डॉ. संतोष कुमार तिवारी।
सत्ताईस वर्ष की उम्र में अब्राहम लिंकन (1809-1865) ने अपनी मित्र मिस मैरी ओवन्स (1808-1877) को एक पत्र लिखा। तब वह अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं थे। लिंकन बहुत गरीबी में पैदा हुए थे। वह बदसूरत भी थे। अपनी शादी की चिंता भी उन्हें रहती थी। उन्होंने मैरी ओवन्स को लिखा:
लिंकन का पत्र दोस्त मैरी के नाम
स्प्रिंगफील्ड
7 मई 1837
दोस्त मैरी
इस चिट्ठी से पहले मैंने तुम्हें भेजने के लिए दो बार पत्र लिखना शुरू किया था। परन्तु दोनों से ही मैं संतुष्ट नहीं था। मैंने दोनों आधे लिखे, फिर फाड़ डाले। पहला पत्र तो मुझे लगा कि ज्यादा गंभीर नहीं है, और दूसरा बहुत अधिक गंभीर हो गया। अब यह चिट्ठी जैसी भी बनेगी तुम्हें मैं भेज दूँगा।
इस स्प्रिंग-फील्ड में जीवन बहुत ही नीरस है; कम से कम मेरे लिए तो ऐंसा ही है। मैं यहाँ भी वैसा ही तनहा अनुभव करता हूँ जैसा कि कि मैं अपने जीवन में अन्य सभी स्थानों पर करता रहा हूँ। जब से यहाँ आया हूँ, तब से केवल एक महिला ने मुझसे बात-चीत की है। वह भी शायद बात न करती यदि उसके पास बचने की गुंजाइश होती। मैं अभी तक एक बार भी गिरजाघर नहीं गया हूँ और शायद जल्दी वहाँ जाऊंगा भी नहीं। मैं सबसे अलग-थलग इसलिए रहता हूँ, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझे दूसरों के साथ ठीक से व्यवहार करना नहीं आता है।
मैं अक्सर उन बातों के बारे में सोचता हूँ जोकि तुमसे हुई थीं- तुम्हारे स्प्रिंग फील्ड आकर रहने के बारे में। मुझे डर है कि तुम यहाँ सन्तुष्ट नहीं रहोगी। यहाँ काफी शानो शौकत वाली बग्घियाँ हैं। तुम उन पर बैठ नहीं सकोगी, तो उदास होगी। तुम्हें गरीबी में ही रहना होगा और उस गरीबी को छुपाने के लिए तुम्हारे पास कोई साधन भी नहीं होगा। क्या तुम्हें विश्वास है कि तुम यह सब धैर्य के साथ बर्दाश्त कर सकोगी? यदि कभी कोई महिला मेरे साथ अपना भाग्य जोड़ पाएगी, तो मैं उसके सुख और संतुष्टि के लिए कोई कसर उठा नहीं रखूँगा। और यदि मैं इस प्रयास में विफल रहा, तो मैं बहुत दु:खी हूंगा। मुझे पता है कि तुम्हारे साथ मैं अपनी मौजूदा हालात से कहीं अधिक सुखी रहूंगा, बशर्ते कि मुझे तुममें असन्तोष का कोई चिन्ह न दिखाई पड़े।
वह जो तुमने कहा था शायद हंसी में कहा हो, या हो सकता है मैंने ही तुम्हें गलत समझा हो। यदि ऐसा है, तो अच्छा होगा कि हम इन सब बातों को भुला दें। परन्तु यदि बात इसके विपरीत हो, तो मेरी बहुत इच्छा है कि तुम फैसला करने से पहले खूब गम्भीरता से सोच लो। मैंने जो कुछ भी कहा है उसका मैं पूरी तरह पालन करूंगा। मेरी सलाह मानो तो यह अच्छा होगा कि तुम ऐसा न ही करो। तुम्हें कष्टमय जीवन जीने की आदत नहीं है और हो सकता है कि यहाँ का जीवन तुम्हारे अनुमान से अधिक कष्टमय हो। मैं जानता हूँ कि तुम किसी भी विषय पर सही निर्णय करने के योग्य हो, और यदि तुम गहराई से विचार करके इस विषय पर निर्णय करती हो, तो मैं सहर्ष तुम्हारे निर्णय पर चलने को तैयार हूँ।
जब तुमको यह पत्र मिल जाए, तब मुझे एक अच्छा लम्बा जवाब लिखना। वैसे भी तुम्हारे पास कुछ और काम तो करने को है नहीं। यदि तुम्हें अपना जवाब दिलचस्प न भी लगे, तो भी तुम उसे मुझे भेजना। इस ‘व्यस्त सुनसान’ में तुम्हारा पत्र मेरे लिए एक अच्छा साथी होगा। अपनी बहन से कहना मैं अब बेचा और चले वाली बातें और सुनना नहीं चाहता हूँ। जब मैं वह सब सोचता हूँ तब भ्रमित हो जाता हूँ।
सादर तुम्हारा
लिंकन
इस पत्र का मैरी ओवन्स ने कभी जवाब नहीं दिया
इस पत्र का मैरी ओवन्स ने कभी जवाब नहीं दिया। मतलब साफ था कि यह सब पढ़ कर उसने लिंकन से शादी न करने का मन बना लिया था। तीन वर्ष बाद लिंकन का इनगेजमेंट मैरी टाड के साथ हुआ और फिर उससे शादी भी हो गई। मैरी टाड मशहूर और धनवान वकील राबर्ट स्मिथ की बेटी थीं।
अब्राहम लिंकन ने जब मैरी ओवन्स को उपर्युक्त पत्र वर्ष 1837 में लिखा था, तब वह राजनीति में कदम रख चुके थे। उन्होंने दास प्रथा के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू कर दिया था। बाद में अब्राहम लिंकन 1861 से 1865 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। जब वह राष्ट्रपति के पद पर थे, तभी एक व्यक्ति ने गोली मर कर उनकी हत्या कर दी थी।
अब्राहम लिंकन अमर क्यों
अमेरिकी इतिहास में अब्राहम लिंकन एक अमर नाम है। वह अमर इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने उस देश को दास प्रथा से मुक्त कराया था।
प्रेमपत्र नहीं, चतुराई भरी चाल
मैरी ओवन्स को लिखा गया उपर्युक्त पत्र दुनिया के मशहूर लोगों के प्रेम पत्रों में से एक माना जाता है। परंतु यदि इस प्रेम पत्र को गहराई से पढ़ा जाए, तो पता चलता है कि यह प्रेम पत्र नहीं था। यह तो मैरी ओवन्स से शादी न करने की नैतिक ज़िम्मेदारी अपने सिर से हटा कर दूसरे के सिर पर थोपने की चतुराई भरी एक चाल थी। ऐसा ही कई अमेरिकी इतिहासकार भी मानते हैं।
(लेखक झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं।)