दरअसल, भाजपा का जोर पसमांदा मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने पर ज्यादा है। बीते एक साल से इस दिशा में काफी काम किया गया है। सबसे पहले हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इसे भावी एजेंडे में शामिल किया गया था। हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में एक कार्यक्रम में पसमांदा मुसलमानों को लेकर अपनी चिंता जताई थी और कहा था कि मुस्लिम समाज ही अपने इस सबसे बड़े वर्ग की अनदेखी कर रहा है और उसे सिर्फ वोट बैंक समझा गया है।
मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा है कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के नायक हैं। सिद्दीकी का कहना है कि हमारे आदर्श टीपू सुल्तान नहीं, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हैं। इसीलिए उनकी पुण्यतिथि से यात्रा शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न दलों के नेता खुद को मुसलमानों का नेता बताने की कोशिश कर रहे हैं। वह केवल वोट बैंक के लिए ही मुसलमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस यात्रा के जरिए भाजपा देश में 30 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यकों की आबादी वाली 65 लोकसभा सीटों तक पहुंचेगी। इनमें 90 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली श्रीनगर, अनंतनाग, बारामुला की सीटें भी शामिल हैं। इन 65 सीटों में असम की सात, बिहार की चार, दिल्ली की दो, गोवा की दो, हरियाणा की दो, जम्मू-कश्मीर की पांच, केरल की आठ, लद्दाख की एक, महाराष्ट्र की दो, मध्य प्रदेश की तीन, तेलंगाना की दो, तमिलनाडु की एक, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल की 13-13 सीटें शामिल हैं। मोर्चा का कहना है कि वह मुसलमानों के साथ सभी अल्पसंख्यकों बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, ईसाई के साथ संपर्क व संवाद करेगा।(एएमएपी)