#santoshtiwariडॉ. संतोष कुमार तिवारी।

सन् 1879 की बात है। एक रूसी महिला भारत आई। भारत दर्शन के लिए। नाम था उनका  हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की Helena Petrovna Blavatsky (1831-1891)। वह भारत के तमाम शहरों और गावों में गई। फिर उन्होंने रूसी भाषा में अपनी भारत यात्रा का वृतान्त लिखा। उस वृतान्त का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हुआ। अंग्रेजी भाषा में उस पुस्तक का शीर्षक है: From the Caves and Jungles of Hindostan। इस पुस्तक का स्पेनिश भाषा में भी अनुवाद हुआ है।

 हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की

 

From the Caves and Jungles of Hindostan : Amazon.in: किताबेंहेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की एक अध्यात्मिक महिला थी। प्राचीन भारतीय विद्याओं में उनकी विशेष रूचि थी। उनकी इस पुस्तक में भारत के उस जमाने के तमाम रोचक किस्से लिखे हैं। उनमें से एक है योग की एक छोटी सी 61 पृष्ठों वाली पुस्तक की प्रतियों का जलाया जाना। इस पुस्तक का नाम है A Treatise on the Yoga Philosophy।

अपनी पुस्तक From the Caves and Jungles of Hindostan के अन्तिम अध्याय में हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की ने बनारस के डॉ. एन.सी. पॉल की पुस्तक A Treatise on the Yoga Philosophy का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि डॉ. पॉल बनारस में रेजीमेंटल सर्जन थे। वह जाने-माने डाक्टर थे। उनकी पुस्तक ने भारत में चिकित्सा से जुड़े एंग्लो इन्डियन समुदाय में सनसनी फैला दी थी। उनकी इस पुस्तक में भारत की योग विद्या का बहुत ही वैज्ञानिक तरीके समझाया गया है। डॉ. पॉल ने जीवन के अपने 35 वर्ष योगियों की उन व्यवहारों को समझने में लगाए थे जो कि प्राकृतिक नियमों के विरुद्ध माने जाते हैं। हालांकि वह राज-योगियों से ज्यादा कुछ सीख नहीं पाए, फिर भी उन्हें फकीरों और हठ-योगियों से सीखने का अनुभव जरूर हुआ। डॉ. पॉल को विशेष तौर से अपने एक अंग्रेज मित्र कैप्टन सेमूर Captain Seymour से योग की कई ऐसी जानकारियां मिलीं जोकि बाहरी दुनिया के लोगों को आम तौर से पता नहीं होती हैं।

कैप्टन सेमूर संन्यासी हो गए थे

Law Web: Whether a person becoming sanyasi amounts to his civil death?

कैप्टन सेमूर ब्रिटिश सेना के अफसर थे। वह धनी और अच्छे पढ़े लिखे थे। परन्तु वह योगी हो गए थे, और वैसा ही व्यवहार करने लगे थे जैसा कि उस जमाने के ब्राह्मण करते थे।

कैप्टन सेमूर को पागल घोषित कर दिया गया

ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने उनको पागल  घोषित कर दिया और वापस इंग्लैण्ड भेज दिया था। परन्तु इंग्लैण्ड से वह वापस आ गए और एक संन्यासी की वेशभूषा में भारत में रहने लगे। ब्रिटिश सरकार ने दोबारा फिर उन्हें इंग्लैण्ड वापस भेजा और इस बार उन्हें लन्दन के एक पागल-खाने में ताला डाल कर कैद कर दिया गया। तीन दिन बाद वह पागल-खाने से अन्तर्ध्यान हो गए। बाद में उनके जानने वालों ने उन्हें बनारस में देखा। फिर उन्होंने हिमालय से भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल को एक पत्र लिखा कि मैं कभी भी पागल नहीं था। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि “मैं एक योगी हूँ। और मेरा उद्देश्य है कि मृत्यु से पूर्व मैं राज-योगी बन जाऊँ।“

फिर ब्रिटिश सरकार ने उनका पीछा छोड़ दिया और कोई भी यूरोपियन नागरिक फिर  उनसे कभी नहीं मिला। परन्तु डॉ. पॉल से उनका पत्र व्यवहार होता रहता था। डॉ. पॉल दो बार उनसे मिलने हिमालय भी गए। इन अनुभवों के बाद डॉ. पॉल ने A Treatise on the Yoga Philosophy नामक पुस्तक लिखी।

हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की को बताया गया कि डॉ. पॉल की उस पुस्तक को शरीर विज्ञान और रोग विज्ञान के विरुद्ध समझा गया। इस कारण उसकी प्रतियाँ जलाने का आदेश दिया गया था।

हेलेना को बताया गया कि A Treatise on the Yoga Philosophy की सिर्फ दो ही प्रतियाँ बचीं हैं। एक बनारस के महाराजा के पुस्तकालय में थी और दूसरी हेलेना के साथी ठाकुर के पास थी।

डॉ. पॉल की उस पुस्तक में क्या खास बात थी

61 पृष्ठों की डॉ. पॉल की उस पुस्तक में पद्मासन, सिद्धासन, ध्यान, मौनव्रत, खानपान में सन्तुलन,समाधि आदि से प्राप्त सिद्धियों के बारे में वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया। डॉ. पॉल की पुस्तक का जिक्र करते हुए हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की ने लिखा:

(The Raj-Yogis can acquire) the following gifts: … foreseeing future events; understanding of all languages; the healing of all diseases; the art of reading other people’s thoughts; witnessing at will everything that happens thousands of miles from them; understanding the language of animals and birds; Prakamya, or the power of keeping up youthful appearance during incredible periods of time; the power of abandoning their own bodies and entering other people’s frames; … to kill, and to tame wild animals with their eyes; and, lastly, the mesmeric power to subjugate any one, and to force any one to obey the unexpressed orders of the Raj-Yogi.

भावार्थ: राज-योगियों को ये सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं – भविष्य में होने वाली घटनाओं को देख पाना, सभी भाषाओँ को समझ लेना, किसी भी बीमारी को ठीक कर देना, जब चाहो तब हजारों मील दूर होने वाली घटनाओं को देख पाना, पशु-पक्षियों की भाषाओँ को समझ लेना, अपने शरीर को छोड़ देना, दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाना, किसी को भी मन्त्र मुग्ध कर लेना, अपनी दृष्टि से जंगली जानवरों को पालतू बना लेना और अपने किसी भी अव्यक्त आदेश का दूसरों से पालन करवा लेना, आदि।

यहाँ यह बता देना आवश्यक है कि इनमें से कई सिद्धियाँ हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की को भी प्राप्त थीं। सिद्धि-प्राप्त व्यक्तियों को कुछ लोग फ्रॉड अर्थात धोखेबाज भी कहते हैं। तो ऐसा ही हेलेना के बारे में भी कुछ लोग कहते हैं। परन्तु कांग्रेस पार्टी के संस्थापक A.O. Hume (1829-1912) ने और दुनिया के अनेक अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने  हेलेना के समर्थन में अनेक लेख लिखे हैं।  डॉ. ऐनी बेसेंट Dr. Annie Besant (1847-1933) ने भी हेलेना के समर्थन में कई पुस्तकें लिखी थीं। डॉ. बेसेंट ने बनारस में सेन्ट्रल हिन्दू कालेज की स्थापना भी की थी।

अपने जीवन में हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की ने भी कई पुस्तकें लिखीं। उनमें शामिल  हैं – The Secret Doctrine, Key to Theosophy, Isis Unveiled, The Voice of the Silence, आदि। वह भारत में स्वामी दयानन्द सरस्वती (1824-1883) से भी मिलीं थीं।

महात्मा गांधी लन्दन में हेलेना से मिले थे

महात्मा गांधी (1869-1948) लन्दन में हेलेना से मिले थे। गांधीजी ने हेलेना की पुस्तक Key to Theosophy के बारे में अपनी आत्मकथा के बीसवें अध्याय में लिखा है: (Madame Blavatsky’s Key to Theosophy) stimulated in me the desire to read books on Hinduism, and disabused me of the notion fostered by the missionaries that Hinduism was rife with superstition.

भावार्थ: मैडम ब्लावत्स्की की  पुस्तक Key to Theosophy ने मेरे  मन में यह इच्छा उत्पन्न की कि मैं हिंदू धर्म के बारे में पुस्तकें पढ़ूं। मैडम ब्लावत्स्की की पुस्तक ने मेरे मस्तिष्क में से  (इसाई) मिशनरियों द्वारा भरे गए उस कूड़े को साफ कर दिया जिसमें कहा गया था कि हिन्दू धर्म अन्ध विश्वासों से भरा हुआ है।

A Treatise on the Yoga Philosophy अब कहाँ है

डॉ. एन.सी. पॉल की उक्त पुस्तक A Treatise on the Yoga Philosophy का दूसरा संस्करण सन् 1882 में प्रकाशित हुआ। उसकी एक प्रति हार्वर्ड कालेज लाईब्रेरी, अमेरिका में है और अब उसका डीजिटाइजेशन हो चुका है। वह गूगल की दुर्लभ पुस्तकों के तौर पर इस URL पर क्लिक करके फ्री में पढ़ी जा सकती है:

https://ia802602.us.archive.org/18/items/atreatiseonyoga00paulgoog/atreatiseonyoga00paulgoog.pdf

हेलेना पेतरोवना ब्लावत्स्की की पुस्तक From the Caves and Jungles of Hindostan भी gutenberg.org पर फ्री में उपलब्ध है।

(लेखक सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर हैं।)