बता दें कि इससे पहले भी 2016 में तत्कालीन राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए चाय बागान की जमीन का विकल्प दिया था। ग्रीन फील्ड सिटी के तौर पर यहां स्मार्ट सिटी विकसित करने की सरकार की योजना पर भारी विरोध हुआ था। पर्यावरणविदों से लेकर तमाम सामाजिक संगठनों ने इस पर विरोध जताया था।

विरोध जताने वाले लोगों का कहना था कि यहां नया शहर बसाने से हरियाली नष्ट हो जाएगी और ये चाय बागान देहरादून की पहचान हैं। चाय बागान मजदूरों के हितों और बागान की जमीन के संबंध में तमाम तरह के सवाल उठाए गए थे। बड़ी संख्या में विरोध-प्रदर्शन हुए थे।
हालांकि, सरकार ने ग्रीन फील्ड का प्रस्ताव जमा करवाया, लेकिन केंद्र ने ग्रीन फील्ड में स्मार्ट सिटी के राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। बाद में देहरादून समेत 23 शहरों को संशोधित प्रोजेक्ट जमा करने का अतिरिक्त मौका दिया गया था।
बता दें कि चाय बागान की 719.7 हेक्टेयर जमीन को इसके लिए चुना गया है। जिस जमीन पर निजी सहभागिता से ट्विन सिटी बनेगी, वहां उत्तराखंड सरकार सभी सुविधाएं देगी। एक अत्याधुनिक शहर के हिसाब से यहां सड़क, बिजली, पानी से लेकर सभी जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर सरकार उपलब्ध कराएगी।(एएमएपी)



