Chandrayaan-3 Mission:
Ch-3’s Propulsion Module (PM) takes a successful detour!
In another unique experiment, the PM is brought from Lunar orbit to Earth’s orbit.
An orbit-raising maneuver and a Trans-Earth injection maneuver placed PM in an Earth-bound orbit.… pic.twitter.com/qGNBhXrwff
— ISRO (@isro) December 5, 2023
इसरो के मुताबिक 10 नवम्बर को प्रोपल्शन मॉड्यूल ने चंद्रमा से वापस धरती की यात्रा शुरू की। 22 नवम्बर को यान धरती के निकटतम बिंदु (पेरिगी) से होकर गुजरा। यह प्रयोग चंद्रमा से नमूने वापस लाने के मिशन (सैंपल रिटर्न मिशन) को ध्यान में रखते हुए किया गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल जो पहले चंद्रमा की 150 कि.मी. वाली कक्षा में चक्कर लगा रहा था अब धरती की कक्षा में है।
इसरो के मुताबिक इस प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में केवल तीन महीने तक रहना था। लेकिन इसरो ने ईंधन का उपयोग कर प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस धरती की कक्षा में लाने का फैसला किया ताकि, सैंपल रिटर्न मिशन के लिए अहम जानकारियां जुटाई जा सकें। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च को श्री हरिकोटो से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान -3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के पास एक सॉफ्ट लैंडिंग करना और विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनीज का पता लगाना था। 23 अगस्त को चंद्रयान तीन ने चंद्रमा की धरती पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की। उसके बाद 10 दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने जानकारियां जुटाई। उसके बाद उसे स्लीप मोड पर डाल दिया गया।
यह होता है प्रोप्लशन मॉड्यूल
चंद्रयान तीन में तीन अहम हिस्से थे जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल, दूसरा है लैंडर मॉड्यूल और तीसरा है रोवर। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 का काम लैंडर और रोवर को धरती की कक्षा से चांद की ओर ले जाना है। पीएम ने लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा यानी ऑर्बिट में 100 किलोमीटर ऊपर छोड़ दिया। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में लैंडर और रोवर से कम्युनिकेशन बनाए रखने के लिए चक्कर लगाता रहा।(एएमएपी)