महामारी के बाद बच्चों की पढ़ने की बुनियादी क्षमता प्रभावित हुई है और यह 2012 से पूर्व के स्तर तक गिर गई है। यह खुलासा गैरसरकारी संगठन प्रथम की ओर से ‘एएसईआर 2022’ (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ) की रिपोर्ट में हुआ है।  रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलगांना, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र में तीसरी और पांचवीं कक्षा के बच्चे पढ़ने से लेकर गणित तक में पिछड़ गए हैं। सरकार की कोशिशों से हो रहे सुधार में महामारी के कारण रुकावट आई है।देश के अधिकतर राज्यों में सरकारी और निजी स्कूलों के लड़के और लड़कियों में यह गिरावट चिंताजनक है। सर्वेक्षण में 3-16 आयु वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति और 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों की बुनियादी पढ़ाई और अंकगणित का मूल्यांकन किया गया। इस साल बच्चों की अंग्रेजी की क्षमता का भी परीक्षण किया गया।

अंग्रेजी में दिखा थोड़ा सुधार

राष्ट्रीय स्तर पर, बच्चों की सरल अंग्रेजी वाक्यों को पढ़ने की क्षमता कमोबेश 2022 में कक्षा 5 के बच्चों के लिए 2016 के (24.7 से 24.5 फीसदी तक) स्तर पर बनी हुई है। आठवीं कक्षा के बच्चों में थोड़ा सुधार दिखाई दे रहा है। यहां 2016 में 45.3 फीसदी से बढ़कर 2022 में 46.7 फीसदी हो गया।

केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हालात चिंताजनक

तीसरी कक्षा के विद्यार्थी 2018 में जहां 27.3 फीसदी दूसरी कक्षा के स्तर का पाठ पढ़ सकते थे, वे 2022 में पिछड़ गए और यह आंकड़ा घटकर 20.5 फीसदी रह गया। देश के सबसे शिक्षित राज्यों में शुमार केरल में यह 52.1 से घटकर 38.7 फीसदी रह गया। वहीं, हिमाचल प्रदेश (47.7 से घटकर 28.4 फीसदी), हरियाणा (46.4 से घटकर 31.5 फीसदी) में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। जबकि आंध्र प्रदेश (22.6 से घटकर 10.3 फीसदी) और तेलंगाना (18.1 से घटकर 5.2 फीसदी) के हालात बेहद चिंताजनक हैं।

ट्यूशन वाले सर पर भरोसा

देशभर में निजी और सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों की बजाय ट्यूशन वाले सर पर ज्यादा भरोसा बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक वर्ष 2018 में 26.4 फीसदी बच्चे ट्यूशन से पढ़ाई करते थे, जोकि 2022 में बढ़कर 30.5 फीसदी तक पहुंच गया है।

बिहार में 70 फीसदी विद्यार्थी ट्यूशन पर निर्भर  रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार और झारखंड में विद्यार्थियों में ट्यूशन पर निर्भरता अधिक। बिहार और झारखंड में 2022 में क्रमश: 70 और 45 प्रतिशत बच्चे ट्यूशन पर निर्भर हैं।

गणित में यूपी के आठवीं कक्षा के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन बेहतरीन

राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के गणित स्तर में अधिकांश कक्षाओं के लिए 2018 के स्तर की तुलना में गिरावट आई है। लेकिन पढ़ने की तुलना में यह गिरावट कम तीव्र और ज्यादा विविध है। हालांकि आठवीं कक्षा के बच्चों में सुधार दर्ज हुआ है। 2018 में 44.1 फीसदी तो 2022 में 44.7 फीसदी बच्चे भाग का सवाल हल कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन में शानदार करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

वहीं, तीसरी कक्षा के 2018 में 28.2 फीसदी तो 2022 में 25.9 फीसदी बच्चे कम से कम घटाव कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यहां सुधार देखने को मिला है, लेकिन तमिलनाडु, हरियाणा, मिजोरम में 10 फीसदी की गिरावट है। पांचवीं कक्षा के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिजोरम के हालात खराब हैं।

तीसरी और पांचवीं की तुलना में आठवीं के विद्यार्थी कम प्रभावित

आठवीं कक्षा के छात्रों में बुनियादी पढ़ने की क्षमता में गिरावट हुई हैं, लेकिन तीसरी और पांचवीं की तुलना में यहां आंकड़ा कम है। आठवीं कक्षा में 2018 में 73 फीसदी तो 2022 में 69.6 फीसदी बच्चे वही पाठ पढ़ सकते थे। वहीं, 2018 तक पांचवीं कक्षा के 50.5 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ पढ़ सकते थे और 2022 में अब यह आंकड़ा 42.8 फीसदी रह गया है।
- इसमें 15 फीसदी से अधिक गिरावट आंध्र प्रदेश (59.7 से घटकर 36.3 फीसदी), गुजरात (53.8 से घटकर 34.2 फीसदी), हिमाचल प्रदेश( 76.9 से घटकर61.3 फीसदी) में देखी गई है।
-जबकि 10 फीसदी से अधिक की गिरावट उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, कनार्टक और महाराष्ट्र में हुई है। (एएमएपी)