मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी जीत को दोहराना चाहती है । ऐसे में जेपी नड्डा की नई टीम में मप्र के जिन राजनीतिक महारथियों को जगह मिली, वह तो अपनी जगह है ही, साथ में हर संभाग, जिला तहसील और प्रत्‍येक विधानसभा सीट पर फोकस करने की जो रणनीति भाजपा ने बनाई है, वह अपने आप में बहुत प्रभावी है।केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने चुनाव तैयारी की कमान अपने हाथ में ले ली है। भाजपा प्रदेश कोर ग्रुप के साथ बैठक के बाद शाह का इंदौर आना, परशुराम की जन्मस्थली जानापाव पहुंचना एवं अन्‍य मुद्दों पर गंभीर होना बता रहा है कि पिछले दिनों मप्र की शिवराज सरकार को बदनाम करने के जो प्रयास हुए, उसके डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी अपने स्‍तर पर भी जुट गई है। इंदौर में शाह ने कार्यकर्ताओं को सीधा संदेश दिया है कि जीत का मंत्र मालवा क्षेत्र से होकर जाता है। यहां जीते तो प्रदेश में फिर भाजपा सरकार बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।

गहराई से इसे ऐसे समझें – मालवा-निमाड़ अंचल को मजबूत रखने कैलाश विजयवर्गीय चौथी बार राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए। विधानसभा की सबसे अधिक 66 सीटें यहीं हैं। यहां सीट कम होने का मतलब है, सत्‍ता से बाहर हो जाना।  विजयवर्गीय मालवा के करिश्‍माई नेता हैं, इसलिए पार्टी को उन पर बहुत भरोसा है। वहीं, सौदान सिंह का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने के पीछे मध्य भारत समेत बुंदेलखंड और विंध्य को मजबूत करने की मंशा है। पूर्णकालीक भूमिका में रहने के कारण से उनके प्रति संगठन पदधिकारियों, आम कार्यकर्ता में अपार श्रद्धा है।

इसी प्रकार पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय सचिव बनाने का उद्देश्‍य महाकौशल क्षेत्र समेत मप्र में जनजाति समाज को भाजपा की ओर से यह भरोसा दिलाना है, कि पार्टी राजनीतिक तौर पर संगठन में हर स्‍तर पर आदिवासी चेहरे को बड़ी जिम्मेदारी देने में भरोसा रखती है। यहां यह भी ध्‍यान रखने की बात है कि पार्टी इससे पहले ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बना चुकी है। उनको इस बड़ी जिम्‍मेदारी देने के पीछे दो बड़े कारण हैं, पहला, उनका ग्‍वालियर-चंबल क्षेत्र का होना और दूसरा उनकी वह धैर्यवान छवि, जो उन्‍हें सभी नेताओं से अलग करती है। वहीं, सिंधिया खेमे के साथ सामंजस्य बनाकर अपनी पार्टी के लिए जीत की राह बनाने में वे सबसे सशक्‍त हैं ।

मध्‍यक्षेत्र संगठन महामंत्री अजय जामवाल के प्रवास प्रदेश के हर संभाग केंद्र में शुरू हो गए हैं, वे अपनी आत्‍मीयता के शैली के लिए जाने जाते हैं। प्रदेश में एक नया प्रयोग शुरू हुआ, पुराने नेताओं और उन सभी के बीच भाजपा की एक टीम जा रही है जिनका पीएम मोदी से कोई न कोई जुड़ाव रहा है। साक्षात्‍कार की इस श्रंखला में कई नेता जो अभी खाली बैठे हैं, जब उनके पास यह टीम जा रही है तो चौंकानेवाले अनुभव सामने आ रहे हैं। कई नेता बोलते-बोलते भावुक हो जा रहे हैं और सभी शिकवा-शिकायतें दूर कर अपने क्षेत्रों में पार्टी को जीत दिलाने का संकल्‍प ले रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव व अश्विनी वैष्णव, धर्मेंद्र प्रधान अच्‍छे रणनीतिकार हैं। संगठन प्रभारियों में मुरलीधर राव की पकड़ लम्‍बे समय से यहां प्रभारी रहने से बन गई है। सह प्रभारी पंकजा मुंडे महाराष्‍ट्र सीमा क्षेत्र में वोटबैंक को साधने का दम रखती हैं तो रमाशंकर कठेरिया अनुसूचित जाति वर्ग में बड़ा राजनीतिक नाम है। कठेरिया लम्‍बे समय तक अजा-जनता आयोग के अध्यक्ष रहते हुए मप्र में लगातार प्रवास करते रहे हैं । प्रदेश में एससी और एसटी वर्गों के लिए 82 सीटें आरक्षित हैं। इनके वोटरों की संख्या 40 फीसदी है। ऐसे में कठेरिया की राजनीतिक जमावट से प्रदेश के करीब 80 लाख दलित वोटों तक मोदी-शिवराज सरकार की सफल योजनाओं के लाभ की चर्चा को पहुंचाने में भाजपा जुट गई है।(एएमएपी)