झारखंड में हेमंत सोरेन के इस्तीफे से पैदा हुआ सियासी संकट खत्म हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने शुक्रवार दोपहर 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद की शपथ ली। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें मनोनीत मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। चंपई सोरेन के साथ आलमगीर आलम और सत्यानंद भोक्ता ने भी शपथ ली है। अब उन्हें 10 दिनों के अंदर बहुमत साबित करना होगी। इससे पहले चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन से मुलाकात की। इसके बाद चंपई ने कहा कि गुरुजी हमारे आदर्श हैं, शपथ लेने से पहले हम गुरुजी और माताजी (रूपी सोरेन) से आशीर्वाद लेने आए थे।

बहुमत साहित करने में 10 दिन का समय

वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन के 35 विधायकों को हैदराबाद भेजा जाएगा। ऐसा संभावित खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए किया गया है। जानकारी के अनुसार, बहुमत साहित करने में 10 दिन का समय है ऐसे में विधायक टूट सकते हैं। ऐसी स्थिति से बचने और सभी को एकजुट रखने के लिए विधायकों को तेलंगाना शिफ्ट किया गया है। बता दें कि झामुमो विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने राज्यपाल से जल्द से जल्द सरकार बनाने के उनके दावे को स्वीकार करने का आग्रह किया था, क्योंकि राज्य में ‘भ्रम’ की स्थिति बनी हुई थी। यह स्थिति बुधवार को हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद से राज्य में मुख्यमंत्री न होने की वजह से थी और इसके कारण राजनीतिक संकट गहरा गया था।

देर रात मिला सरकार गठन का मौका

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार देर रात महागठबंधन विधायक दल के नेता चंपई सोरेन को मनोनीत मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए शपथग्रहण के लिए आमंत्रित किया है। राज्यपाल ने महागठबंधन विधायक दल के नेता चंपई सोरेन और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को गुरुवार देर रात राजभवन आमंत्रित कर सरकार बनाने का न्योता दिया। राजभवन से बाहर चंपई सोरेन ने कहा कि मंगलवार शाम से राज्य में मुख्यमंत्री नहीं है। लिहाजा वह शुक्रवार को शपथ लेंगे। राज्यपाल ने 10 दिनों के भीतर विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दिया है।

बहुमत साबित करने के बाद कैबिनेट विस्तार

शपथ ग्रहण के बाद महागठबंधन जल्द से जल्द विधानसभा में बहुमत साबित करेगा। बहुमत साबित करने के बाद चंपई सोरेन अपने कैबिनेट का गठन करेंगे। चंपई कैबिनेट में हेमंत कैबिनेट के इतर कई नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। राज्यपाल के निमंत्रण के बाद सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ सर्किट हाउस में चंपई सोरेन ने बैठक की। देर रात तक बहुमत साबित करने और सरकार के गठन को लेकर रणनीति बनाई गई।

भाजपा हुई हमलावर

इस बीच भाजपा ने मामले में सवाल उठाए हैं। झारखंड भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि दो दिनों से झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल और केंद्रीय नेताओं के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया है। कल जब पहला लेटर दिया गया तो उसमें भी तकनीकि त्रुटियां थीं। हम यही उम्मीद करते हैं कि झारखंड में जो हेमंत सोरेन का 4 वर्षों का काला अध्याय रहा है वो दोहराया ना जाए। एक बात स्पष्ट है कि चंपई सोरेन भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों लेकिन सत्ता के तार सोरेन परिवार के पास ही होंगे।

कौन हैं चंपई सोरेन?

चंपई सोरेन झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं। वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। चंपई ने 1974 में जमशेदपुर स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी। जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही थी उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से बुलाने लगे।

2005 में चंपई पहली बार विधायक बने

चंपई संयुक्त बिहार में 1991 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। के.सी.मार्डी के इस्तीफा के बाद चंपई ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था। वहीं 2005 में चंपई झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। उन्होंने अर्जुन मुंडा वाली सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे। 2014 में फिर झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं 2019 में भी विधायक बने। इसके साथ ही वह हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बन गए। 2019 में चंपई ने अपनी संपत्ति 2.55 करोड़ बताई थी।

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कांग्रेस से आलमगीर बनें मंत्री

चंपई सोरेन के अलावा कांग्रेस पार्टी के आलमगीर आलम ने मंत्री के रूप में शपथ ली। आलमगीर आलम पाकुड़ सीट से कांग्रेस के विधायक हैं।  70 साल के आलमगीर ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है। उन्होंने 2019 में अपनी संपत्ति 7.02 करोड़ रुपये बताई थी। कांग्रेस नेता ने राजनीति और समाज सेवा से होने वाली आमदनी को अपनी कमाई का जरिया बताया है।

राजद के सत्यानंद भोक्ता भी बनें मंत्री

राजद के नेता सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली। सत्यानंद चतरा सीट से राजद के विधायक हैं। वे झारखंड सरकार में राज्य के कृषि मंत्री थे। वहीं पिछली सरकार में श्रम मंत्री थे।  53 वर्षीय सत्यानंद ने 10वीं तक ही पढ़ाई की है। उन्होंने 2019 में अपनी संपत्ति 77.58 लाख रुपये बताई थी। राजद नेता को राजनीति और समाज सेवा से आमदनी होती है। (एएमएपी)