देश के कई राज्यों में इस समय आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बेगूसराय में भी इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बीते कई सालों में ऐसा पहली बार है जब आई फ्लू के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पतालों में आई इंफेक्शन, आंखों के लाल होने की समस्या वाले मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ रही है।चिकित्सकों का कहना है कि आई फ्लू भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मानसून के दौरान यह बीमारी तेजी से बढ़ती है। लेकिन इस बार काफी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी इसका शिकार हो रहे हैं। बच्चों में बढ़ते मामलों को देखते हुए तमाम निजी विद्यालयों ने जानकारी साझा करने के साथ प्राथमिक उपचार के लिए आई ड्राप देने तथा अभिभावकों से विद्यालय नहीं भेजने को कहा है।
कंसल्टेंट नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक कुमार ने बताया कि आई फ्लू आंखों में होने वाला एक संक्रमण है। जिसके कारण आंखों में लालिमा, दर्द, सूजन, जलन जैसी परेशानियां होती है। इसे कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई भी कहा जाता है। यह एक संक्रमणशील बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकती है। बारिश से आने वाले दिनों में केस और भी तेजी से बढ़ने की आशंका है।
आई फ्लू के संक्रमण का कारण
बारिश के मौसम में पैथोजन्स यथा बैक्ट्रिया, वायरस, फंजाई आदि को वृद्धि करने के लिए आदर्श स्थिति मिलता है। जिसके कारण विभिन्न प्रकार का संक्रमण फैलता है तथा लोगों को स्वास्थ्य संबंधी अनेक प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। फिलहाल जो आई फ्लू का बढ़ता हुआ मामला सामने आ रहा है। उसका एक प्रमुख कारण एडोनोवायरस का संक्रमण है। लेकिन द्वितीयक संक्रमण के रूप में मुख्यतः वेक्टरियल और एलर्जिक स्थिति गंभीर समस्या उत्पन्न कर रही है।
आई फ्लू का लक्षण
आई फ्लू की समस्या में मरीज की आंखों में दर्द, सूजन, जलन और लालिमा जैसी परेशानियां होती है। इसकी वजह से आंखों से पानी बहने लगता है। संक्रमण बढ़ने पर मरीज को देखने में परेशानी हो सकती है। आई फ्लू के प्रमुख लक्षण हैं आंखें लाल हो जाना, पानी चलना, चुभन और जलन महसूस होना, अधिक मात्रा में कीची निकलना, रात में सोने के बाद सुबह आंखों का चिपकना, सूजन, दर्द, खुजली तथा फोटोफोबिया-धूप तथा रोशनी का असह्य होना आदि।
आई फ्लू का प्रसार एवं बचाव
आमतौर पर आई फ्लू का संक्रमण व्यक्तिगत संपर्क, संक्रमित सतह, वस्तुएं, गंदगी, धूल-मिट्टी आदि के कारण फैलता है। ज्यादातर मामलों में यह संक्रमण हाथों के जरिये फैलता है। इसलिए नियमित रूप से हाथ को साबुन से धोने पर संक्रमण का शिकार होने से बचा जा सकता है। गंदे हाथ से आंखों को छूने से बचना चाहिए। इसके अलावा कपड़े, तौलिया, टूथब्रश और मेकअप की चीज दूसरे के साथ शेयर नहीं करें। अगर सार्वजानिक जगहों पर जाते हैं, तो संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दरवाजों के हैंडल या किसी भी सतह को छूने से बचें। अगर इन चीजों को छूते हैं, तो हाथों को साबुन से साफ करें। इसके अलावा आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति काला चश्मा या सनग्लास का प्रयोग करें।
आई फ्लू हो जाए तो क्या करें
लक्षण दिखने पर इसे इग्नोर नहीं करें तथा ओवर द काउंटर दवाओं का सेवन करने से बचें। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बिना डॉक्टर के परामर्श से किसी भी प्रकार के आई ड्राप के इस्तेमाल से बचें। आमतौर पर डॉक्टर मरीज की स्थिति और लक्षणों के आधार पर दवाओं के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। ऐसे लोग जो गंभीर रूप से संक्रमित होते हैं, उन्हें कुछ हाई डोज वाली दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी जा सकती है।
डॉ. अभिषेक कुमार ने कहा कि आमतौर पर संक्रमण रोकने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं और ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। लोगों को बिना डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड युक्त दवाओं के सेवन से बिल्कुल बचना चाहिए। अन्यथा उनका कॉर्निया तक क्षतिग्रस्त हो सकता है और उनके आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।(एएमएपी)