बुन्देलखंड क्षेत्र में परम्परागत खेती के साथ ही किसानों ने काला गेहूं की खेती पर दांव लगाया है। सैकड़ों बीघे में किसानों ने इसकी खेती भी पहली बार शुरू की है। सामान्य गेहूं की तुलना में मोटा मुनाफा देने वाली इस फसल को लेकर किसानों में बड़ा उत्साह भी देखा जा रहा है। इन दिनों खेतों में काला गेहूं के पौधे भी उग आए हैं।बुन्देलखंड के चित्रकूट धाम बांदा मंडल के हमीरपुर, बांदा और आसपास के इलाकों में दैवीय आपदा के बीच किसान परम्परागत खेती से ही अपना जीवन गुजारने में लगे हैं। अकेले हमीरपुर जिले में ही 2.88 लाख से अधिक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी की बोआई इस बार कराई गई है। यहां के उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव ने बताया कि रबी की फसल में 1 लाख 43 हजार 650 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की इस बार बोआई हुई है, जबकि 4179 हेक्टेयर में जौ, 16367 हेक्टेयर में मटर, 70806 हेक्टेयर में चना, 29986 हेक्टेयर में मसूर, 16530 हेक्टेयर में राई, सरसो, 5426 हेक्टेयर में अलसी और 1469 हेक्टेयर में तोडि की फसल बोई गई है।

कृषि उपनिदेशक ने बताया कि शासन से मिले टारगेट के सापेक्ष से शत प्रतिशत रबी की फसलों की बोआई हो चुकी है। उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड के हमीरपुर और आसपास के इलाकों में इस साल किसानों ने अपनी तकदीर बदलने के लिए काला गेहूं की खेती शुरू की है। इसकी खेती से बुन्देलखंड के किसानों को मोटा मुनाफा जरूर मिलेगा। क्योंकि ये गेहूं सामान्य गेहूं से अधिक कीमत किसानों को मिलती है। प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह, राजेन्द्र सिंह व भाकियू नेता संतोष सिंह ने बताया कि काला गेहूं की खेती में सामान्य गेहूं की तुलना में ज्यादा उत्पादन होता है। एक बीघे में दस से बारह क्विटंल गेहूं की पैदावार हो जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से इस अनाज की डिमांड बाजार में बढ़ी है। ये सेहत के लिए फायदेमंद होती है।

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किसानों ने शुरू की काला गेहूं की खेती

हमीरपुर जिले के पंधरी सुमेरपुर, पारा मौदहा, करहिया, सरीला, इन्दपुरा व राठ क्षेत्र के चिल्ली गांव समेत अन्य कई ग्रामों में इस बार किसानों ने काला गेहूं की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है। राठ क्षेत्र के खड़ाखड़ गांव में दमोदर दास गुप्ता ने पहली बार डेढ़ बीघे में काला गेहूं की खेती शुरू की है। चिल्ली गांव के प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि काला गेहूं की खेती से बुन्देलखंड के किसानों की दशा और दिशा बदल सकती है। उन्होंने बताया कि सामान्य गेहूं की तुलना में इसका गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है। अजीत साहू, बिहारीलाल, राधा कृष्ण अवस्थी, अरविन्द व छोटेलाल ने बताया कि सामान्य गेहूं के सापेक्ष इस अनाज की बाजार में अब डिमांड ज्यादा है और कीमत भी अच्छी मिलती है।

12 बीमारियां रहती हैं नियंत्रित

काला गेहूं की रोटी और दलिया खाने से शुगर समेत बारह बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर, शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल और असाध्य समेत बारह तरह की बीमारियां इस अनाज के सेवन से नियंत्रित रहती है। बताया कि काला गेहूं की रोटी यदि नियमित रूप से खाने पर पेट सम्बन्धी बीमारी से भी निजात मिल जाती है।(एएमएपी)