अजय विद्युत।
बापू की पुण्यतिथि पर शनिवार, 30 जनवरी 2021 को ट्वीट करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कहती हैं- ‘गांधीजी ने कहा था जनता की राय की अवहेलना करने वाला शासक क्रूर होता है व कोई भी अन्यायपूर्ण कानून अपने आप में हिंसा का एक रूप है। गांधीजी की हत्या उनके विचारों की हत्या के उद्देश्य से भी की गई थी। लेकिन गांधी जी का सत्याग्रह आज पूरे भारत की ताकत है व हमारा दायित्व भी।’
प्रियंका गांधी जाहिर है कि दिल्ली में किसानों के नाम पर दंगाइयों के गणतंत्र दिवस पर देश को दुनिया के सामने शर्मसार करने वाले अराजकतापूर्ण आचरण को सत्याग्रह बता रही हैं। अगर निशाना मोदी हो तो कांग्रेस का ऐसा आचरण निश्चित ही उसकी रणनीति का हिस्सा है। इसे स्वाभाविक प्रतिक्रिया के रूप में लिया जाना चाहिए। वैसे भी कांग्रेस की ये ‘गांधियन फैमिली’ महात्मा गांधी पर अपना कापीराइट मानती रही है और हर साल 30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर नरेंद्र मोदी, भाजपा, या संघ और उसके संगठनों के बहाने हिंदू राष्ट्रवाद पर कुछ टिप्पणी करना उसकी आदत का हिस्सा रहा है। चौंकने की बात यह कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से तो लोग कैसे भी बयान या आचरण की अपेक्षा कर सकते हैं, लेकिन उनकी बहन कम से कम कांग्रेसियों के बीच एक पढ़ी लिखी और समझदार छवि के लिए जानी जाती हैं।
गांधीजी ने कहा था जनता की राय की अवहेलना करने वाला शासक क्रूर होता है व कोई भी अन्यायपूर्ण कानून अपने आप में हिंसा का एक रूप है।
गांधीजी की हत्या उनके विचारों की हत्या के उद्देश्य से भी की गई थी।
लेकिन गांधी जी का सत्याग्रह आज पूरे भारत की ताकत है व हमारा दायित्व भी।#Martyrs pic.twitter.com/qVsFymvAL5
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 30, 2021
प्रियंका गांधी को तो मालूम ही होगा कि गांधी जी की जितनी बातें उन्होंने उद्घृत की हैं वे उनके ही परिवार पर ज्यादा सटीक बैठती हैं। जैसे ‘जनता की राय की अवहेलना करने वाला शासक क्रूर होता है व कोई भी अन्यायपूर्ण कानून अपने आप में हिंसा का एक रूप है।’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी रही हैं जिन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरे देश को आपातकाल के नर्क में झोंक दिया था। और कितने जुल्म किए थे कोई हिसाब है?
राजीव गांधी ने दुश्मन की तरह व्यवहार किया -महेंद्र सिंह टिकैत
प्रियंका को ‘क्रूर शासक’ के तौर पर तीस साल पहले अपने पिता स्व. राजीव गांधी का उन असली किसानों के प्रति अपनाया गया भीषण अमानवीय रवैया भी देखना चाहिए जो न तो दिल्ली की सड़कों पर दंगे कर रहे थे, न खालिस्तानियों का समर्थन। साल 1988 का अक्टूबर महीना। भारतीय किसान यूनियम (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के पिता (स्व.) महेंद्र सिंह टिकैत बीकेयू अध्यक्ष थे और (स्व.) राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री। महेंद्र सिंह टिकैत के आह्वान पर लगभग पांच लाख किसानों ने अपने अधिकारों के लिए दिल्ली में बोट क्लब और उसके पास के लॉन में सात दिनों तक डेरा डाले रखा। उसे दबाने के लिए राजीव गांधी सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।
सबसे पहले प्रदर्शनकारी किसानों के लिए पानी की सप्लाई बंद की। फिर खाने की सप्लाई को रोक दिया गया। लेकिन यह सब होने पर भी किसान डटे रहे तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन में पुलिस द्वारा गोलियां चलाने के बाद भी प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे थे। राजेंद्र सिंह और भूप सिंह नाम के दो किसानों की मौत हो गई थी।
उस समय महेंद्र सिंह टिकैत ने कहा था कि ‘प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दुश्मन की तरह व्यवहार किया है। किसानों की नाराजगी उन्हें महंगी पड़ेगी।’
टिकैत द्वारा रखी गई सभी 35 मांगों पर सरकार की सहमति के बाद विरोध-प्रदर्शन समाप्त हो गया था। मांगों से सहमति जताना एक बात है और जमीनी स्तर पर उन्हें पूरा करना दूसरी बात। क्या किसानों की मांगें पूरी की गयीं ? यह अपने आप में ऐसा सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस को ही देना है। अगर मांगें पूरी की गई होतीं तो आज किसानों की यह दुर्दशा न होती। बहरहाल, किसानों की बात करने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में एक बार झांकना तो बनता है!
बापू कुछ समय और जी जाते तो कहां होती कांग्रेस
कांग्रेस के ये गांधी (परिवार) अपनी आवरण सज्जा के लिए बार-बार गांधीजी का नाम लेते रहते हैं। उधर यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि गांधीजी भविष्य में कांग्रेस को भंग करने की राय रखते थे।
झारखंड विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. संतोष कुमार तिवारी बताते हैं कि अपनी हत्या से एक दिन पहले यानी 29 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी ने अपने साप्ताहिक पत्र ‘हरिजन’ के लिए एक लेख लिखा था। यह लेख उनकी मृत्यु के बाद 15 फरवरी 1948 के ‘हरिजन’ (अंग्रेजी) में छपा। ‘हिज लास्ट विश एंड टेस्टामेंट’ (उनका अंतिम इच्छापत्र और वसीयत) शीर्षक इस लेख में गांधीजी ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस संगठन को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। इसके स्थान पर ‘लोक सेवक संघ’ बनाया जाना चाहिए। नए संगठन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए गांधी जी ने कहा कि लोक सेवक संघ का कोई भी सदस्य मदिरापान नहीं करेगा, यदि वह हिंदू है तो छुआछूत को नहीं मानेगा, आदि। गांधी जी ने यह भी लिखा कि नए लोक सेवक संघ से इन संगठनों को जोड़ा जाए : 1- आल इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन, 2- आल इंडिया विलेज इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, 3- हिंदुस्तानी तालीमी संघ, 4- हरिजन सेवक संघ, और 5- गोसेवा संघ।
अपने लेख में गांधीजी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि लोक सेवक संघ के लिए धन कहां से जुटाया जाएगा। कहने का मतलब यह है कि यदि गांधीजी कुछ दिन और जीवित रहते तो कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो चुका होता।
Live- सत्याग्रही किसानों के समर्थन में मेरी प्रेस वार्ता। https://t.co/i1dGV8el1n
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2021