक पार्टी का नेतृत्व करते रहने की संभावना है। राज्यों के मामले इससे अलग हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने दो दिन की बैठक में हर राज्य के संगठन से वहां का सांगठनिक और राजनीतिक फीडबैक लिया है।

इन राज्यों में ज्यादा ध्यान

संकेत है कि 15 जनवरी के बाद बदलावों से आधा दर्जन से ज्यादा राज्य प्रभावित हो सकते हैं। जिन राज्यों पर पार्टी नेतृत्व ज्यादा ध्यान दे रहा है उनमें मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं।

क्षेत्रीय दलों से मुकाबला

भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के बजाय अलग अलग राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रीय दलों का मुकाबला करना पड़ेगा। ऐसे में भाजपा को हर राज्य के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से अपने संगठन को तैयार करना होगा। इसमें यूपी-बिहार के अलावा कोरोमंडल राज्यों में जहां केरल को छोड़कर पार्टी को हर राज्य में क्षेत्रीय दलों से ही मुकाबला करना है।

नौ राज्यों में चुनाव

अगले साल भाजपा को नौ राज्यों के चुनाव में जाना है। यह चुनाव फरवरी से लेकर दिसंबर तक होंगे। ऐसे में पार्टी पूरे साल चुनावों में रहना होगा। साथ ही लोकसभा की रणनीति पर भी काम करना होगा। इस बीच, पार्टी बूथ स्तरीय रणनीति पर काम करेगी। इसमें पन्ना प्रमुख के साथ पन्ना कमेटियों का गठन कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाएगा।  (एएमएपी)