आपका अखबार ब्यूरो ।
बेंगलुरू में पैदा हुए प्रसिद्ध तमिल अभिनेता शिवाजी राव गायकवाड़ उर्फ रजनीकांत को वर्ष 2019 का दादासाहब फाल्के सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है। भारतीय सिनेमा के इस सबसे बड़े सम्मान की घोषणा करते हुए सूचना एवं प्रसारण प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “मैं आज साल 2019 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार की घोषणा करते हुए बहुत खुश हूं कि इस साल यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक रजनीकांत जी को उनके अभिनय, निर्माण और पटकथा लेखन के तौर पर दिए गए योगदान के लिए दिया जाएगा।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई मशहूर हस्तियों ने यह सम्मान मिलने पर रजनीकांत को शुभकामनाएं दी हैं।
हिन्दी में भी की कई चर्चित फिल्में
इस पुरस्कार की चयन समिति (जूरी) में प्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले, निर्माता-निर्देशक सुभाष घई, प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन, प्रसिद्ध अभिनेता मोहनलाल और विश्वजीत चटर्जी शामिल थे। इन सभी ने सर्वसम्मति से 51वां दादासाहब फाल्के सम्मान रजनीकांत को देने की सिफारिश की। रजनीकांत ने अपना फिल्मी सफर 1975 में तमिल फिल्म ‘अपूर्व रागंगल’ से शुरू किया था। ‘शिवाजी- द बॉस’, ‘रोबोट’, ‘2.0’ सहित 160 से अधिक तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्होंने हिन्दी में भी ‘अंधा कानून’, ‘गिरफ्तार’, ‘हम’, ‘फूल बने अंगारे’, ‘भगवाव दादा’, ‘जॉन जानी जनार्दन’ जैसी चर्चित फिल्मों में काम किया है। ‘अंधा कानून’ और ‘गिरफ्तार’ में अमिताभ बच्चन उनके सह-कलाकार थे। दोनों एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं।
अध्यात्म से गहरा लगाव
तमिलनाडु में लोग रजनीकांत को प्यार से ‘थलाइवा’ कहते हैं, जो तमिल शब्द थलाइवर से बना है। इसका अर्थ होता है- नेतृत्वकर्ता या बॉस। वे ‘शिवाजी- द बॉस’ नाम की सुपरहिट फिल्म में काम भी कर चुके हैं। गौरतलब है कि उनका मूल नाम शिवाजी ही है। एक बस कंडक्टर से लेकर भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली लोगों में शुमार होने की उनकी जीवन यात्रा आज असंख्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। फिल्मों में अपनी स्टाइल और संवाद अदायगी के लिए मशहूर ‘रजनी सर’ निजी जीवन में बेहद सादगी पसंद तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति के हैं। अन्य स्टारों के उलट वह अपनी फिल्मों का प्रमेशन कभी नहीं करते। दक्षिण के एक और सुपरस्टार कमल हासन की तरह ही उन्होंने भी दिसंबर, 2017 में राजनीति में आने की घोषणा की थी, लेकिन कमल हासन की तरह वह अभी तक वह चुनाव मैदान में उतरे नहीं हैं।
पुरस्कार और सम्मान
रजनीकांत को 2000 में भारत के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण और 2016 में दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। फोर्ब्स इंडिया पत्रिका ने 2010 में उन्हें सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीय घोषित किया था। 1984 में उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। इसके अलावा भी उन्हें कई महत्त्वपूर्ण सम्मान व पुरस्कार मिल चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शाहरुख खान जैसे सुपरस्टार ने अपनी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के अंत में ‘थलाइवा… लूंगी डांस’ गाना रजनीकांत के सम्मान में रखा था।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से जुड़े कुछ तथ्य
- पहला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 1969 में अभिनेत्री व बॉम्बे टॉकीज की सह-संस्थापक देविका रानी को दिया गया था।
- यह सम्मान पाने वाले लोगों में देविका रानी, बी.एन. सरकार, पृथ्वीराज कपूर, पंकज मलिक, कानन देवी, नौशाद, मजरूह सुल्तानपुरी, सोहराब मोदी, सत्यजीत रे, वी. शांताराम, अशोक कुमार, लता मंगेशकर, दिलीप कुमार, भूपेन हजारिका, यश चोपड़ा, मनोज कुमार, कवि प्रदीप, विनोद खन्ना, गुलजार, अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियतें शामिल हैं।
- कपूर परिवार में तीन लोगों को यह सम्मान मिला है। पृथ्वीराज कपूर (वर्ष 1971 के लिए), राज कपूर (वर्ष 1987 के लिए) और शशि कपूर को (वर्ष 2014 के लिए)
- दादा साहेब फाल्के सम्मान अब तक दो लोगों को मरणोपरांत दिया गया है। पृथ्वीराज कपूर को 1972 में (1971 के लिए) और विनोद खन्ना को 2018 में (2017 के लिए)
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