आपका अखबार ब्यूरो।

विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं, ताकि दूसरी लहर की तरह अफरातफरी का माहौल पैदा न हो। इस क्रम में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 2 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल की स्वीकृति दे दी है।


 

2 से 18 वर्ष के आयु समुह के बच्चे होंगे शामिल

भारत में पिछले दो-चार दिनों में कोरोना को लेकर कुछ राहत की खबरें सुनने को मिली हैं। जहां कोरोना के मामलों में कुछ कमी देखने को मिली हैं, वहीं ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ी है। 10 और 11 मई को तो ठीक होने वालों की संख्या बीमार होने वालों की संख्या से ज्यादा थी। 12 मई को संक्रमण के कुल 3,62,632 नए मामले आए, तो ठीक होने वालों की संख्या भी 3,52,005 रही। इस बीच यह भी एक अच्छी खबर आई है कि बच्चों के लिए भी कोवैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी दे दी गई है। गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने 2 से 18 वर्ष के आयु समुह वाले 525 वालंटियर पर कोवैक्सीन के ट्रायल की डीसीजीआई से अनुमति मांगी थी। भारत बायोटेक के इस प्रस्ताव पर केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विशेषज्ञ समिति ने 11 मई को विचार-विमर्श किया और उसके कोवैक्सीन टीके की दो से 18 साल के बच्चों में सुरक्षा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने समेत अन्य चीजों का आकलन करने के लिए दूसरे/तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति प्रदान की। भारत बायोटेक दो से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन के फेज दो और तीन का ट्रायल जल्दी ही शुरू करेगी।

दिल्ली, पटना, नागपुर में हो सकता है ट्रायल

पूरी तरह देश में विकसित और निर्मित कोरोना की वैक्सीन, कोवैक्सीन को इसी साल जनवरी में एमरजेंसी उपयोग के लिए भारत सरकार ने अनुमति दी थी। तब इसके तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे भी नहीं घोषित किए गए थे। कोवैक्‍सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बनाया है। यह वैक्सीन काफी प्रभावकारी साबित हुई है और इसकी प्रभावकारिता 81 प्रतिशत है। ऐसी सूचना है कि अब कोवैक्सीन का ट्रायल 2 से 18 वर्ष के आयु समुह वाले 525 वॉलंटियरों पर दिल्‍ली व पटना के एम्‍स तथा नागपुर के मेडिट्रिना चिकित्सा विज्ञान संस्थान सहित कुछ दूसरे चिकित्सीय संस्‍थानों में होगा।

तीन-चार महीने में आ सकता है बच्चों के लिए टीका

वॉलंटियरों को वैक्सीन की डोज इंजेक्‍शन के जरिए दी जाएगी। दूसरी डोज, पहली डोज के 28 दिनों बाद दी जाएगी। अभी 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को दी जा रही कोवैक्सीन की दोनों खुराकों के बीच भी चार हफ्तों का ही अंतराल है। अगर भारत बायोटेक इस महीने वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर देती है, तो जुलाई माह तक ट्रायल पूरा हो सकता है। इसके बाद ट्रायल से प्राप्त डाटा को नियामक संस्था के सामने पेश किया जाएगा। अगर नतीजे संतोषजनक रहे, तो अगस्त या सितंबर तक वैक्सीन के बच्चों के लिए एमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। भारत में अभी तक बच्चों के लिए किसी भी वैक्सीन को स्वीकृति नहीं दी गई है।

अमेरिका में बच्चों के लिए वैक्सीन को मिली मंजूरी

नोवेल कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका ने बच्चों के लिए फाइजर की वैक्सीन को स्वीकृति दे दी है। फाइजर की यह वैक्सीन वहां 12 से 15 वर्ष के बच्चों को लगाई जाएगी। एक दूसरी वैक्सीन निर्माता माडर्ना भी अपनी वैक्सीन को बच्चों के लिए स्वीकृत कराने की कोशिशों में लगा हुआ है।