भोपाल में एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है. बता दें कि यहां पर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि बालगृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू धर्म की हैं. इनको कैसे यहां लाया जाता था क्या है पूरा मामला जानते हैं
मध्य प्रदेश के परवलिया थाना क्षेत्र से बेहद ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव वीरा राणा को एक पत्र लिख इसकी जानकारी दी है। बता दें इस बालगृह में गुजरात झारखंड राजस्थान के अलावा सीहोर रायसेन छिंदवाड़ा बालाघाट और विदिशा की बालिकाएं मिली हैं। लगभग 26 बच्चियां लापता हैं और इनका कोई अता-पता नहीं है।क्या है मामला

पूरा मामला भोपाल के ‘आंचल चिल्ड्रन होम्स’ से जुड़ा हुआ है. बता दें कि यहां रर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. बालगृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू धर्म की हैं . बताया जा रहा है कि बाल गृह में बच्चों को बिना सरकार को सूचना दिए लाया जाता था।

मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने निरीक्षण कर FIR दर्ज करवाई है और मुख्य सचिव को भी आयोग ने नोटिस जारी किया है. मामले पर कानूनगो ने ट्वीट कर कहा- यहाँ की संचालक NGO सरकारी एजेन्सी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही हैं. काफ़ी कठिनाई के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की है. दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ऐसी ही NGO से चाइल्ड हेल्पलाइन ठेके पर चलवाना चाहते हैं. एफआईआर दर्ज होने के बाद अब देखने वाली बात होगी कि इसपे पुलिस क्या फैसला लेती है।

मुख्य सचिव को दी गई जानकारी

मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कानूनगो ने बताया कि आंचल बालगृह भोपाल में स्थित है और इसकी जांच की गई। निरीक्षण के दौरान बालगृह के अधिकारियों एवं बालगृह में मौजूद बच्चों से बातचीत की गई। इससे पता चला कि बालगृह रजिस्टर्ड नहीं है और न ही इसे मान्यता प्राप्त है। इस बालगृह के संलग्न सूची के मुताबिक, लगभग 68 बच्चियां निवास कर रही थी, लेकिन जांच के दौरान केवल बालगृह में केवल 41 ही बच्चियां मिलीं। बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना यह सभी बच्चियां रह रही है।

बच्चियों का रेस्क्यू कर लाया गया बालगृह में

बालगृह के अधिकारियों ने बताया कि इन बच्चियों चाइल्ड इन स्ट्रीट सिचुऐशन से रेस्क्यू किया गया है। इन सभी बच्चियों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश नहीं किया गया था। इस बालगृह को पहले रेलवे चाइल्ड लाइन चलाने वाली संस्था संचालित कर रही थी। प्रियंक कानूनगो ने बताया कि आयोग के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज किया है। मामले की जांच सात दिन में पूरी कर दस्तावेजों सहित आयोग को उलपब्ध कराई जाने के आदेश दे दिए गए है।

बिना अनुमति कैसे संचालित हो रहा बालगृह?

राज्य बाल बाल आयोग की सदस्य डा. निवेदिता शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बालगृह बिना किसी अनुमति के इतने दिनों तक संचालित होता रहा। उन्होंने अधीक्षक अनिल मैथ्यू, साथी निशा तिरकी, नमिता व अन्य द्वारा मतांतरण कराए जाने की शंका जाहिर की है।

उन्होंने कहा कि सबूतों के आधार पर यह साफ है कि जरूरतमंद बच्चों की रेकी कर इन्हें ईसाई मिशनरी संस्था में भर्ती कराकर उनका मतांतरण कराया जा रहा हैं। परवलिया थाने में संस्थान के खिलाफ कई शिकायतें आने के बावजूद कोई भी FIR दर्ज नहीं की गई। इसके बाद ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को ट्वीट कर जानकारी को पब्लिक किया गया है।

मतातंरण का है मामला?

शिकायत के अनुसार, अवैध ईसाई अनाथालय में अनाथ बच्चों सहित 40 आदिवासी बच्चों को रखा गया है। हालांकि, पुलिस ने अब तक मतातंरण की धारा में अपराध दर्ज नहीं किया है। पुलिस अधीक्षक प्रमोद सिन्हा ने कहा कि सबूत मिलने के बाद ही धाराओं को जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में चाइल्ड लाइन की शिकायत पर किशोर न्याय अधिनियम एफआइआर दर्ज की गई है। बाकी तथ्य जैसे-जैसे सामने आएंगे, उस आधार पर धाराएं बढ़ा दी जाएंगी।

धर्मांतरण पर कानून

बता दें कि मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ कानून है. इस कानून के मुताबिक शादी या धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण अपराध माना जाएगा और इसके लिए अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. किसी को प्रलोभन देकर, धमकाकर या जबरन शादी के नाम पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से धर्म परिवर्तन कराना भी अपराध है.

बता दें कि यह कानून कथित लव जिहाद के खिलाफ भी प्रभावी है. इस कानून में प्रावधान है कि अलग-अलग धर्म के लोगों को शादी के लिए दो महीने पहले सूचना देनी होगी और बगैर सूचना के विवाह को शून्य माना जाएगा. साथ ही धर्म छिपाकर शादी करने पर भी इस कानून में 3 साल से लेकर 10 साल तक की जेल और 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।(एएमएपी)