काम के समय टार्गेट पर लिए गए पत्रकार
यूएन सांस्कृतिक यूनेस्को ने ध्यान दिलाया की मारे गए लगभग आधे पत्रकारों को तब निशाना बनाया गया, जब वे काम पर नहीं थे, कुछ पर यात्रा के दौरान या जब वे पार्किंग के स्थान पर थे, तब हमले किए गए; और कुछ पत्रकारों पर अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हमला किया गया। अन्य अनेक मीडियाकर्मियों की हत्या उनके घरों पर की गई।
रिपोर्ट में चेतावनी जारी करते हुए कहा गया है कि इन मामलों के सामने आने के बाद ऐसा लगता है कि पत्रकारों के लिए, दुनिया में हर स्थान जोखिम भरा है और “पत्रकारों के लिए ख़ाली समय में भी ख़तरा बरक़रार है।”
इसमें दिए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले पाँच सालों में कुछ सुधार के बावजूद, सुरक्षा और दंडमुक्ति के ख़तरों के मामलों की दर “चौंकाने” वाली 86 फ़ीसदी रही है। एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा की दंडमुक्ति का सामना करना एक अतिआवश्यक प्रतिबद्धता है और इसके लिए, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को गतिशील करना होगा। हत्या मामलों के अलावा, वर्ष 2022 में पत्रकारों को अन्य हिंसा के रूपों का सामना करना पड़ा। इनमें जबरन गुमशुदगी, अपहरण, मनमाने ढंग से हिरासत में रखना, क़ानूनी उत्पीड़न और डिजिटल हिंसा शामिल है।
महिला पत्ररकार, ख़ासतौर से निशाने पर
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने पत्रकारों के समक्ष चुनौतियों को उजागर करते हुए ध्यान दिलाया कि मानहानि क़ानूनों, साइबर क़ानूनों और “असत्य समाचारों” के ख़िलाफ़ क़ानून को एक हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने और पत्रकारों के काम करने के लिए, एक विषैला वातावरण बनाने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें कि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस सभी के बीच महिला पत्ररकार, ख़ासतौर से निशाने पर दिखाई दी हैं।
पत्रकारों के लिए मैक्सिको है सबसे ख़तरनाक देश
यूनेस्को ने पाया कि वर्ष 2022 में पत्रकारों की असुरक्षा के मामले में सबसे ज़्यादा ख़तरनाक लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र रहे, जहाँ 44 मीडियाकर्मियों की हत्याएँ हुईं, जोकि दुनिया भर में मारे गए कुल मीडियाकर्मियों की आधी से अधिक संख्या है। विश्व भर में सबसे घातक देश मैक्सिको रहा, जिसमें हत्या के 19 मामले दर्ज किए गए। यूक्रेन में 10 और हेती में 9 मीडियाकर्मियों की मौतें हुईं। एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में 16 मौतें दर्ज की गईं, जबकि पूर्वी यूरोप में 11 मीडियाकर्मियों की हत्याएँ की गईं।
संवेदनशील विषयों पर रिपोर्टिंग करना बना मौत का बड़ा कारण
वर्ष 2022 में सशस्त्र संघर्ष वाले देशों में मौत के मुँह में धकेले जाने वाले पत्रकारों की संख्या बढ़कर 23 हो गई, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 20 थी। कुछ पत्रकारों को सुनियोजित अपराध, सशस्त्र संघर्ष या बढ़ती चरमपंथी घटनाओं पर उनकी पत्रकारिता के कारण मार दिया गया। और अन्य मीडियाकर्मी भ्रष्टाचार, पर्यावरणीय अपराध, सत्ता के दुरुपयोग और विरोध जैसे संवेदनशील विषयों पर रिपोर्टिंग करने के कारण मौत के मुँह में धकेल दिए गए। (एएमएपी)